आरती कुंज बिहारी की
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
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सुख करता दुख हर्ता आरती
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची कंठी झलके माल मुकताफळांची ||
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काली माता आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली | माँ काली आरती तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
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कृष्ण जी आरती
ओम जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय श्री कृष्ण हरे, भक्तन के दुख सारे पल में दूर करे ||
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ब्रह्मा जी आरती
पितु मातु सहायक स्वामी सखा ,तुम ही एक नाथ हमारे हो। जिनके कुछ और आधार नहीं , तिनके तुम ही रखवारे हो ।
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कुबेर जी आरती
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे , स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे। शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे।
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श्री भैरव जी आरती
सुनो जी भैरव लाड़िले,कर जोड़ कर विनती करुं । कृपा तुम्हारी चाहिये, मैं ध्यान तुम्हरा ही धरूं ॥
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