सुख करता दुख हर्ता आरती (Sukh Karta Dukh Harta Aarti)

सुख करता दुख हर्ता आरती

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"सुख करता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची" गणेश जी की आरती है जो गणेश चतुर्थी, विनायक चतुर्थी और अन्य गणेश उत्सवों पर प्रसिद्ध है। इस आरती का उद्देश्य भगवान गणेश की पूजा करने से पूर्व उनकी स्तुति करना है। इस आरती में गणेश जी को भक्तों के दुःख-सुख को दूर करने वाला देवता, विघ्न नाशक, भक्तों के पापों का नाश करने वाला देवता तथा सभी के संकटों से मुक्ति दिलाने वाला देवता कहा गया है। इस आरती को गाकर भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति होती है और उनके आशीर्वाद से सभी विघ्नों से मुक्त होते हैं।

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सुख करता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची 
(Ganpati Sukhkarta Dukhharta)
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
 
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
 
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
 
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
 
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया
 
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
 
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
 
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
 
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
 
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
 
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को
 
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
 
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
 
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी
 
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
 
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
 
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे
 
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव