सूर्य देव आरती

सूर्य देव आरती

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सूर्य आरती सूर्यदेव को प्रणाम करने का एक विशेष तरीका है। सूर्य देव हिन्दू धर्म में देवताओं की एक महत्वपूर्ण धर्मिक भावना हैं। सूर्य आरती को सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पढ़ा जाता है।

सूर्य आरती का महत्व इस बात में है कि इससे हम सूर्य देव के शुभ आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं और उनसे अपनी समस्त समस्याओं का समाधान मांग सकते हैं। यह आरती सूर्य देव के प्रति हमारी भक्ति को दर्शाती है और हमारी मनोकामनाओं को पूरा करने की क्षमता देती है।

सूर्य आरती के पढ़ने से हमारी आँखों को ऊजाला मिलता है, हमारे शरीर की स्वस्थता बनी रहती है और हमारे मन में सकारात्मक ऊर्जा का उत्पादन होता है। सूर्य आरती स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशी के लिए एक उत्तम उपाय है।

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सूर्य आरती
जय कश्यप-नन्दन,
ॐ जय अदिति नन्दन।
 
त्रिभुवन – तिमिर – निकन्दन,
भक्त-हृदय-चन्दन॥
 
॥ जय कश्यप-नन्दन ॥
 
सप्त-अश्वरथ राजित,
एक चक्रधारी।
 
दु:खहारी, सुखकारी,
मानस-मल-हारी॥
 
॥ जय कश्यप-नन्दन ॥
 
सुर – मुनि – भूसुर – वन्दित,
विमल विभवशाली।
 
अघ-दल-दलन दिवाकर,
दिव्य किरण माली॥
 
॥ जय कश्यप-नन्दन ॥
 
सकल – सुकर्म – प्रसविता,
सविता शुभकारी।
 
विश्व-विलोचन मोचन,
भव-बन्धन भारी॥
 
॥ जय कश्यप-नन्दन ॥
 
कमल-समूह विकासक,
नाशक त्रय तापा।
 
सेवत साहज हरत अति
मनसिज-संतापा॥
 
॥ जय कश्यप-नन्दन ॥
 
नेत्र-व्याधि हर सुरवर,
भू-पीड़ा-हारी।
 
वृष्टि विमोचन संतत,
परहित व्रतधारी॥
 
॥ जय कश्यप-नन्दन ॥
 
सूर्यदेव करुणाकर,
अब करुणा कीजै।
 
हर अज्ञान-मोह सब,
तत्त्वज्ञान दीजै॥
 
॥ जय कश्यप-नन्दन  ॥
॥ इति श्री सूर्य आरती ॥