अन्नपूर्णा माँ की आरती

अन्नपूर्णा माँ की आरती

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माँ अन्नपूर्णा की आरती महत्वपूर्ण है क्योंकि अन्नपूर्णा देवी हमारे जीवन का आधार हैं। उन्होंने हमें भोजन की प्राप्ति की विधि सिखाई है और हमारी पेट पूर्ति के लिए सदैव तैयार रहती हैं। इसलिए उन्हें धन्यवाद देने के लिए अन्नपूर्णा की आरती को गाया जाता है।

इस आरती में देवी अन्नपूर्णा को स्तुति किया जाता है और उनके द्वारा दिए गए अन्न के लाभों का उल्लेख किया जाता है। आरती के द्वारा हम देवी का आभार व्यक्त करते हैं और उनके आशीर्वाद का लाभ प्राप्त करते हैं। इस आरती को गाकर हम अन्नपूर्णा देवी से हमेशा आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और हमें सदैव भोजन की प्राप्ति मिलती रहती है।

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माँ अन्नपूर्णा की आरती
आरती देवी अन्नपूर्णा जी की
बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।
 
जो नहीं ध्यावै तुम्हें अम्बिके, कहां उसे विश्राम।
 
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो, लेत होत सब काम॥
 
॥ बारम्बार प्रणाम ॥
 
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर, कालान्तर तक नाम।
सुर सुरों की रचना करती, कहाँ कृष्ण कहाँ राम॥
 
॥ बारम्बार प्रणाम ॥
 
चूमहि चरण चतुर चतुरानन, चारु चक्रधर श्याम।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर, शोभा लखहि ललाम॥
 
॥ बारम्बार प्रणाम ॥
 
देवी देव! दयनीय दशा में दया-दया तब नाम।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल शरण रूप तब धाम॥
 
॥ बारम्बार प्रणाम ॥
 
श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या श्री क्लीं कमला काम।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी, वर दे तू निष्काम॥
 
॥ बारम्बार प्रणाम ॥
॥ इति श्री माँ अन्नपूर्णा आरती ॥