श्री सत्यनारायण जी आरती

श्री सत्यनारायण जी आरती

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श्री सत्यनारायण जी की आरती भगवान विष्णु के एक रूप को अर्घ्य देते हुए प्रदर्शित करती है। यह आरती भगवान सत्यनारायण की पूजा के दौरान पढ़ी जाती है और इसके पढ़ने से उन्हें अनेक आशीर्वाद मिलते हैं।

इस आरती के पढ़ने से भगवान सत्यनारायण की कृपा हमेशा बनी रहती है। यह आरती भगवान के अद्भुत लीला, महिमा और आशीर्वाद के बारे में बताती है। इसके अलावा, इस आरती को पढ़ने से भक्तों को शुभ लाभ प्राप्त होते हैं।

इस आरती को पढ़ने से संतान प्राप्ति, आरोग्य, धन समृद्धि, शांति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह आरती सत्यनारायण भगवान को प्रसन्न करती है और उनकी आशीर्वाद से हमेशा लाभ मिलता रहता है।

इस आरती को नियमित रूप से पढ़ने से भगवान सत्यनारायण के कृपा और आशीर्वाद से असंभव को भी संभव हो जाता है। इससे भक्तों का मन शुद्ध होता है और उन्हें आत्मिक शांति मिलती है।

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श्री सत्यनारायण जी की आरती
जय  लक्ष्मी  रमना  जय  जय  श्री  लक्ष्मी  रमना
सत्यानारयाना  स्वामी  जन  पटक  हरना
 
रत्ना  जडित  सिंघासन  अद्भुत  छबि  राजे
नारद  करत  निरंजन  घंटा  ध्वनि   बाजे
 
प्रकट  भये  कलि  कारन  द्विज  को  दरस  दियो
बुधो  ब्रह्मिन  बनकर  कंचन  महल  कियो
 
दुर्बल  भील  कराल  जिनपर  किरपा  करी
चंद्रचूड  एक  राजा  तिनकी  विपति  हरी
 
भाव  भक्ति  के  कारन  छिन  छिन  रूप  धरयो
श्रद्धा धारण   किन्ही  तिनके  काज  सरयो
 
ग्वाल  बाल  संग  राजा  बन  में  भक्ति  करी
मन वांछित  फल  दीन्हा  दीनदयाल  हरी
 
चढात  प्रसाद  सवायो  कदली  फल  मेवा
धुप  दीप  तुलसी  से  राजी  सतदेवा
 
श्री  सत्यानारयाना  जी  की  आरती  जो  कोई  नर  गावे
कहत  शिवानन्द  स्वामी  मनवांछित  फल  पावे
 
 
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श्री सत्यनारायण जी की  आरती
ॐ जय लक्ष्मीरमणा
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा |
सत्यनारायण स्वामी ,जन पातक हरणा || जय लक्ष्मीरमणा
 
रत्नजडित सिंहासन , अद्भुत छवि राजें |
नारद करत निरतंर घंटा ध्वनी बाजें ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी….
 
प्रकट भयें कलिकारण ,द्विज को दरस दियो |
बूढों ब्राम्हण बनके ,कंचन महल कियों ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी…..
 
दुर्बल भील कठार, जिन पर कृपा करी |
च्रंदचूड एक राजा तिनकी विपत्ति हरी ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी…..
 
वैश्य मनोरथ पायों ,श्रद्धा तज दिन्ही |
सो फल भोग्यों प्रभूजी , फेर स्तुति किन्ही ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी…..
 
भाव भक्ति के कारन .छिन छिन रुप धरें |
श्रद्धा धारण किन्ही ,तिनके काज सरें ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी…..
 
ग्वाल बाल संग राजा ,वन में भक्ति करि |
मनवांचित फल दिन्हो ,दीन दयालु हरि ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी…..
 
चढत प्रसाद सवायों ,दली फल मेवा |
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी…..
 
सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे |
ऋद्धि सिद्धी सुख संपत्ति सहज रुप पावे ॥
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी…..
 
ॐ जय लक्ष्मीरमणा स्वामी जय लक्ष्मीरमणा|
 
सत्यनारायण स्वामी ,जन पातक हरणा ॥ जय लक्ष्मीरमणा
 
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