अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आकर अदृश्य हो जाता है। हिंदू धर्म में अमावस्या का दिन अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें लोग विभिन्न धार्मिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, अमावस्या हर माह मनाई जाती है और इसे विशेष आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान, पूजा-पाठ, और पितरों का पिंडदान करना शुभ माना जाता है, जिससे पापों का नाश होता है।
अमावस्या का संबंध पितृ पक्ष से भी जुड़ा है। मान्यता है कि इस दिन पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं, इसलिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। इससे पितरों को शांति मिलती है, और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, इस दिन दान-पुण्य को अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या के दिन अधिक से अधिक पूजा-अर्चना करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि हर माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है, जब चंद्रमा आकाश में अदृश्य होता है। वर्ष 2025 में कुल 12 अमावस्या तिथियां पड़ेंगी, जो इस प्रकार हैं।
तिथि (Date) |
दिन (Day) |
अमावस्या का नाम (Name Of Purnima) |
29 जनवरी |
बुधवार |
माघ, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
27 फरवरी |
गुरुवार |
फाल्गुन, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
29 मार्च |
शनिवार |
चैत्र, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
27 अप्रैल |
रविवार |
वैशाख, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
27 मई |
मंगलवार |
ज्येष्ठ, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
25 जून |
बुधवार |
आषाढ़, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
24 जुलाई |
गुरुवार |
श्रावण, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
23 अगस्त |
शनिवार |
भाद्रपद, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
21 सितम्बर |
रविवार |
आश्विन, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
21 अक्टूबर |
मंगलवार |
कार्तिक, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
20 नवम्बर |
गुरुवार |
पौष, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
19 दिसम्बर |
शुक्रवार |
पौष, कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि |
साल में 12 अमावस्या तिथियां होती हैं, लेकिन जब अमावस्या सोमवार, मंगलवार या शनिवार को पड़ती है, तो इसका महत्व और बढ़ जाता है। सोमवार की अमावस्या को ‘सोमवती अमावस्या’, मंगलवार को ‘भौमवती अमावस्या’ और शनिवार को ‘शनि अमावस्या’ कहा जाता है। इसके अलावा, अन्य अमावस्या तिथियों का भी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो अमावस्या के दिन चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित होता है, जिसके कारण चंद्रमा दिखाई नहीं देता। इस स्थिति में पृथ्वी पर चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव अधिक होता है। इस दिन जप-तप, पूजा-पाठ, और पितरों के नाम पर दान करने को बेहद शुभ माना गया है।इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं, जिससे पापों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है। धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या का वर्णन और इस दिन किए जाने वाले कर्मों का उल्लेख विस्तार से मिलता है।
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।।
ॐ पितृ देवतायै नम:।।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।।
अमावस्या तिथि के इस महत्व को समझते हुए, अपने जीवन में सकारात्मकता और शांति लाने के लिए इसे विशेष ध्यान और श्रद्धा के साथ मनाना चाहिए। साथ ही, अमावस्या से जुड़े विशेष पर्वों और व्रतों का पालन कर आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देना चाहिए। आगामी हिंदू त्योहार 2025 से संबंधित और जानकारी के लिए आप हिंदू त्योहार कैलेंडर 2025 पर नज़र डाल सकते हैं।