हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा हर माह के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को आती है। पूर्णिमा के दिन सूर्य और चंद्रमा एक-दूसरे के सामने होते हैं, जिससे चंद्रमा अपने पूर्ण प्रकाश में नजर आता है। धार्मिक दृष्टि से यह तिथि व्रत, पूजा, ध्यान और दान के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। वहीं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसका महत्व विशेष है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव से समुद्र में ऊंचे ज्वार उत्पन्न होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, पूर्णिमा का समय मन, शरीर और आत्मा के संतुलन के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
पूर्णिमा को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कुछ जगहों पर इसे पूर्णिमा और अन्य स्थानों पर पूर्णमासी कहा जाता है। भले ही इसके नामों में भिन्नता हो, लेकिन इसका महत्व सभी जगह समान रूप से स्वीकार किया गया है। साथ ही, भगवान सत्यनारायण की पूजा से जीवन की कठिनाइयां दूर होती हैं।
सनातन धर्म में पूर्णिमा का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह पर्व भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित है। इस पावन तिथि पर सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए पूर्णिमा व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और पूजा-अर्चना करने से अन्न और धन में वृद्धि होती है। आइए, पूर्णिमा तिथि 2025 (Purnima Tithi 2025) के बारे में विस्तार से जानते हैं।
तिथि (Date) |
दिन (Day) |
पूर्णिमा का नाम (Name Of Purnima) |
13 जनवरी |
सोमवार |
पौष, शुक्ल पूर्णिमा |
12 फरवरी |
बुधवार |
माघ, शुक्ल पूर्णिमा |
14 मार्च |
शुक्रवार |
फाल्गुन, शुक्ल पूर्णिमा |
12 अप्रैल |
शनिवार |
चैत्र, शुक्ल पूर्णिमा |
12 मई |
सोमवार |
वैशाख, शुक्ल पूर्णिमा |
11 जून |
बुधवार |
ज्येष्ठ, शुक्ल पूर्णिमा |
10 जुलाई |
गुरुवार |
आषाढ़, शुक्ल पूर्णिमा |
9 अगस्त |
शनिवार |
श्रावण, शुक्ल पूर्णिमा |
7 सितम्बर |
रविवार |
भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा |
7 अक्टूबर |
मंगलवार |
आश्विन, शुक्ल पूर्णिमा |
5 नवम्बर |
बुधवार |
कार्तिक, शुक्ल पूर्णिमा |
4 दिसम्बर |
गुरुवार |
मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा |
पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन माता लक्ष्मी का समुद्र मंथन से प्राकट्य हुआ था। इस शुभ तिथि पर व्रत रखने, पूजा-पाठ करने और सत्यनारायण कथा का श्रवण मात्र से व्यक्ति को उत्तम फल की प्राप्ति होती है। धन-संपत्ति में वृद्धि के साथ-साथ शुभ कार्यों का कई गुना अधिक फल मिलता है, और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पूर्णिमा का दिन प्रकृति की अद्भुत शक्तियों का प्रतीक भी माना जाता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से समुद्र में ऊंचे-ऊंचे ज्वार आते हैं। साथ ही, यह तिथि सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने और आत्मिक शांति के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है।
पूर्णिमा तिथि के माध्यम से सनातन परंपरा में दीपावली, रक्षाबंधन, होली जैसे अन्य प्रमुख त्योहारों का महत्व भी उभरकर सामने आता है। इन तिथियों के माध्यम से न केवल हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को सुदृढ़ किया जाता है, बल्कि यह परिवार, समाज और प्रकृति के साथ जुड़ने का एक सुंदर माध्यम भी बनती हैं।
अतः पूर्णिमा तिथि को समझना और उसके महत्व को स्वीकार करना हमें हमारे सांस्कृतिक मूल्यों और प्राकृतिक संतुलन के प्रति जागरूक करता है। आगामी हिंदू त्योहार 2025 से संबंधित और जानकारी के लिए आप हिंदू त्योहार कैलेंडर 2025 पर नज़र डाल सकते हैं।