काली माता आरती (Kali Mata Aarti)

काली माता आरती

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काली माता की आरती उनकी पूजा विधि का अंग होती है और इससे उनकी कृपा आप पर बनी रहती है। आरती में दीपक जलाने से देवी की ध्यान में एकाग्रता होती है और वे आपके मन में शांति और सकारात्मकता की भावना डालती हैं। इसके साथ ही, आरती गान करने से व्यक्ति का मन विचारों से शुद्ध होता है और उनकी उत्तम भावनाएं उत्पन्न होती हैं। काली माता की आरती में दीये के प्रकाश से जगमगाहट के साथ देवी की जय-जयकार होती है जो उनकी कृपा और आशीर्वाद को बढ़ाती है।

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काली माता की आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
 
माँ काली  आरती  तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
 
तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी |
दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी ||
 
सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं वाली |
दुखिंयों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
माँ बेटे का है इस जग में, बड़ा ही निर्मल नाता |
पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता ||
 
सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली |
दुखियों के दुखडे निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
 
नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना |
हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना ||
 
सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली |
सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
 
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||