July 29, 2025 Blog

Karwa Chauth Aarti: करवा चौथ पूजा के बाद करवा माता की आरती करने से सफल होती है पूजा

BY : Kartik Sharma – Vedic Chanting Expert & Content Curator

Karwa Chauth Aarti: भारत की सांस्कृतिक धरोहर में कुछ त्योहार ऐसे हैं जो सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि रिश्तों का उत्सव होते हैं। करवा चौथ ऐसा ही एक पर्व है, जो विशेष रूप से विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। करवा चौथ सिर्फ उपवास रखने का पर्व नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा दिन है जब महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलती हैं।

इस दिन महिलाएं अपने पति की व्रत की पूर्णता केवल चंद्र दर्शन और अर्घ्य तक सीमित नहीं होती — आरती इसका अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दिन पूजा के अंत में की जाने वाली आरती का विशेष महत्व होता है, जो पूजा को पूर्ण बनाती है और मां गौरी व भगवान शिव की कृपा पाने का माध्यम बनती है। इस लेख में आपको करवा चौथ की पारंपरिक आरती (Karwa Chauth Aarti Lyrics) का संपूर्ण पाठ, उसका भावार्थ और आरती करते समय ध्यान में रखने वाली ज़रूरी बातें मिलेंगी, ताकि आपकी पूजा न सिर्फ विधिपूर्वक हो, बल्कि उसमें सच्ची भक्ति और भाव भी झलके।


!! करवा चौथ आरती के बोल !!

!! Karwa Chauth Aarti Lyrics !!

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया।

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।
 

करवा चौथ की आरती का महत्व (Importance Of Karwa Chauth Aarti)

करवा चौथ की आरती केवल एक धार्मिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि नारी शक्ति की भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति है। इस दिन की आरती:

  • मां गौरी से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिलवाती है।

  • पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और ऊर्जा को बढ़ावा देती है।

  • मन, वचन और कर्म से किया गया यह पाठ मां पार्वती को अर्पित होता है, जिन्हें सौभाग्य की देवी माना गया है।

आरती करने से व्रत में पुण्य की प्राप्ति होती है और आराधना पूर्ण मानी जाती है।

आरती करने का सही समय (Right Time Of Aarti)

करवा चौथ की आरती आमतौर पर चंद्रमा को अर्घ्य देने के तुरंत बाद की जाती है। जब महिलाएं चलनी से चांद को देखकर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती हैं, उसी क्रम में आरती की थाली सजाकर मां गौरी, भगवान शिव और करवा माता की आरती की जाती है।

हालांकि, कुछ परिवारों में आरती चंद्र दर्शन से पहले, कथा के बाद भी की जाती है। दोनों ही परंपराएं मान्य हैं, लेकिन आरती का भाव और श्रद्धा सबसे आवश्यक है।

आरती कैसे करें: विधि और तैयारी (Method Of Karwa Chauth Aarti)

आरती से पहले व्रती महिलाएं साफ सुथरे वस्त्र पहनती हैं (अधिकतर लाल या पीले रंग के)। फिर पूजा थाली को इस तरह सजाया जाता है:

  • एक जलता हुआ दीपक

  • कुछ रोली या सिंदूर

  • चावल, पुष्प

  • मिठाई (कभी-कभी गेहूं से बना करवा भी)

  • आरती की पुस्तक या प्रिंटेड आरती का पन्ना

आरती (Karwa Chauth Aarti) करते समय थाली को गोल-गोल घुमाते हुए माता के नाम का स्मरण करते हैं। साथ में महिलाएं आरती गाती हैं — समूह में आरती गाना विशेष पुण्यदायक माना जाता है।

आरती का सरल अर्थ (Meaning Of Karwa Chauth Aarti)

आरती की हर पंक्ति में करवा माता और मां पार्वती से यह निवेदन किया जाता है कि वे अपने आशीर्वाद से पति की दीर्घायु, वैवाहिक सुख और घर की समृद्धि बनाए रखें।
यह आरती स्त्री की उस आंतरिक शक्ति और प्रेम की अभिव्यक्ति है जो परिवार के हर सदस्य को जोड़ कर रखती है।

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करवा चौथ आरती: श्रद्धा से भरी एक प्रार्थना

करवा चौथ की आरती (Karwa Chauth mata ki Aarti) नारी शक्ति की श्रद्धा, प्रेम और परिवार के प्रति समर्पण की सुगंध है। यह केवल एक मंत्र या गीत नहीं, बल्कि भावों की ऐसी धारा है जो मां गौरी और शिवजी तक सीधा संदेश पहुंचाती है। आरती के माध्यम से जब महिलाएं मां के सामने अपनी प्रार्थनाएं अर्पित करती हैं, तो वह शक्ति रूपी मां हर संकट से उनकी रक्षा करती हैं।

तो इस करवा चौथ, केवल व्रत ही नहीं, भावपूर्वक आरती भी करें। अपने मन को भक्ति से भरें और प्रेम के इस पर्व को आराधना से पूर्ण करें।

करवा चौथ की आरती से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

  1. अगर आरती की किताब न हो तो क्या करें?
    A. आप हमारे द्वारा दिया गया आरती पाठ प्रिंट कर सकते हैं या मोबाइल से पढ़ सकते हैं। ऑडियो विकल्प भी उपलब्ध है।

  2. क्या आरती अकेले गाई जा सकती है?
    A. हां, आरती अकेले भी गाई जा सकती है। लेकिन सामूहिक रूप से गाने से वातावरण में और अधिक सकारात्मक ऊर्जा आती है।

  3. यदि किसी कारणवश आरती न हो पाए तो क्या व्रत अधूरा माना जाएगा?
    A. नहीं, यदि सच्चे मन से व्रत किया गया है और आरती मन में गाई जाए या स्मरण किया जाए, तब भी उसका पुण्य मिलता है।

  4. आरती करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
    A. आरती करते समय एकाग्रता, श्रद्धा और भक्ति जरूरी है। थाली को तीन या सात बार घुमाएं और हर पंक्ति को भावना से गाएं।

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Author: Kartik Sharma – Vedic Chanting Expert & Content Curator

Kartik Sharma, with 8 years’ experience in Vedic chanting, curates authentic Aartis, Chalisas, and Mantras, offering devotees accurate lyrics, meanings, and spiritual depth for devotional practice.