Diwali Aarti: दीपावली के शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी और रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है। शाम के समय दीप जलाकर लक्ष्मी-गणेश की आरती करने से घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है।
इसके साथ ही, दिवाली की पूजा (Diwali Puja) में भगवान हनुमान, मां सरस्वती और “ओम जय जगदीश हरे” आरती का पाठ करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। हनुमान जी की आरती का विशेष महत्व है क्योंकि कुछ परंपराओं में इसी दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है।
ध्यान रखें — आरती (Diwali Aarti) हमेशा सम संख्या में करनी चाहिए। यानी तीन आरतियां कभी नहीं करें; या तो दो करें या फिर पांच।
यहां पढ़ें — मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर जी, सरस्वती माता और “ओम जय जगदीश हरे” की आरतियां।
Maa Laxmi Ji Ki Aarti: दीपावली के शुभ अवसर पर माता लक्ष्मी की आरती करना अत्यंत मंगलकारी माना जाता है। कहा जाता है कि जो भक्त श्रद्धा से लक्ष्मी जी की आरती करते हैं, उनके जीवन में धन, सुख और शांति बनी रहती है। यह आरती न केवल समृद्धि का वरदान देती है, बल्कि घर-परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और शुभता का वातावरण भी बनाए रखती है।

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!! माँ लक्ष्मी जी की आरती !!
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन
सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत,
मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।
Shree Ganesh Ji Ki Aarti: दीपावली के पावन अवसर पर भगवान गणेश की आरती “जय गणेश जय गणेश देवा” का गायन करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस आरती (Diwali Aarti) से बुद्धि में वृद्धि होती है और गणेशजी की अनंत कृपा प्राप्त होती है। दीपावली पर गणेशजी की आरती करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है, सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में समृद्धि एवं खुशहाली आती है। गणेशजी का आशीर्वाद हमारे हर कार्य को मंगलमय बनाता है।
!! गणेश जी की आरती !!
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा ॥
Vishnu Ji Ki Aarti: दिवाली के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा करना भक्तों के लिए भौतिक सुख-संपत्ति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलता है, जैसे कि देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस दिन दीपावली की आरती (Diwali Aarti) इसलिए की जाती है ताकि घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे, अंधकार दूर हो और सुख-शांति एवं समृद्धि बनी रहे। यह आरती भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी दोनों को प्रसन्न करने का एक सुंदर माध्यम है।
!! विष्णु जी की आरती !!
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
Maa Saraswati Ji Ki Aarti: जय सरस्वती माता — यह मां सरस्वती जी की एक प्राचीन और अत्यंत लोकप्रिय आरती है। माना जाता है कि इस आरती का नियमित रूप से पाठ करने से मां सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में ज्ञान, बुद्धि व वाणी की शक्ति बढ़ती है। बसंत पंचमी के साथ-साथ दीपावली के दिन भी मां सरस्वती की आरती (Diwali Aarti) अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के साथ मां सरस्वती की पूजा करने से घर में धन, ज्ञान और सौभाग्य तीनों का संगम होता है।

!! माँ सरस्वती जी की आरती !!
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय.....
चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥ जय.....
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥ जय.....
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥ जय.....
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥ जय.....
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥ जय.....
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥ जय.....
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय.....
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥ जय.....
Kuber Ji Ki Aarti : रावण के सौतेले भाई और देवताओं के धनाध्यक्ष भगवान कुबेर, यक्षों के राजा के रूप में पूजे जाते हैं। धनतेरस और दीपावली के दिन कुबेर जी की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि “ॐ जय यक्ष कुबेर हरे” की आरती और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। इस दिन श्रद्धापूर्वक कुबेर पूजन, मंत्र जाप और आरती करने से धन के साथ स्थायी समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
!! कुबेर जी की आरती !!
ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे, स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे ।
शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे ।
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े, स्वामी भक्त कुबेर बड़े ।
दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे ।
योगिनी मंगल गावैं, सब जय जय कार करैं ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे ।
दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करें ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने, स्वामी व्यंजन बहुत बने ।
मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
बल बुद्धि विद्या दाता, हम तेरी शरण पड़े, स्वामी हम तेरी शरण पड़े ।
अपने भक्त जनों के, सारे काम संवारे ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
मुकुट मणी की शोभा, मोतियन हार गले, स्वामी मोतियन हार गले ।
अगर कपूर की बाती, घी की जोत जले ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
यक्ष कुबेर जी की आरती, जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे ।
कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे ॥
॥ ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे...॥
निष्कर्ष
दीपावली न केवल रोशनी और खुशियों का त्योहार है, बल्कि यह दिव्य शक्तियों के प्रति आस्था और कृतज्ञता का प्रतीक भी है। इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा के साथ कुबेर जी, मां सरस्वती और “ओम जय जगदीश हरे” की आरती (Diwali Aarti) करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। सही विधि से की गई आराधना नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर घर में सकारात्मकता और मंगलमय वातावरण लाती है।