Kuber Ji Ki Aarti: जिस प्रकार माता लक्ष्मी को धन प्रदायिनी देवी कहा जाता है, उसी प्रकार भगवान कुबेर जी को समस्त देवताओं के धन के रखवाले यानी कोषाध्यक्ष के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि मां लक्ष्मी ने धन और वैभव से जुड़ी जिम्मेदारी कुबेर जी को सौंपी है। इसलिए वे धन के देवता कहलाते हैं।
धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए लोग लक्ष्मी माता के साथ भगवान कुबेर की भी विधिपूर्वक पूजा करते हैं। खासतौर पर धनतेरस के दिन दोनों की आराधना करना बेहद शुभ माना जाता है।
अगर आप अपने जीवन में आर्थिक समृद्धि चाहते हैं तो रोजाना भगवान कुबेर के मंत्र का 108 बार जाप करें और फिर उनकी आरती (Kuber Aarti) करें। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में धन से जुड़ी परेशानियों में धीरे-धीरे सुधार आने लगता है।
कुबेर देव को समर्पित आहुति देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें:
जपतामुं महामन्त्रं होमकार्यो दिने दिने
दशसंख्य: कुबेरस्य मनुनेध्मैर्वटोद्भवै
"हर दिन अग्नि में हवन के लिए कुबेर के इस महा मंत्र का जाप करें, और उन्हें वटवृक्ष की लकड़ियों से दस बार आहुति अर्पित करें।"
यह मंत्र बताता है कि भगवान कुबेर की कृपा प्राप्त करने हेतु प्रतिदिन उनकी स्तुति करते हुए विशिष्ट विधि से हवन करना चाहिए।
हिंदू धर्म में भगवान कुबेर को धन, वैभव और समृद्धि के देवता माना गया है। वे देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं और धन की देवी माता लक्ष्मी के धन संबंधी कार्यों के प्रमुख अधिकारी भी। पुराणों के अनुसार, भगवान कुबेर उत्तर दिशा के स्वामी हैं और अलकापुरी में उनका भव्य महल है। वे एक ऐसे देवता हैं जो केवल भौतिक समृद्धि ही नहीं, बल्कि स्थायित्व और सुरक्षा का भी प्रतीक माने जाते हैं।
भगवान कुबेर की आरती करने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक स्थिरता आती है। यदि किसी के जीवन में धन की तंगी है, लगातार खर्च बढ़ते जा रहे हैं, या कमाई टिक नहीं रही — तो कुबेर जी की आरती और पूजा करने से सकारात्मक बदलाव देखा जा सकता है।
कहा जाता है कि जब माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर दोनों की पूजा की जाती है, तो केवल धन ही नहीं, उसकी रक्षा और वृद्धि भी होती है।
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कुबेर जी की पूजा करते समय मन साफ़ और भावना शुद्ध होनी चाहिए। केवल धन की कामना नहीं, उसका सदुपयोग और दान का भाव भी ज़रूरी है। तभी कुबेर जी की कृपा स्थायी रूप से जीवन में बनी रहती है।
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