Har Har Mahadev Aarti: "हर हर हर महादेव" भगवान शिव की अपार महिमा और उनके विविध रूपों का गुणगान करने वाला एक दिव्य स्तोत्र है। यह स्तोत्र शिव के सनातन, अनंत और परम सत्य स्वरूप को प्रकट करता है। शिव, जो त्रिमूर्ति में सृजन, पालन और संहार के प्रतीक हैं, इस स्तोत्र के माध्यम से भक्तों द्वारा पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ स्मरण किए जाते हैं।
इस आरती (Har Har Mahadev Aarti) में भगवान शिव के योगी, वैरागी, औघड़दानी और करुणामय स्वरूप का सुंदर वर्णन किया गया है। उनके चिता भस्म से विभूषित शरीर, त्रिनयन, मुण्डमाल और कालस्वरूप की दिव्यता को प्रकट किया गया है। यह स्तोत्र भक्तों के लिए भक्ति, शांति और आनंद का अटूट स्रोत है।
भगवान शिव को समर्पित विशेष अवसरों और त्योहारों पर उनकी आरती गाई जाती है। हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शिव त्रिमूर्ति में संहारक के रूप में पूज्य हैं। वे योगियों के आराध्य देव माने जाते हैं और कैलाश पर्वत पर तपस्वी जीवन व्यतीत करते हैं। भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है, जैसे—महादेव, पशुपति, भैरव, विश्वनाथ, भोलेनाथ, शंभू और शंकर। वे ब्रह्मांडीय नर्तक भी हैं और नटराज के रूप में नृत्यकला के देवता माने जाते हैं। आगे जानिए भगवान शिव की आरती (Har Har Mahadev Aarti)…
हर हर हर महादेव !
सत्य, सनातन, सुंदर, शिव सबके स्वामी ।
अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
आदि अनंत, अनामय, अकल, कलाधारी ।
अमल, अरूप, अगोचर, अविचल अघहारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर, तुम त्रिमूर्तिधारी ।
कर्ता, भर्ता, धर्ता, तुम ही संहारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
रक्षक, भक्षक, प्रेरक, तुम औढरदानी ।
साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता अभिमानी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
मणिमय भवन निवासी, अति भोगी, रागी ।
सदा मसानबिहारी, योगी वैरागी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
छाल, कपाल, गरल, गल, मुंडमाल व्याली ।
चिताभस्म तन, त्रिनयन, अयन महाकाली ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
प्रेत-पिशाच, सुसेवित, पीत जटाधारी ।
विवसन, विकट रूपधर, रुद्र प्रलयकारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
शुभ्र, सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी ।
अतिकमनीय, शान्तिकर, शिव मुनि मन हारी ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
निर्गुण, सगुण, निरंजन, जगमय नित्य प्रभो ।
कालरूप केवल, हर कालातीत विभो ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
सत-चित-आनँद, रसमय, करुणामय, धाता ।
प्रेम-सुधा-निधि, प्रियतम, अखिल विश्व-त्राता ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
हम अति दीन, दयामय, चरण-शरण दीजै ।
सब विधि निर्मल मति, कर अपना कर लीजै ॥
ॐ हर हर हर महादेव..॥
सत्य, सनातन, सुंदर, शिव सबके स्वामी ।
अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी ॥
भगवान शिव की आराधना के दौरान कुछ विशेष सावधानियों का पालन करना आवश्यक होता है। शिवलिंग पर भांग, धतूरा, चंदन, दूध और बेलपत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। हालांकि, कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जिन्हें शिवलिंग पर चढ़ाने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे भगवान शिव अप्रसन्न हो सकते हैं। पूजा के दौरान केतकी के फूल, हल्दी, तुलसी के पत्ते और नारियल का पानी शिवलिंग पर अर्पित करने से बचें, क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है और इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। (Har Har Mahadev Aarti)
भगवान शिव की पूजा के बाद आरती (Har Har Mahadev Aarti) का विशेष महत्व होता है। बिना आरती के पूजा अधूरी मानी जाती है, और बिना पूजा के आरती नहीं की जाती। हिंदू धर्म में सुबह और शाम, दिन में दो बार भगवान की आरती करने की परंपरा है। भक्त घी या तेल का दीपक जलाकर या कपूर से आरती करते हैं।
आरती के दौरान भक्त का मन पूरी तरह भगवान की भक्ति में लीन होना चाहिए। घी की ज्योति को आत्मा की ज्योति का प्रतीक मानकर आरती (Har Har Mahadev Aarti) करनी चाहिए। दिन में एक से पांच बार तक आरती की जा सकती है, लेकिन आमतौर पर घरों में सुबह और शाम दो बार आरती की जाती है। मान्यता के अनुसार, आरती से पहले भगवान शिव को प्रणाम कर तीन बार पुष्प अर्पित करना चाहिए। आरती समाप्त होने के बाद इसे हमेशा दोनों हथेलियों से ग्रहण करना चाहिए।
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