June 13, 2025 Blog

Badrinath Ji Ki Aarti : यहाँ पढ़े श्री बद्रीनाथ जी की आरती पवन मंद सुगंध शीतल

BY : STARZSPEAK

Badrinath Ji Ki Aarti: हिंदू धर्म में चार धाम विशेष महत्त्व बताया गया है जिसमे से ही एक है बद्रीनाथ धाम। यहाँ पर प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं, क्योंकि यह पवित्र स्थान भगवान विष्णु के दिव्य रूप "श्री बद्रीनाथ जी" को समर्पित है। बद्रीनाथ धाम न केवल भारत के चार धामों में शामिल है, बल्कि उत्तराखंड के चार प्रमुख धामों में भी इसकी विशेष जगह है।

ऐसी मान्यता है कि जो भी श्रद्धा और भक्ति के साथ बद्रीनाथ जी के दर्शन करता है, उसे भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। खास मौकों पर की गई आरती और पूजा न सिर्फ जीवन में शुभता लाती है, बल्कि भक्त के परिवार में सुख-समृद्धि और शांति भी भर देती है।

अगर कोई नियमित रूप से सुबह और शाम श्री बद्रीनाथ जी की आरती (Badrinath ji ki aarti) करता है या उसे श्रद्धा से गाता है, तो कहा जाता है कि जीवन के दुख धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं और मन को शांति मिलने लगती है। ऐसे में चलिए जानते हैं श्री बद्रीनाथ जी की आरती का संपूर्ण विवरण, जो हमें भगवान विष्णु की दिव्य अनुभूति से जोड़ता है।


!! श्री बद्रीनाथ जी की आरती !!

!! Shree Badrinath Ji Ki Aarti !!

पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम्
निकट गंगा बहत निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
शेष सुमिरन करत निशदिन धरत ध्यान महेश्वरम्।
वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम् ॥

पवन मंद सुगंध शीतल…
शक्ति गौरी गणेश शारद नारद मुनि उच्चारणम्।
जोग ध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।

पवन मंद सुगंध शीतल…
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर धूप दीप प्रकाशितम्।
सिद्ध मुनिजन करत जै जै बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।

badrinath ki aarti
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम्।
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।

पवन मंद सुगंध शीतल…
कैलाश में एक देव निरंजन शैल शिखर महेश्वरम्।
राजयुधिष्ठिर करत स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।

पवन मंद सुगंध शीतल…
श्री बद्रजी के पंच रत्न पढ्त पाप विनाशनम्।
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम् ‍।
 

बद्रीनाथ धाम की महिमा और यात्रा की शुरुआत

बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है और यह समुद्र तल से लगभग 10,279 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह तीर्थस्थान भगवान विष्णु को समर्पित है और हिंदू धर्म में इसे अत्यंत पवित्र स्थल माना गया है। बद्रीनाथ धाम को चार धाम और हिमालय के चार तीर्थों (चार धाम यात्रा: यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) में अंतिम पड़ाव माना जाता है।

हर साल बद्रीनाथ यात्रा अक्षय तृतीया के शुभ दिन से शुरू होती है, जब मंदिर के कपाट विधिवत रूप से खोले जाते हैं। यात्रा अक्टूबर या नवंबर के महीने तक चलती है, और भैया दूज के दिन मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं।


बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलने और बंद होने का समय (2025)

  • कपाट खुलने की तिथि: 4 मई 2025

  • कपाट बंद होने की संभावित तिथि: 6 नवंबर  2025 

(नोट: ये तिथियाँ पंचांग और परंपरा अनुसार हर वर्ष थोड़ी बदल सकती हैं)

बद्रीनाथ जी की आरती – समय और महत्व (Timing Of Badrinath ji ki Aarti)

बद्रीनाथ मंदिर में प्रतिदिन पूजा और आरती का विशेष महत्व होता है। मंदिर में दिन की शुरुआत और समापन भगवान विष्णु की भव्य आरती से होती है। यहाँ की आरती न सिर्फ आध्यात्मिक शांति देती है, बल्कि भक्तों को भगवान बद्रीविशाल की दिव्यता का अनुभव कराती है।

badrinath ji ki aarti

यह भी पढ़ें - यहाँ पढ़े Har Har Mahadev Aarti : Satya, Sanatan, Sundar Lyrics


आरती का समय – (प्रतिदिन) (Badrinath Ji Ki Aarti Time) 
  1. प्रभात आरती (सुबह की आरती): प्रातः 4:30 बजे के आसपास
  • मंदिर खुलते ही भगवान की मंगल स्नान पूजा और भोग अर्पण होता है, जिसके बाद आरती होती है।
  • शयन आरती (रात की आरती): रात्रि 8:30 बजे के आसपास
    • भगवान को शयन कराया जाता है और दिनभर की पूजा-सेवा के बाद अंतिम आरती की जाती है।

    इन आरतियों में हिस्सा लेने के लिए श्रद्धालु सुबह-सुबह मंदिर पहुंचते हैं और शांत वातावरण में मंत्रोच्चार और शंखध्वनि के साथ प्रभु के दर्शन करते हैं। यहाँ की आरती (Badrinath aarti) में भाग लेना एक दिव्य अनुभव होता है, जो मन और आत्मा दोनों को सुकून देता है।

    बद्रीनाथ धाम से जुड़ी कुछ खास बातें

    • बद्रीनाथ धाम अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है।
    • कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने यहां तपस्या की थी और माँ लक्ष्मी ने उन्हें ठंड से बचाने के लिए बड़ के पेड़ (बद्री वृक्ष) का रूप लिया।
    • मंदिर में स्थित शालिग्राम शिला से बने विष्णु भगवान के विग्रह को बद्री नारायण कहा जाता है।
    • शीतकाल में जब मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तब जोशीमठ में भगवान बद्रीनाथ की पूजा होती है।

    बद्रीनाथ यात्रा के दौरान भक्त क्या अनुभव करते हैं?

    बद्रीनाथ की यात्रा केवल एक तीर्थयात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की यात्रा है। ऊँचे पहाड़, बर्फ से ढके शिखर, शुद्ध हवा और अलकनंदा की बहती धारा के बीच जब कोई भक्त भगवान विष्णु के दर्शन करता है, तो उसे भीतर से एक नई ऊर्जा और शांति का अनुभव होता है। वहाँ की आरती (Badrinath ki aarti) , मंदिर की घंटियों की ध्वनि और श्रद्धालुओं का समर्पण—ये सब मिलकर एक दिव्य वातावरण बनाते हैं।

    निष्कर्ष

    बद्रीनाथ की आरती (Badrinath ki aarti) केवल पूजा की विधि नहीं है, यह हमारे मन को प्रभु के प्रति समर्पित करने का माध्यम है। जो भी सच्चे भाव से इस आरती में सम्मिलित होता है, वह भगवान बद्रीविशाल की कृपा से जीवन की कठिनाइयों से उबरने की शक्ति प्राप्त करता है। इसलिए यदि आप बद्रीनाथ यात्रा पर जाएं, तो आरती में जरूर भाग लें और इस अलौकिक अनुभव को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं।

    यह भी पढ़ें - Aditya Hridaya Stotra: आदित्यहृदय स्तोत्र के पाठ से मिलती है रोग से मुक्ति