May 23, 2025 Blog

Badrinath Ashtakam Stotram: सभी कार्यो की सिद्धि के लिए पढ़े बद्रीनाथ अष्टकम स्तोत्र पाठ

BY : STARZSPEAK

Badrinath Ashtakam Stotram: बद्रीनाथ अष्टकम एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो भगवान विष्णु के बद्रीनाथ रूप की स्तुति करता है। यह स्तोत्र उन श्रद्धालुओं के लिए एक दिव्य माध्यम है जो अपने जीवन में शांति, भक्ति, और आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं।

इसे श्रद्धा और नियमितता से पढ़ने से जीवन की हर कठिनाई का समाधान मिल सकता है। यह स्तोत्र न सिर्फ मन को शांति और दिल को सुकून देता है, बल्कि सुख, समृद्धि और सफलता भी जीवन में लाता है। माना जाता है कि जो भक्त नित्य इस दिव्य स्तोत्र का पाठ करता है, उसे अंततः विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। बद्रीनाथ धाम, जो चार प्रमुख धामों में से एक है, वहीं भगवान श्री बदरीविशाल अपनी दिव्य मुद्रा में विराजमान हैं और भक्तों को कृपा प्रदान करते हैं।

बद्रीनाथ अष्टकम का महत्त्व (Importance Of Badrinath Ashtakam Stotram

बद्रीनाथ अष्टकम आठ श्लोकों वाला एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जिसे विशेष रूप से भगवान बद्रीनारायण की महिमा का गुणगान करने के लिए रचा गया है। यह स्तोत्र बताता है कि कैसे भगवान विष्णु ने तपस्या के लिए हिमालय की गोद में बद्रीवन को अपना निवास स्थान बनाया।

बद्रीनाथ धाम को चार धामों में से एक माना जाता है और इसे मुक्ति का द्वार कहा गया है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भक्त को ऐसा ही पुण्य मिलता है जैसे स्वयं बद्रीनाथ धाम की यात्रा करने पर मिलता है।

!! बद्रीनाथ अष्टकम स्तोत्र पाठ !!

!! Badrinath Ashtakam Stotram Lyrics !!
 

भू-वैकुण्ठकृतावासं देवदेवं जगत्पतिम्।
चतुर्वर्गप्रदातारं श्रीबद्रीशं नमाम्यहम्।।


तापत्रयहरं साक्षाच्छान्तिपुष्टिबलप्रदम्।
परमानन्ददातारं श्रीबद्रीशं नमाम्यहम्।।

सद्य: पापक्षयकरं सद्य: कैवल्यदायकम्।
लोकत्रयविधातारं श्रीबद्रीशं नमाम्यहम्।।

badrinath ashtakam lyrics
 
भक्तवाञ्छाकल्पतरुं करुणारसविग्रहम्।
भवाब्धिपारकर्तारं श्रीबद्रीशं नमाम्यहम्।।
 
सर्वदेवनुतं शश्वत् सर्वतीर्थास्पदं विभुम्।
लीलयोपात्तवपुषं श्रीबद्रीशं नमाम्यहम्।।
 
अनादिनिधनं कालकालं भीमयमच्युतम्।
सर्वाश्चर्यमयं देवं श्रीबद्रीशं नमाम्यहम्।।
 
गन्धमादनकूटस्थं नरनारायणात्मकम्।
बदरीखण्डमध्यस्थं श्रीबद्रीशं नमाम्यहम्।।
 
शत्रूदासीनमित्राणां सर्वज्ञं समदर्शिनम्।
ब्रह्मानन्दचिदाभासं श्रीबद्रीशं नमाम्यहम्।।
 
श्रीबद्रीशाष्टकमिदं य: पठेत्प्रयत: शुचि:।
सर्वपापविनिर्मुक्त: स शान्तिं लभते पराम्।।
(समाप्त)

बद्रीनाथ अष्टकम के पाठ के लाभ (Benefits Of Badrinath Ashtakam Stotram)

  1. आध्यात्मिक शांति: इस स्तोत्र का पाठ मन को शांत करता है और आत्मा को गहराई से जोड़ता है।

  2. पापों का नाश: पूर्व जन्मों और इस जन्म के जाने-अनजाने में किए गए पापों का क्षय होता है।

  3. बाधाओं से मुक्ति: जीवन की समस्याएँ, रोग, भय और मानसिक तनाव दूर होते हैं।

  4. धार्मिक पुण्य: यह स्तोत्र पढ़ने से वैसा ही पुण्य प्राप्त होता है जैसा तीर्थ यात्रा करने से मिलता है।

  5. भक्ति में दृढ़ता: यह स्तोत्र भगवान विष्णु के प्रति भक्ति को गहरा करता है और भक्त को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है।

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बद्रीनाथ अष्टकम का पाठ कब करें? (When to recite Badrinath Ashtakam?) 

  • विशेष रूप से इसका पाठ बद्रीनाथ यात्रा के समय, अक्षय तृतीया, वैकुण्ठ एकादशी, श्री विष्णु जयंती या किसी विष्णु विशेष पर्व पर करें।

  • प्रतिदिन सुबह स्नान कर शुद्ध भाव से इस स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

  • यदि आप किसी मानसिक या पारिवारिक समस्या से गुजर रहे हैं, तो लगातार 11 दिन तक इसका पाठ करें।

  • बद्रीनाथ मंदिर की तस्वीर या विष्णु भगवान के समक्ष बैठकर इसका पाठ करें।

पाठ विधि

  1. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. भगवान विष्णु या बद्रीनाथ जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।

  3. तुलसी पत्र, अक्षत, पीला फूल और पंचामृत अर्पित करें।

  4. शांति से बैठकर बद्रीनाथ अष्टकम (Badrinath Ashtakam) का श्रद्धा से पाठ करें।

मंत्र शक्ति

बद्रीनाथ अष्टकम (Badrinath Ashtakam Stotram lyrics) में जो आठ श्लोक हैं, उनमें भगवान विष्णु के योगी स्वरूप, करुणामयी दृष्टि, तपस्वी भाव, और मुक्तिदायक महिमा का वर्णन किया गया है। यह श्लोक न केवल सुनने में सुंदर लगते हैं, बल्कि इनकी ध्वनि तरंगें सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करती हैं।

निष्कर्ष

बद्रीनाथ अष्टकम स्तोत्र (Badrinath Ashtakam Stotram) एक ऐसा दिव्य भजन है जो साधक को भगवान विष्णु की कृपा और शरण में ले जाता है। यह ना केवल हमारी आत्मा को शुद्ध करता है, बल्कि हमारे चारों ओर की नकारात्मक ऊर्जा को भी दूर करता है। अगर आप एक सरल और प्रभावशाली स्तुति की तलाश में हैं, तो यह स्तोत्र आपके लिए सर्वोत्तम है।

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