Dashrath Krit Shani Stotra Pdf: शनिवार का दिन शनिदेव की उपासना और उनकी कृपा पाने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। खासतौर पर कार्तिक महीने के पहले शनिवार को अगर कोई श्रद्धा और विश्वास के साथ दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ करता है, तो शनिदेव प्रसन्न होकर विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दुष्प्रभाव काफी हद तक कम हो जाते हैं।
फिलहाल शनि की साढ़ेसाती मकर, कुंभ और धनु राशि वालों पर चल रही है, जबकि मिथुन और तुला राशि के जातक ढैय्या का अनुभव कर रहे हैं। ऐसे में दशरथ द्वारा रचित यह स्तोत्र (Dashrath Krit Shani Stotra Lyrics) शांति और समाधान का मार्ग बन सकता है। इसे भाव से पढ़ने से शनिदेव की कृपा बनी रहती है और जीवन में आने वाली अड़चनें भी धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं।
!! दशरथ कृत शनि स्तोत्र !!
!! Dashrath Krit Shani Stotra !!
दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥
रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् ।
सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥
याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं ।
एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥
प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा ।
पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥
शनि स्तोत्र :
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ।।
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घायशुष्काय कालदष्ट्र नमोऽस्तुते।।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुखायनमोऽस्तुते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।।
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तुते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निरिस्त्रणाय नमोऽस्तुते।।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्घविद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशंयान्ति समूलत:।।
प्रसाद कुरुमे देव वाराहोऽहमुपागत।
एवं स्तुतस्तद सौरिग्र्रहराजो महाबल:।।
दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम् ।
अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित् ॥
!! इति दशरथ कृत शनि स्तोत्र संपूर्णम। !!
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दशरथ कृत शनि स्तोत्र का जाप क्यों करें?
इस स्तोत्र (Dashrath Krit Shani Stotra in Hindi) का पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली अड़चनों को दूर करते हैं। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जिनकी कुंडली में शनि साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव चल रहा हो, या जिन्हें कार्यों में रुकावटें, कोर्ट-कचहरी, नौकरी में अड़चन, पारिवारिक अशांति या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हों।
इस स्तोत्र के जाप के लाभ (Benefits Of Recite Dashrath Krit Shani Stotra)
- शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के समय जो परेशानियां और मानसिक दबाव महसूस होते हैं, उनसे काफी हद तक राहत मिलती है।
- कठिन समय में मानसिक शक्ति और स्थिरता प्रदान करता है।
- यह मन से डर और नकारात्मक सोच को हटाकर अंदर एक सकारात्मक और शांत ऊर्जा का संचार करता है।
- धन-धान्य, नौकरी और व्यवसाय में सुधार लाता है।
- शनि देव की कृपा से जीवन में संतुलन, अनुशासन और मेहनत का फल मिलना तय होता है, जिससे व्यक्ति धीरे-धीरे सफलता की ओर बढ़ता है।
- कुंडली के अन्य दोष जैसे कर्म बाधा, अकारण अपयश, अवसाद आदि को भी शांत करता है।
इस स्तोत्र का जाप कब करें? (When To Chant This Dashrath Krit Shani Stotra)
- शनिवार के दिन इसका पाठ करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
- कार्तिक माह के पहले शनिवार को इसका विशेष फल प्राप्त होता है।
- प्रातः स्नान करके शनि मंदिर या घर में दीपक जलाकर इस स्तोत्र का पाठ करें।
- यदि शनि की दशा/अंतर्दशा चल रही हो, तो नित्य पाठ भी लाभकारी होता है।
- चाहें तो 43 दिनों तक लगातार पाठ करें, यह शनि की विशेष कृपा दिलाता है।
पाठ विधि:
- प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें।
- शुद्ध वस्त्र पहनकर शनि देव की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठें।
- काले तिल का दीपक जलाएं और नीले या काले फूल अर्पित करें।
- शांत मन से पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ स्तोत्र का पाठ करें।
- अंत में शनिदेव से क्षमा याचना और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
विशेष सुझाव:
- इस स्तोत्र का पाठ (Dashrath Krit Shani Stotra Lyrics) करते समय नीले वस्त्र पहनना शुभ होता है।
- शनिवार को तेल दान, काले वस्त्र दान और गरीबों को भोजन कराना भी शुभ फल देता है।
- पाठ करते समय मन में क्रोध, घृणा या अहंकार न रखें, शांत और भक्तिपूर्ण रहें।
निष्कर्ष:
दशरथ कृत शनि स्तोत्र (Dashrath Krit Shani Stotra in Hindi) न केवल एक भक्तिपूर्ण स्तुति है, बल्कि यह शनि देव की कृपा पाने का एक प्रभावशाली माध्यम भी है। जब जीवन में परेशानियाँ बार-बार सिर उठाने लगें, शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के कारण कठिन समय चल रहा हो, तब यह स्तोत्र व्यक्ति को आशा, मानसिक बल और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है। श्रद्धा और नियमपूर्वक इसका पाठ करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और जीवन के कष्टों को धीरे-धीरे समाप्त करते हैं। यदि सच्चे मन से शनि देव का स्मरण किया जाए और इस स्तोत्र को अपनाया जाए, तो निश्चित ही जीवन में स्थिरता, सफलता और शांति का अनुभव होता है।
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