July 24, 2025 Blog

Piplad Rishi Krit Shani Stotra: शनिवार को शनिदेव के इस स्तोत्र के पाठ से मिलते है चमत्कारिक परिणाम

BY : STARZSPEAK

Piplad Rishi Krit Shani Stotra: शनिवार का दिन खासतौर पर भगवान शनिदेव को समर्पित होता है। ज्योतिष के अनुसार, शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मों के अनुसार फल देने वाला माना गया है। यह भी माना जाता है कि वे हर व्यक्ति को उसके अच्छे या बुरे कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। ऐसे में जब किसी की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या कोई और अशुभ प्रभाव चल रहा होता है, तो शनिवार के दिन खास उपाय करके लोग शनिदेव को शांत और प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। इन्हीं उपायों में पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित “शनि स्तोत्र” का पाठ बहुत प्रभावशाली माना गया है।


पिप्पलाद ऋषिकृत शनि स्तोत्रं का महत्व (Importance Of Piplad Rishi Krit Shani Stotra)

पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचा गया शनि स्तोत्र एक बेहद प्रभावशाली प्रार्थना मानी जाती है, जो शनिदेव की कृपा पाने के लिए पढ़ा जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस स्तोत्र का श्रद्धा से पाठ करने पर शनिदेव के कारण आने वाले दुख और परेशानियां धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। इसके नियमित जप से जीवन में शांति, स्थिरता और सकारात्मकता का अनुभव होता है।

!! पिप्पलाद ऋषिकृत शनि स्तोत्रं !!

!! Piplad Rishi Krit Shani Stotra !!

य: पुरा नष्टराज्याय, नलाय प्रददौ किल ।
स्वप्ने तस्मै निजं राज्यं, स मे सौरि: प्रसीद तु ।।1।।

केशनीलांजन प्रख्यं, मनश्चेष्टा प्रसारिणम् ।
छाया मार्तण्ड सम्भूतं, नमस्यामि शनैश्चरम् ।।2।।

नमोsर्कपुत्राय शनैश्चराय, नीहार वर्णांजनमेचकाय ।
श्रुत्वा रहस्यं भव कामदश्च, फलप्रदो मे भवे सूर्य पुत्रं ।।3।।

नमोsस्तु प्रेतराजाय, कृष्णदेहाय वै नम: ।
शनैश्चराय ते तद्व शुद्धबुद्धि प्रदायिने ।।4।।

य एभिर्नामाभि: स्तौति, तस्य तुष्टो ददात्य सौ ।
तदीयं तु भयं तस्यस्वप्नेपि न भविष्यति ।।5।।

कोणस्थ: पिंगलो बभ्रू:, कृष्णो रोद्रोsन्तको यम: ।
सौरि: शनैश्चरो मन्द:, प्रीयतां मे ग्रहोत्तम: ।।6।।

नमस्तु कोणसंस्थाय पिंगलाय नमोsस्तुते ।
नमस्ते बभ्रूरूपाय कृष्णाय च नमोsस्तुते ।।7।।

नमस्ते रौद्र देहाय, नमस्ते बालकाय च ।
नमस्ते यज्ञ संज्ञाय, नमस्ते सौरये विभो ।।8।।

नमस्ते मन्दसंज्ञाय, शनैश्चर नमोsस्तुते ।
प्रसादं कुरु देवेश, दीनस्य प्रणतस्य च ।।9।।

शनि स्तोत्र (Piplad Rishi Krit Shani Stotra) का जाप करने के साथ अगर दशरथकृत शनि स्तवन का भी पाठ किया जाए, तो इसका असर और भी अधिक फलदायी माना जाता है। इससे शनि की कृपा जल्दी और दोगुनी मिलती है।

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शनि स्तोत्र पाठ करने की विधि  (Method of Reciting Piplad Rishi Krit Shani Stotra) 

पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित इस स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:

  • शनिदेव को नमन करें: पाठ के दौरान बार-बार मन ही मन शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

  • फूल और यंत्र का उपयोग: नीले या बैंगनी रंग के फूलों के साथ शनि यंत्र के सामने बैठकर जाप करें।

  • पीपल का वृक्ष: अगर शनि यंत्र उपलब्ध न हो, तो पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भी इस स्तोत्र का पाठ किया जा सकता है।

  • एकाग्रता: जाप करते समय मन को शांत रखें और शनिदेव की छवि मन में स्थापित करके ध्यान करते रहें।

पिप्पलाद ऋषि और राजा नल की कथा:

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब पिप्पलाद ऋषि स्वयं शनि की पीड़ा से ग्रस्त थे, तब उन्होंने इस स्तोत्र (Piplad Rishi Krit Shani Stotra) की रचना की थी। इसी स्तोत्र के प्रभाव से उन्हें शनि के दोषों से मुक्ति मिली। एक और उदाहरण राजा नल का है—जो शनि के प्रकोप के चलते सब कुछ खो चुके थे। लेकिन इसी स्तोत्र का नियमित पाठ करने से उन्होंने न केवल अपना खोया राज्य फिर से प्राप्त किया, बल्कि उनका भाग्य भी दोबारा चमक उठा। यह कथा इस बात का प्रमाण है कि शनि स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में वास्तविक रूप से राहत भी प्रदान करता है।


पिप्पलाद ऋषिकृत शनि स्तोत्रं के नियम (Rules of Piplad Rishi Krit Shani Stotra)

पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित इस प्रभावशाली शनि स्तोत्र का पाठ करते समय बार-बार मन ही मन शनिदेव को प्रणाम करते रहना चाहिए। यह पाठ शनि यंत्र के सामने नीले या बैंगनी फूल चढ़ाकर किया जाए तो और भी शुभ माना जाता है। अगर शनि यंत्र उपलब्ध न हो, तो आप यह स्तोत्र पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भी पूरी श्रद्धा से पढ़ सकते हैं। इस दौरान मन में शनिदेव का ध्यान बनाए रखना जरूरी है।

कहा जाता है कि पिप्पलाद ऋषि ने इस स्तोत्र (Piplad Rishi Krit Shani Stotra) की रचना शनि के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए की थी। राजा नल, जो शनि के प्रभाव से अपना सब कुछ खो चुके थे, उन्होंने भी इस स्तोत्र का नियमित पाठ किया और अपना खोया हुआ राज्य और वैभव वापस पाया। यह कथा इस स्तोत्र की शक्ति और श्रद्धा से किए गए जप के प्रभाव को दर्शाती है।


पिप्पलाद ऋषिकृत शनि स्तोत्रं के लाभ (Benefits Of Piplad Rishi Krit Shani Stotra)

पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित शनि स्तोत्रं का पाठ करने से शनि ग्रह के दोषों और उनके कारण जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र शनिदेव को प्रसन्न करता है और उनके कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या अन्य अशुभ प्रभाव कम होते हैं। नियमित श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करने पर व्यक्ति के दुर्भाग्य दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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शनिवार के आसान और लाभकारी उपाय

शनिवार का दिन शनिदेव को खुश करने और उनके अशुभ प्रभावों से राहत पाने के लिए बेहद खास माना जाता है। अगर आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या अन्य कोई शनि दोष चल रहा है, तो कुछ आसान और प्रभावी उपाय अपनाकर आप शनिदेव की कृपा पा सकते हैं:
  1. ज़रूरतमंदों की मदद करें:
    शनिवार को गरीबों, बुजुर्गों या जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े या दान देना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जीवन में आने वाली रुकावटें कम होती हैं।

  2. शनिदेव की पूजा करें:
    घर में या मंदिर में शनिदेव की मूर्ति या चित्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही, नीले या काले रंग के फूल चढ़ाएं। यह साधारण-सा उपाय भी शनिदेव की कृपा पाने में मदद करता है।

  3. काले तिल और उड़द का दान:
    शनिवार के दिन काले तिल और उड़द की दाल का दान करने से शनि दोष शांत होता है। आप यह दान किसी मंदिर में, गरीब को या ब्राह्मण को दे सकते हैं।

  4. लोहे की चीज़ें दान करें:
    लोहे की कील, अंगूठी, हांडी जैसी वस्तुएं दान करने से भी शनिदेव की नाराजगी कम होती है। यह उपाय विशेष रूप से शनि की साढ़ेसाती के समय लाभकारी होता है।

  5. पीपल के पेड़ की पूजा करें:
    शनिवार को पीपल के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें और उसकी सात बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से शनि की शांति होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।(Piplad Rishi Krit Shani Stotra) 

  6. हनुमान जी का स्मरण करें:
    शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना बेहद फलदायी माना गया है। क्योंकि हनुमान जी को शनि देव भी पूजते हैं, इसलिए उनकी उपासना करने से शनि के प्रकोप से मुक्ति मिलती है।

इन छोटे-छोटे उपायों को श्रद्धा और नियमितता से करने पर शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में चल रही परेशानियों में राहत मिलने लगती है।


निष्कर्ष

शनिवार को किए गए सरल उपाय और पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित शनि स्तोत्र (Piplad Rishi Krit Shani Stotra) का पाठ, शनिदेव की कृपा पाने का एक प्रभावशाली माध्यम माना जाता है। जब इन उपायों को पूरी आस्था और मन से किया जाए, तो व्यक्ति को जीवन की परेशानियों से राहत मिलने लगती है और धीरे-धीरे सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव होने लगता है। यह स्तोत्र (Piplad Rishi Krit Shani Stotra) सिर्फ शनि के दोषों को शांत करने में मदद नहीं करता, बल्कि जीवन में एक सकारात्मक बदलाव भी लेकर आता है। इसलिए, शनिवार को इस पाठ को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बेहद फलदायक साबित हो सकता है।

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