Piplad Rishi Krit Shani Stotra: शनिवार का दिन खासतौर पर भगवान शनिदेव को समर्पित होता है। ज्योतिष के अनुसार, शनिदेव को न्याय का देवता और कर्मों के अनुसार फल देने वाला माना गया है। यह भी माना जाता है कि वे हर व्यक्ति को उसके अच्छे या बुरे कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। ऐसे में जब किसी की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या कोई और अशुभ प्रभाव चल रहा होता है, तो शनिवार के दिन खास उपाय करके लोग शनिदेव को शांत और प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। इन्हीं उपायों में पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित “शनि स्तोत्र” का पाठ बहुत प्रभावशाली माना गया है।
पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचा गया शनि स्तोत्र एक बेहद प्रभावशाली प्रार्थना मानी जाती है, जो शनिदेव की कृपा पाने के लिए पढ़ा जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस स्तोत्र का श्रद्धा से पाठ करने पर शनिदेव के कारण आने वाले दुख और परेशानियां धीरे-धीरे दूर होने लगती हैं। इसके नियमित जप से जीवन में शांति, स्थिरता और सकारात्मकता का अनुभव होता है।
शनि स्तोत्र (Piplad Rishi Krit Shani Stotra) का जाप करने के साथ अगर दशरथकृत शनि स्तवन का भी पाठ किया जाए, तो इसका असर और भी अधिक फलदायी माना जाता है। इससे शनि की कृपा जल्दी और दोगुनी मिलती है।
यह भी पढ़ें - Dashrath Krit Shani Stotra: सभी समस्याओ एवं शनिदोष से बचाव के लिए करे इस स्तोत्र का पाठ
पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित इस स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए:
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब पिप्पलाद ऋषि स्वयं शनि की पीड़ा से ग्रस्त थे, तब उन्होंने इस स्तोत्र (Piplad Rishi Krit Shani Stotra) की रचना की थी। इसी स्तोत्र के प्रभाव से उन्हें शनि के दोषों से मुक्ति मिली। एक और उदाहरण राजा नल का है—जो शनि के प्रकोप के चलते सब कुछ खो चुके थे। लेकिन इसी स्तोत्र का नियमित पाठ करने से उन्होंने न केवल अपना खोया राज्य फिर से प्राप्त किया, बल्कि उनका भाग्य भी दोबारा चमक उठा। यह कथा इस बात का प्रमाण है कि शनि स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन में वास्तविक रूप से राहत भी प्रदान करता है।
पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित इस प्रभावशाली शनि स्तोत्र का पाठ करते समय बार-बार मन ही मन शनिदेव को प्रणाम करते रहना चाहिए। यह पाठ शनि यंत्र के सामने नीले या बैंगनी फूल चढ़ाकर किया जाए तो और भी शुभ माना जाता है। अगर शनि यंत्र उपलब्ध न हो, तो आप यह स्तोत्र पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर भी पूरी श्रद्धा से पढ़ सकते हैं। इस दौरान मन में शनिदेव का ध्यान बनाए रखना जरूरी है।
कहा जाता है कि पिप्पलाद ऋषि ने इस स्तोत्र (Piplad Rishi Krit Shani Stotra) की रचना शनि के कष्टों से मुक्ति पाने के लिए की थी। राजा नल, जो शनि के प्रभाव से अपना सब कुछ खो चुके थे, उन्होंने भी इस स्तोत्र का नियमित पाठ किया और अपना खोया हुआ राज्य और वैभव वापस पाया। यह कथा इस स्तोत्र की शक्ति और श्रद्धा से किए गए जप के प्रभाव को दर्शाती है।
पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित शनि स्तोत्रं का पाठ करने से शनि ग्रह के दोषों और उनके कारण जीवन में आने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र शनिदेव को प्रसन्न करता है और उनके कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या अन्य अशुभ प्रभाव कम होते हैं। नियमित श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करने पर व्यक्ति के दुर्भाग्य दूर होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
यह भी पढ़ें - Shree Shani Chalisa Pdf : पढ़े शनि चालीसा का पाठ और जानें इसको पढ़ने के क्या है फायदे?
इन छोटे-छोटे उपायों को श्रद्धा और नियमितता से करने पर शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में चल रही परेशानियों में राहत मिलने लगती है।
शनिवार को किए गए सरल उपाय और पिप्पलाद ऋषि द्वारा रचित शनि स्तोत्र (Piplad Rishi Krit Shani Stotra) का पाठ, शनिदेव की कृपा पाने का एक प्रभावशाली माध्यम माना जाता है। जब इन उपायों को पूरी आस्था और मन से किया जाए, तो व्यक्ति को जीवन की परेशानियों से राहत मिलने लगती है और धीरे-धीरे सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव होने लगता है। यह स्तोत्र (Piplad Rishi Krit Shani Stotra) सिर्फ शनि के दोषों को शांत करने में मदद नहीं करता, बल्कि जीवन में एक सकारात्मक बदलाव भी लेकर आता है। इसलिए, शनिवार को इस पाठ को अपनी दिनचर्या में शामिल करना बेहद फलदायक साबित हो सकता है।
यह भी पढ़ें - Shani Gochar 2025 : क्या होता है शनि का गोचर इस साल किन राशियों की चमकेगी किस्मत