February 25, 2025 Blog

Aditya Hridaya Stotra: आदित्यहृदय स्तोत्र के पाठ से मिलती है रोग से मुक्ति

BY : STARZSPEAK

Aditya Hridaya Stotra: आदित्य हृदयम् सूर्य देव की स्तुति में रचा गया एक शक्तिशाली मंत्र संग्रह है, जिसे वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड में लिखा गया है। जब श्रीराम, रावण से युद्ध के लिए रणभूमि में आमने-सामने खड़े थे, तब ऋषि अगस्त्य ने उन्हें सूर्य देव की उपासना करने का सुझाव दिया।

इस स्तोत्र में कुल 30 श्लोक हैं, जिन्हें छह भागों में विभाजित किया गया है। माना जाता है कि इन मंत्रों के जाप से आत्मविश्वास, ऊर्जा और सफलता प्राप्त होती है। आधुनिक समय में भी लोग नौकरी में तरक्की, धन, प्रसन्नता और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ (Aditya Hridaya Stotra In Hindi) करते हैं। विशेष रूप से पौष माह में इसका प्रतिदिन जाप अत्यंत शुभ माना जाता है।

Aditya Hridaya Stotra:
सूर्य देव को समस्त सौर मंडल और ग्रहों का अधिपति माना जाता है। जिनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, वे जीवन में तेजी से उन्नति करते हैं, समस्याओं से मुक्ति पाते हैं और उनके व्यक्तित्व में तेजस्विता आ जाती है। यदि आप भी सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो रविवार के दिन स्नान करने के पश्चात सूर्य देव को जल चढ़ाये और आदित्य हृदय स्तोत्र का जप (Aditya Hridaya Stotra Lyrics) करें। 

यह स्तोत्र सूर्य देव को प्रसन्न करने का एक प्रभावशाली माध्यम है। हालांकि, प्रतिदिन स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है, लेकिन यदि आप इसे रोज़ नहीं कर पाते, तो रविवार के दिन विशेष रूप से प्रार्थना और स्तोत्र पाठ अवश्य करें। यहां पढ़ें आदित्य हृदय स्तोत्र...


!! Aditya Hridaya Stotra Lyrics !!


!! आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ !! 


विनियोग

ॐ अस्य आदित्य हृदयस्तोत्रस्यागस्त्यऋषिरनुष्टुपछन्दः, आदित्यहृदयभूतो

भगवान ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्मविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः।


ऋष्यादिन्यास


ॐ अगस्त्यऋषये नमः, शिरसि। अनुष्टुपछन्दसे नमः, मुखे। आदित्यहृदयभूतब्रह्मदेवतायै नमः हृदि।

ॐ बीजाय नमः, गुह्ये। रश्मिमते शक्तये नमः, पादयो:। ॐ तत्सवितुरित्यादिगायत्रीकीलकाय नमः नाभौ।


करन्यास

ॐ रश्मिमते अंगुष्ठाभ्यां नमः। ॐ समुद्यते तर्जनीभ्यां नमः।

ॐ देवासुरनमस्कृताय मध्यमाभ्यां नमः। ॐ विवस्‍वते अनामिकाभ्यां नमः।

ॐ भास्कराय कनिष्ठिकाभ्यां नमः। ॐ भुवनेश्वराय करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।


हृदयादि अंगन्यास

ॐ रश्मिमते हृदयाय नमः। ॐ समुद्यते शिरसे स्वाहा। ॐ देवासुरनमस्कृताय शिखायै वषट्।

ॐ विवस्वते कवचाय हुम्। ॐ भास्कराय नेत्रत्रयाय वौषट्। ॐ भुवनेश्वराय अस्त्राय फट्।

इस प्रकार न्यास करने के बाद, निम्नलिखित मंत्र के माध्यम से भगवान सूर्य का ध्यान करें और उन्हें नमन करें।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।


Aditya Hridaya Stotra


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!! आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ !!

!! Aditya Hridaya Stotra Lyrics !!

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्‌ ।

रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्‌ ॥1॥

दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्‌ ।

उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा ॥2॥

हिंदी अनुवाद: श्री रामचंद्रजी युद्ध की थकान और चिंता में रणभूमि में खड़े थे। तभी रावण भी युद्ध के लिए उनके सामने आ गया। यह दृश्य देखकर भगवान अगस्त्य मुनि, जो देवताओं के साथ युद्ध का दर्शन करने आए थे, श्रीराम के पास पहुंचे और बोले। (Aditya Hridaya Stotra Lyrics)

 राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम्‌ ।

येन सर्वानरीन्‌ वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3॥

हिंदी अनुवाद: "हे महाबाहु राम, जो सभी के हृदय में विराजमान हैं! यह प्राचीन और गुप्त स्तोत्र सुनो। पुत्र, इसके जप से तुम युद्ध में अपने समस्त शत्रुओं पर विजय प्राप्त करोगे।"

 

आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्‌ ।

जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम्‌ ॥4॥

सर्वमंगलमागल्यं सर्वपापप्रणाशनम्‌ ।

चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम्‌ ॥5॥

हिंदी अनुवाद:
"इस गोपनीय स्तोत्र का नाम 'आदित्यहृदय' है, जो अत्यंत पवित्र और समस्त शत्रुओं का नाश करने वाला है। इसके जप से सदैव विजय प्राप्त होती है। यह अनादि, अविनाशी और परम कल्याणकारी स्तोत्र है, जो सभी शुभ कार्यों में मंगलदायक है। इसके प्रभाव से पाप नष्ट होते हैं, चिंता और शोक मिटते हैं तथा यह आयु वृद्धि का उत्तम साधन है।"


रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्‌ ।

पुजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्‌ ॥6॥


हिंदी अनुवाद:
"भगवान सूर्य अपनी अनगिनत किरणों से प्रकाश फैलाते हैं और प्रतिदिन उदय होते हैं। देवता और असुर, दोनों ही उनकी आराधना करते हैं। वे ‘विवस्वान’ नाम से प्रसिद्ध हैं, अपनी आभा का विस्तार करने वाले ‘भास्कर’ हैं और समस्त संसार के स्वामी ‘भुवनेश्वर’ हैं। तुम इन दिव्य नामों—‘रश्मिमते नमः’, ‘समुद्यते नमः’, ‘देवासुरनमस्कृताय नमः’, ‘विवस्वते नमः’, ‘भास्कराय नमः’ और ‘भुवनेश्वराय नमः’—से उनका पूजन करो।" (Aditya Hridaya Stotra Lyrics)

सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावन: ।

एष देवासुरगणांल्लोकान्‌ पाति गभस्तिभि: ॥7॥


हिंदी अनुवाद:
"संपूर्ण देवता इन्हीं के स्वरूप में समाहित हैं। वे तेजस्वी और अपनी किरणों से पूरे संसार को ऊर्जा व जीवन प्रदान करने वाले हैं। अपनी दिव्य रश्मियों के विस्तार से वे देवताओं और असुरों सहित समस्त लोकों का पालन करते हैं।"

एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिव: स्कन्द: प्रजापति: । 

महेन्द्रो धनद: कालो यम: सोमो ह्यापां पतिः ॥8॥

पितरो वसव: साध्या अश्विनौ मरुतो मनु: । 

वायुर्वहिन: प्रजा प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकर: ॥9॥

हिंदी अनुवाद: "ये ही ब्रह्मा, विष्णु, शिव, स्कंद, प्रजापति, इंद्र, कुबेर, काल, यम, चंद्रमा, वरुण, पितर, वसु, साध्य, अश्विनी कुमार, मरुदगण, मनु, वायु और अग्नि के स्वरूप हैं। ये ही समस्त प्रजा, प्राण, ऋतुओं के प्रेरक और प्रकाश के स्रोत हैं।" (Aditya Hridaya Stotra Lyrics)


आदित्य: सविता सूर्य: खग: पूषा गभस्तिमान्‌ ।

सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकर: ॥10॥

हरिदश्व: सहस्त्रार्चि: सप्तसप्तिर्मरीचिमान्‌ ।

तिमिरोन्मथन: शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान्‌ ॥11॥
 

हिरण्यगर्भ: शिशिरस्तपनोऽहस्करो रवि: ।

अग्निगर्भोऽदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशन: ॥12॥

व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजु:सामपारग: ।

घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः ॥13॥

 
आतपी मण्डली मृत्यु: पिगंल: सर्वतापन:।

कविर्विश्वो महातेजा: रक्त:सर्वभवोद् भव: ॥14॥

 
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावन: ।

तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्‌ नमोऽस्तु ते ॥15॥

हिंदी अनुवाद: "सूर्य देव के अनेक नाम और स्वरूप हैं, जो उनके विविध गुणों और शक्तियों को दर्शाते हैं। वे आदित्य (अदितिपुत्र), सविता (सृष्टि के रचयिता), सूर्य (सर्वव्यापक), खग (आकाश में विचरण करने वाले), पूषा (पालनकर्ता), गभस्तिमान (प्रकाशमान), भानु (प्रकाश फैलाने वाले) और दिवाकर (अंधकार को मिटाकर दिन का प्रकाश फैलाने वाले) कहलाते हैं। वे हरिदश्व (हरे रंग के घोड़ों वाले), सहस्रार्चि (हजारों किरणों से युक्त), तमोभेदी (अंधकार का नाश करने वाले) और तपन (गर्मी उत्पन्न करने वाले) भी हैं।

सूर्य देव ऋग, यजुर और सामवेद के ज्ञाता, मृत्यु के कारक, नक्षत्रों, ग्रहों और तारों के स्वामी तथा त्रिकालदर्शी महातेजस्वी देवता हैं। वे विश्वभावन (जगत के संरक्षक) और द्वादशात्मा (बारह स्वरूपों में प्रतिष्ठित) हैं। ऐसे सर्वशक्तिमान सूर्य देव को हमारा नमन!"

 
नम: पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नम: ।

ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नम: ॥16॥

हिंदी अनुवाद: "हे सूर्य देव! आपको पूर्व के उदयाचल पर्वत और पश्चिम के अस्ताचल पर्वत के रूप में नमन। आप ज्योतिर्मय ग्रहों और तारों के स्वामी तथा दिन के अधिपति हैं। आपको श्रद्धापूर्वक प्रणाम!"


जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नम: ।

नमो नम: सहस्त्रांशो आदित्याय नमो नम: ॥17॥

हिंदी अनुवाद: "हे सूर्यदेव! आप विजय, कल्याण और सफलता के प्रतीक हैं। आपके रथ में हरे रंग के घोड़े जुड़े रहते हैं। सहस्रों किरणों से आलोकित प्रभु, आपको बारंबार नमन। अदिति के पुत्र होने के कारण आप आदित्य कहलाते हैं, आपको कोटि-कोटि प्रणाम!" (Aditya Hridaya Stotra Lyrics)

नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नम: ।

नम: पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते ॥18॥

 
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सुरायादित्यवर्चसे ।

भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नम: ॥19॥

हिंदी अनुवाद:
"हे सूर्यदेव! आप परमात्मा के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और शिव के भी स्वामी हैं। आपकी प्रभा ही सूर्य मंडल का तेज है। आप प्रकाश से परिपूर्ण हैं और अग्नि के रूप में संपूर्ण जगत को ऊर्जा प्रदान करते हैं। आपके रौद्र स्वरूप को नमन, आपको बारंबार प्रणाम!"


तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने ।

कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नम: ॥20॥

हिंदी अनुवाद: "हे सूर्यदेव! आप अज्ञान और अंधकार को दूर करने वाले, जड़ता व शीत का नाश करने वाले तथा शत्रुओं का संहार करने वाले हैं। आपका दिव्य स्वरूप अप्रमेय है। आप कृतघ्नों का विनाश करने वाले, समस्त ज्योतियों के स्वामी और देवस्वरूप हैं। आपको शत-शत नमन!" (Aditya Hridaya Stotra In Hindi)

तप्तचामीकराभाय हरये विश्वकर्मणे ।

नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे ॥21॥

हिंदी अनुवाद: "हे सूर्यदेव! आप अज्ञान और अंधकार को दूर करने वाले, जड़ता व शीत का नाश करने वाले तथा शत्रुओं का संहार करने वाले हैं। आपका दिव्य स्वरूप अप्रमेय है। आप कृतघ्नों का विनाश करने वाले, समस्त ज्योतियों के स्वामी और देवस्वरूप हैं। आपको शत-शत नमन!"

नाशयत्येष वै भूतं तमेष सृजति प्रभु: ।

पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभि: ॥22॥

हिंदी अनुवाद: "हे रघुनंदन! भगवान सूर्य ही संपूर्ण जीवों के उत्पत्ति, पालन और संहार के कारक हैं। अपनी किरणों के माध्यम से वे संसार को गर्मी प्रदान करते हैं और वर्षा का कारण बनते हैं।" (Aditya Hridaya Stotra Lyrics)

एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठित: ।

एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम्‌ ॥23॥

 हिंदी अनुवाद: "ये भगवान सूर्य सभी प्राणियों के भीतर अंतर्यामी रूप में स्थित रहते हैं और उनके सो जाने पर भी सतत जाग्रत रहते हैं। ये ही अग्निहोत्र तथा उससे प्राप्त होने वाले फल के दाता हैं।"


देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतुनां फलमेव च ।

यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमं प्रभु: ॥24॥

 हिंदी अनुवाद: "ये भगवान सूर्य ही यज्ञ में भाग लेने वाले देवता, स्वयं यज्ञ और यज्ञ से प्राप्त होने वाले फल हैं। समस्त लोकों में होने वाली सभी क्रियाओं का फल प्रदान करने में ये पूर्णतः सक्षम हैं।"


एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च ।

कीर्तयन्‌ पुरुष: कश्चिन्नावसीदति राघव ॥25॥

हिंदी अनुवाद:
"हे राघव! जो व्यक्ति संकट, कठिनाई, कठिन मार्ग या किसी भी भय के समय सूर्यदेव का स्मरण और कीर्तन करता है, वह कभी दुखों का सामना नहीं करता।" (Aditya Hridaya Stotra Lyrics)


पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगप्ततिम्‌ ।

एतत्त्रिगुणितं जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि ॥26॥

हिंदी अनुवाद: "इसलिए, एकाग्र मन से इन देवाधिदेव, जगदीश्वर की उपासना करो। आदित्य हृदय स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra Lyrics) का तीन बार जप करने से तुम युद्ध में निश्चित ही विजय प्राप्त करोगे।"


अस्मिन्‌ क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि ।

एवमुक्ता ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम्‌ ॥27॥

हिंदी अनुवाद: "महाबाहो! तुम इसी क्षण रावण का वध करने में सक्षम हो।" यह कहकर अगस्त्य मुनि जिस प्रकार आए थे, उसी प्रकार चले गए।


एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोऽभवत्‌ तदा ॥

धारयामास सुप्रीतो राघव प्रयतात्मवान्‌ ॥28॥


आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान्‌ ।

त्रिराचम्य शूचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान्‌ ॥29॥


रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थं समुपागतम्‌ ।

सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत्‌ ॥30॥

हिंदी अनुवाद:
अगस्त्य मुनि के उपदेश को सुनकर महातेजस्वी श्रीरामचंद्रजी का शोक समाप्त हो गया। उन्होंने प्रसन्न मन और शुद्ध चित्त से आदित्यहृदय को आत्मसात किया। तीन बार आचमन कर स्वयं को शुद्ध करके, भगवान सूर्य की ओर देखते हुए, उन्होंने इस स्तोत्र (Aditya Hridaya Stotra Lyrics) का तीन बार जप किया, जिससे उनके मन में अपार उत्साह जाग उठा। तत्पश्चात, परम पराक्रमी रघुनाथजी ने अपने धनुष को उठाया, रावण की ओर दृढ़ संकल्प से दृष्टि डाली और पूर्ण उत्साह के साथ विजय प्राप्त करने के लिए आगे बढ़े, दृढ़ निश्चय कर रावण के वध का संकल्प लिया।


अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितमना: परमं प्रहृष्यमाण: ।

निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति ॥31॥

हिंदी अनुवाद: उस समय भगवान सूर्य देवताओं के मध्य खड़े होकर प्रसन्नता से श्रीरामचंद्रजी की ओर देखने लगे। जब उन्होंने महसूस किया कि रावण के विनाश का समय निकट आ गया है, तो हर्षपूर्वक बोले, "रघुनंदन! अब देर न करें, शीघ्र आगे बढ़ें।" (Aditya Hridaya Stotra Lyrics)

इति श्रीवाल्मीकीये रामायणे युद्धकाण्डे अगस्‍त्‍यप्रोक्‍तमादित्‍यहृदयस्‍तोत्रं सम्‍पूर्णम् ।


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