Ahoi Mata Ki Aarti: भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं में मां के रूपों की पूजा विशेष स्थान रखती है। ऐसा ही एक दिव्य रूप हैं अहोई माता, जिनकी पूजा विशेष रूप से संतान की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए की जाती है। अहोई अष्टमी के दिन माताएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर माता अहोई की आराधना करती हैं और पूजा के अंत में आरती गाकर देवी से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।
इस लेख में हम "अहोई माता की आरती" (Ahoi Mata ki aarti) के पीछे की मान्यता, त्योहार की जानकारी, आरती का सही पाठ, लाभ, उच्चारण की विधि, पूजा सामग्री उपयोगी सभी जानकारी विस्तार से साझा कर रहे हैं।
अहोई अष्टमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2025 Date & Time)
- अहोई अष्टमी तिथि : 13 अक्टूबर 2025, दिन सोमवार
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 13 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट से
- अष्टमी तिथि समाप्त: 14 अक्टूबर 2025 को सुबह 11 बजकर 09 मिनट तक
- संध्याकालीन पूजा का समय: शाम 05 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 54 मिनट तक (स्थानीय समय अनुसार )
- सितारों की पूजा व चंद्र दर्शन: रात्रि 08:00 बजे के बाद (स्थान के अनुसार)
चंद्र दर्शन का समय: रात्रि में चंद्रमा दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है
अहोई अष्टमी व्रत (Ahoi ashtami vrat) में पूजा के बाद अहोई माता की आरती करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि माता अहोई अपने भक्तों और उनकी संतानों की हर संकट से रक्षा करती हैं। जो महिलाएं पूरे श्रद्धा और सच्चे मन से उनकी आरती (Ahoi Mata Ki Aarti) करती हैं, उन पर माता विशेष कृपा बरसाती हैं। तो आइए, श्रद्धा भाव से अहोई माता का स्मरण करें और मिलकर उनकी आरती गाएं – "जय हो अहोई माता!"

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!! अहोई माता की आरती !!
!! Ahoi Mata Aarti Lyrics !!
जय अहोई माता जय अहोई माता।
तुमको निशिदिन सेवत हर विष्णु विधाता॥
मैया जय अहोई माता, जय जय अहोई माता।
ब्रह्माणी रूद्राणी कमला तू ही है जगमाता ।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता।।
मैया जय अहोई माता, जय जय होई माता।
माता रूप निरंजन सुख सम्पति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत नित मंगल आता।
मैया जय अहोई माता, जय जय अहोई माता।
तू ही है पाताल वसंती, तू ही शुभदाता।
कर्मप्रभाव प्रकाशक जगनिधि से त्राता।।
मैया जय अहोई माता, जय जय अहोई माता।
.
जिस घर थारो बासो वाही में गुण आता।
कर न सके सोई करले मन नहीं घबराता।।
मैया जय अहोई माता, जय जय अहोई माता।
तुम बिन सुख न होवे पुत्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव तुम बिन नही जाता।।
मैया जय अहोई माता, जय जय अहोई माता।
.
शुभ गुण सुन्दर मुक्ता क्षीरनिधि जाता।
रत्न चतुर्दश तोकूं कोई नहीं पाता।।
मैया जय अहोई माता, जय जय अहोई माता।
श्री अहोई माँ की आरती जो कोई भी गाता।
उर उमंग अतिं उपजे पाप उतर जाता।।
मैया जय अहोई माता, जय जय अहोई माता।
अहोई अष्टमी का महत्व (Significance Of Ahoi Ashtami)
अहोई अष्टमी का व्रत विशेष रूप से माताओं द्वारा अपनी संतान के दीर्घ जीवन, उत्तम स्वास्थ्य और सुखमय जीवन की कामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से लगभग एक सप्ताह पहले मनाया जाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक साहूकार की पत्नी सेही (साही) के बच्चों को मिट्टी खोदते समय घायल कर बैठी थी, जिससे माता के क्रोध से उसके सातों पुत्र मर गए। अपने पाप से दुखी होकर जब उसने प्रायश्चितस्वरूप व्रत किया, तो अहोई माता प्रसन्न हुईं और उसे संतान सुख से पुनः नवाज़ा।
इस व्रत के साथ आरती (Ahoi Mata Ki Aarti) का अत्यंत महत्व है क्योंकि यह माता के प्रति संपूर्ण समर्पण और आभार व्यक्त करने का माध्यम है।
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पूजा विधि और सामग्री
पूजा में लगने वाली सामग्री:
- अहोई माता की तस्वीर या चित्र (दीवार पर बनाया गया भी चल सकता है)
- दीया (तेल या घी का)
- रोली और चावल
- जल से भरा कलश
- सात प्रकार के अनाज
- दूध, चावल, हलवा, पूड़ी, व्रत का विशेष भोजन
- एक छोटी सी चांदी की अहोई (अगर संभव हो)
- चांदी या मिट्टी की सेही और उसके बच्चे (प्रतीक रूप में)
पूजा विधि:
- दिन भर उपवास के बाद शाम को स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर के मंदिर या पूजास्थल को सजाएं और अहोई माता की तस्वीर रखें।
- कलश की स्थापना करें और चित्र के नीचे सात अनाज रखें।
- दीपक जलाएं, फिर व्रत कथा पढ़ें।
- कथा के बाद माता की आरती गाएं।
- चंद्र दर्शन के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है।
अहोई माता की आरती का महत्व (Importance Of Ahoi Mata Ki Aarti)
अहोई माता की आरती न सिर्फ पूजा की पूर्णता है, बल्कि यह भक्त और देवी के बीच आत्मिक संबंध का प्रतीक है। आरती के माध्यम से व्रती माँ, देवी से अपनी संतान की सुरक्षा, जीवन में उन्नति, बुद्धि और स्वास्थ्य की कामना करती है।
आरती (Ahoi Mata Aarti lyrics) गाते समय जो ऊर्जा उत्पन्न होती है, वह पूरे वातावरण को सकारात्मक बनाती है। यह आरती घर में शांति, सुख और समृद्धि लाने वाली मानी जाती है।
अहोई माता की आरती के लाभ (Benefits Of Ahoi Mata Ki Aarti)
- संतान की सुरक्षा – माता अहोई की आरती करने से संतान को किसी भी अनहोनी से बचाव मिलता है।
- दीर्घायु का आशीर्वाद – बच्चों को लंबा और सुखमय जीवन प्राप्त होता है।
- गृह शांति और सुख-समृद्धि – परिवार में प्रेम, समझ और समृद्धि बनी रहती है।
- भविष्य की पीढ़ियों का कल्याण – माता की कृपा से कुल की संतानों को भी लाभ होता है।
- मातृत्व का आध्यात्मिक संतोष – माँ को अपने व्रत और पूजा के प्रति पूर्णता का अनुभव होता है।
निष्कर्ष
अहोई माता की आरती (Ahoi Mata Aarti) सिर्फ शब्दों का मेल नहीं, बल्कि एक माँ की संतान के लिए चिंता, स्नेह और सुरक्षा की प्रार्थना है। जब कोई व्रती महिला इस आरती को गाती है, तो वह केवल परंपरा का पालन नहीं करती, बल्कि माँ अहोई के सामने अपने संपूर्ण समर्पण का भाव अर्पित करती है।
यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे हमेशा सुरक्षित और खुश रहें, तो इस आरती को श्रद्धा से करें और माता अहोई की कृपा से अपना जीवन धन्य बनाएं।
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