Karwa Chauth 2025: भारत में कार्तिक के महीने में महिलाओ द्वारा मनाया जाने वाला एक पर्व जो पूरे देशभर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। विवाहित महिलाओ के लिए यह दिन विशेष होता है, जब वे अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली और पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक निर्जल उपवास रखती हैं।
वो करवा माता की पूजा करती हैं और अपने दांपत्य जीवन में प्रेम, सुख और शांति बनाए रखने की प्रार्थना करती हैं। मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से किया गया यह व्रत न केवल वैवाहिक रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी लेकर आता है। जब रात को चंद्रमा उदय होता है, तब महिलाएं अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण करती हैं और अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।साल 2025 में करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे शुरू होकर 10 अक्टूबर की रात 07:37 बजे समाप्त होगी। इस लिहाज़ से व्रत का पालन 10 अक्टूबर को किया जाएगा।
करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए एक बेहद खास दिन होता है, जिसे बड़े श्रद्धा और साज-सज्जा के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा की सरल विधि:
इस प्रकार करवा चौथ की पूजा (Karwa Chauth Puja) पूरी श्रद्धा, प्रेम और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ सम्पन्न होती है। यह न सिर्फ पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाती है, बल्कि दांपत्य जीवन में नई उमंग और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है।
पुराने समय की बात है। एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी, जिसका नाम था करवा। करवा अपनी मां-पिता की लाड़ली और भाइयों की प्यारी बहन थी। एक बार करवा चौथ के दिन पूरे घर में उत्सव का माहौल था। करवा ने भी इस व्रत को पूरे नियम और श्रद्धा से रखा था।
पूरे दिन व्रत रखने के बाद जब रात हुई, तो घर के सभी सदस्य भोजन करने लगे। करवा के भाई भी खाना खाने बैठे और उन्होंने अपनी बहन से भी आग्रह किया कि वह भी भोजन कर ले। लेकिन करवा ने मना कर दिया—“मैं चांद को अर्घ्य दिए बिना कुछ नहीं खाऊंगी।”
अपनी बहन की भूख-प्यास भाइयों से देखी नहीं गई। सबसे छोटे भाई को एक तरकीब सूझी। वह दूर एक पीपल के पेड़ पर दीपक जलाकर आया, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि चांद निकल आया है। वह बोला—“बहन, देखो चांद निकल आया, अब व्रत तोड़ लो।”
अपने भाई की बात पर भरोसा करके करवा (Karwa Chauth Katha) ने अपना व्रत खोल दिया। लेकिन जैसे ही उसने भोजन खाना शुरू किया,वैसे ही उसे अपने पति के मृत्यु की खबर मिली।
करवा का दिल टूट गया। वह अपने पति के पार्थिव शरीर के पास बैठ गई और पूरे एक वर्ष तक वहीं रही। इस दौरान उसने अपने पति के ऊपर उगने वाली घास भी इकट्ठा की और इंतज़ार करती रही।
अगले साल जब फिर से करवा चौथ आया, तो करवा ने पूरे नियम, श्रद्धा और सच्चे मन से इस व्रत को किया। उसकी आस्था और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उसके पति को फिर से जीवनदान दे दिया।
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि सच्चे मन, श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया व्रत न सिर्फ कठिन समय में सहारा बनता है, बल्कि चमत्कार भी कर सकता है।
करवा चौथ की शुरुआत पंजाब में एक खास परंपरा ‘सरगी’ से होती है। यह एक ऐसा पौष्टिक भोजन होता है जो महिलाएं सूर्योदय से पहले करती हैं। सरगी को सास अपनी बहू के लिए प्यार और आशीर्वाद के साथ तैयार करती हैं। इसमें फल, मिठाई, ड्राय फ्रूट्स और कुछ हल्का भोजन शामिल होता है, ताकि व्रत के दौरान ऊर्जा बनी रहे।
शाम होते ही महिलाएं सुंदर श्रृंगार कर एक जगह इकट्ठा होती हैं और फेरी की रस्म निभाती हैं। इसमें सभी महिलाएं एक घेरे में बैठकर अपनी पूजा की थाली को एक-दूसरे को देती हैं और पूरा चक्र पूरा करती हैं। इस दौरान, किसी बुज़ुर्ग महिला द्वारा करवा चौथ की पौराणिक कथा सुनाई जाती है, जिससे व्रत का महत्व और आस्था और गहरा हो जाता है।
वहीं, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में इस दिन गौर माता की पूजा की परंपरा भी निभाई जाती है। गौर माता की प्रतीक रूपी प्रतिमा गाय के गोबर से बनाई जाती है, जिसे श्रद्धा और सम्मान के साथ पूजा जाता है।
इन सभी परंपराओं का मकसद न सिर्फ उपवास रखना होता है, बल्कि पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करना और एक-दूसरे के प्रति प्रेम, आदर और आस्था जताना भी होता है।
करवा चौथ के दिन कुछ खास उपाय करने से न सिर्फ वैवाहिक जीवन में मिठास बनी रहती है, बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम और आपसी समझ भी गहरी होती है।
इस दिन सुहागिन महिलाएं श्रद्धा और भावना के साथ सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, हल्दी, कुमकुम, अन्न, और थोड़ी-सी धनराशि का दान करें। माना जाता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और रिश्तों में मधुरता आती है।
अगर पति-पत्नी के बीच किसी तरह की दूरियां या गलतफहमियां चल रही हैं, तो एक सरल उपाय इस दिन ज़रूर करें—बरगद के पत्ते पर अपने और अपने पति का नाम लिखें। फिर उस पत्ते को अपने सिर के ऊपर से तीन या सात बार घुमाकर जला दें। मान्यता है कि इससे रिश्तों में चल रही खटास धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और आपसी संबंध मजबूत बनते हैं।
इन उपायों को करते समय नीयत साफ और भावनाएं सच्ची होनी चाहिए, तभी इसका सकारात्मक प्रभाव जीवन में दिखता है।
करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat) सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि प्यार, समर्पण और विश्वास की अनमोल अभिव्यक्ति है। यह पर्व न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को भी जीवंत बनाए रखता है। सरगी से लेकर चंद्रदर्शन तक की हर रस्म, इस दिन को और भी पावन बना देती है। करवा चौथ की पूजा, कथा और परंपराएं हमें यह सिखाती हैं कि सच्चे प्रेम और आस्था से हर बाधा को पार किया जा सकता है। यही वजह है कि यह पर्व आज भी पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ देशभर में मनाया जाता है।
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