July 23, 2025 Blog

Karwa Chauth 2025: इस साल कब है करवा चौथ ? क्या है चंद्रोदय का समय, पूजा मुहूर्त और पूजा विधि

BY : STARZSPEAK

Karwa Chauth 2025: भारत में कार्तिक के महीने में महिलाओ द्वारा मनाया जाने वाला एक पर्व जो पूरे देशभर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।  विवाहित महिलाओ के लिए  यह दिन विशेष होता है, जब वे अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली और पति की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन व्रत रखती हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक निर्जल उपवास रखती हैं।

वो करवा माता की पूजा करती हैं और अपने दांपत्य जीवन में प्रेम, सुख और शांति बनाए रखने की प्रार्थना करती हैं। मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से किया गया यह व्रत न केवल वैवाहिक रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी लेकर आता है। जब रात को चंद्रमा उदय होता है, तब महिलाएं अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण करती हैं और अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।

करवा चौथ 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth 2025 Date & Auspicious Time)

साल 2025 में करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे शुरू होकर 10 अक्टूबर की रात 07:37 बजे समाप्त होगी। इस लिहाज़ से व्रत का पालन 10 अक्टूबर को किया जाएगा।

करवा चौथ पूजा समय: (Karwa Chauth 2025 Puja Time)

  • सूर्योदय: सुबह 06:19 बजे

  • सूर्यास्त: शाम 05:57 बजे

  • चंद्रोदय (चंद्र दर्शन का समय): रात 08:13 बजे

  • चंद्रास्त: अगली सुबह 09:48 बजे

अन्य शुभ मुहूर्त (Karwa Chauth Auspicious Time)

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:40 से 05:29 बजे तक

  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:57 से 06:21 बजे तक

  • निशिता काल: रात 11:43 से 12:45 बजे तक

  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:57 से 12:13 बजे तक
इन शुभ समयों में व्रत की पूजा, कथा और चंद्रमा को अर्घ्य देने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

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करवा चौथ व्रत पूजा-विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)

करवा चौथ का व्रत महिलाओं के लिए एक बेहद खास दिन होता है, जिसे बड़े श्रद्धा और साज-सज्जा के साथ मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा की सरल विधि:

  1. दिन की शुरुआत:
    सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा स्थान की अच्छे से सफाई करें। इसके बाद सास द्वारा दिया गया सर्गी (सात्विक भोजन) खाएं और भगवान से व्रत निभाने की शक्ति मांगते हुए निर्जला उपवास का संकल्प लें।

  2. व्रत का नियम:
    यह उपवास सूरज ढलने से लेकर चांद के दर्शन तक पूरी तरह निर्जला (बिना पानी के) रहता है। यानी जब तक चंद्रमा नहीं दिखता, तब तक न खाना है और न पानी पीना है।

  3. शाम की पूजा तैयारी:
    सूर्यास्त के बाद पूजा की तैयारी शुरू करें। एक छोटी मिट्टी की वेदी पर भगवान की प्रतिमाएं या चित्र स्थापित करें और उनके साथ 10 से 13 करवे (मिट्टी के छोटे कलश) भी रखें।

  4. पूजा की थाली सजाएं:
    करवा चौथ पूजा की थाली (Karwa Chauth Puja Thali) में सभी पूजा सामिग्री जैसे : चंदन, रोली, सिंदूर, धूप, दीप, चावल, फल, मिठाई और एक घी का दीपक रखें। और इस बात का ध्यान रखें कि दीये में घी इतना हो कि वो पूरी पूजा में जलता रहे।

  5. पूजन का समय:
    चंद्रमा के निकलने से लगभग एक घंटा पहले पूजा शुरू कर देनी चाहिए। परिवार की सभी महिलाएं मिलकर सामूहिक रूप से पूजा करें तो और भी शुभ माना जाता है।

  6. व्रत कथा सुनना:
    करवा चौथ की पूजा में करवा चौथ की व्रत कथा (Karwa Chauth katha) सुनना या पढ़ना आवश्यक होता है। व्रत कथा पढ़ने या सुनने से ही व्रत सम्पूर्ण माना जाता है और इस व्रत का महत्व और फल दोनों ही अधिक मिलता है।

  7. चंद्र दर्शन और अर्घ्य:
    जब चांद निकल आए, तब छलनी से पहले चंद्रमा को देखें और फिर अपने पति को। इसके बाद जल से अर्घ्य देकर चंद्र देव की पूजा करें।

  8. सास से आशीर्वाद लेना:
    पूजा के बाद बहू अपनी सास को एक थाली में मिठाई, फल, मेवा, कपड़े या दक्षिणा आदि देकर आशीर्वाद लेती है। सास बहू को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती है।

इस प्रकार करवा चौथ की पूजा (Karwa Chauth Puja) पूरी श्रद्धा, प्रेम और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ सम्पन्न होती है। यह न सिर्फ पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाती है, बल्कि दांपत्य जीवन में नई उमंग और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है।


करवा चौथ व्रत कथा (Karwa Chauth Vrat Katha)

पुराने समय की बात है। एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी, जिसका नाम था करवा। करवा अपनी मां-पिता की लाड़ली और भाइयों की प्यारी बहन थी। एक बार करवा चौथ के दिन पूरे घर में उत्सव का माहौल था। करवा ने भी इस व्रत को पूरे नियम और श्रद्धा से रखा था।

पूरे दिन व्रत रखने के बाद जब रात हुई, तो घर के सभी सदस्य भोजन करने लगे। करवा के भाई भी खाना खाने बैठे और उन्होंने अपनी बहन से भी आग्रह किया कि वह भी भोजन कर ले। लेकिन करवा ने मना कर दिया—“मैं चांद को अर्घ्य दिए बिना कुछ नहीं खाऊंगी।”

अपनी बहन की भूख-प्यास भाइयों से देखी नहीं गई। सबसे छोटे भाई को एक तरकीब सूझी। वह दूर एक पीपल के पेड़ पर दीपक जलाकर आया, जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि चांद निकल आया है। वह बोला—“बहन, देखो चांद निकल आया, अब व्रत तोड़ लो।”

अपने भाई की बात पर भरोसा करके करवा (Karwa Chauth Katha) ने अपना व्रत खोल दिया। लेकिन जैसे ही उसने भोजन खाना शुरू किया,वैसे ही उसे अपने पति के मृत्यु की खबर मिली। 

करवा का दिल टूट गया। वह अपने पति के पार्थिव शरीर के पास बैठ गई और पूरे एक वर्ष तक वहीं रही। इस दौरान उसने अपने पति के ऊपर उगने वाली घास भी इकट्ठा की और इंतज़ार करती रही।

अगले साल जब फिर से करवा चौथ आया, तो करवा ने पूरे नियम, श्रद्धा और सच्चे मन से इस व्रत को किया। उसकी आस्था और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उसके पति को फिर से जीवनदान दे दिया।

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि सच्चे मन, श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया व्रत न सिर्फ कठिन समय में सहारा बनता है, बल्कि चमत्कार भी कर सकता है।

करवा चौथ में सरगी और पारंपरिक रस्में (Karwa Chauth Rituals)

करवा चौथ की शुरुआत पंजाब में एक खास परंपरा ‘सरगी’ से होती है। यह एक ऐसा पौष्टिक भोजन होता है जो महिलाएं सूर्योदय से पहले करती हैं। सरगी को सास अपनी बहू के लिए प्यार और आशीर्वाद के साथ तैयार करती हैं। इसमें फल, मिठाई, ड्राय फ्रूट्स और कुछ हल्का भोजन शामिल होता है, ताकि व्रत के दौरान ऊर्जा बनी रहे।

शाम होते ही महिलाएं सुंदर श्रृंगार कर एक जगह इकट्ठा होती हैं और फेरी की रस्म निभाती हैं। इसमें सभी महिलाएं एक घेरे में बैठकर अपनी पूजा की थाली को एक-दूसरे को देती हैं और पूरा चक्र पूरा करती हैं। इस दौरान, किसी बुज़ुर्ग महिला द्वारा करवा चौथ की पौराणिक कथा सुनाई जाती है, जिससे व्रत का महत्व और आस्था और गहरा हो जाता है।

वहीं, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में इस दिन गौर माता की पूजा की परंपरा भी निभाई जाती है। गौर माता की प्रतीक रूपी प्रतिमा गाय के गोबर से बनाई जाती है, जिसे श्रद्धा और सम्मान के साथ पूजा जाता है।

इन सभी परंपराओं का मकसद न सिर्फ उपवास रखना होता है, बल्कि पारिवारिक रिश्तों को मजबूत करना और एक-दूसरे के प्रति प्रेम, आदर और आस्था जताना भी होता है।


करवा चौथ के आसान और असरदार उपाय (Karwa Chauth Remedies)

करवा चौथ के दिन कुछ खास उपाय करने से न सिर्फ वैवाहिक जीवन में मिठास बनी रहती है, बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम और आपसी समझ भी गहरी होती है।

इस दिन सुहागिन महिलाएं श्रद्धा और भावना के साथ सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, हल्दी, कुमकुम, अन्न, और थोड़ी-सी धनराशि का दान करें। माना जाता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और रिश्तों में मधुरता आती है।

अगर पति-पत्नी के बीच किसी तरह की दूरियां या गलतफहमियां चल रही हैं, तो एक सरल उपाय इस दिन ज़रूर करें—बरगद के पत्ते पर अपने और अपने पति का नाम लिखें। फिर उस पत्ते को अपने सिर के ऊपर से तीन या सात बार घुमाकर जला दें। मान्यता है कि इससे रिश्तों में चल रही खटास धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और आपसी संबंध मजबूत बनते हैं।

इन उपायों को करते समय नीयत साफ और भावनाएं सच्ची होनी चाहिए, तभी इसका सकारात्मक प्रभाव जीवन में दिखता है।

करवा चौथ 2025 का निष्कर्ष (Conclusion Of Karwa Chauth)

करवा चौथ (Karwa Chauth Vrat) सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि प्यार, समर्पण और विश्वास की अनमोल अभिव्यक्ति है। यह पर्व न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करता है, बल्कि पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक मूल्यों को भी जीवंत बनाए रखता है। सरगी से लेकर चंद्रदर्शन तक की हर रस्म, इस दिन को और भी पावन बना देती है। करवा चौथ की पूजा, कथा और परंपराएं हमें यह सिखाती हैं कि सच्चे प्रेम और आस्था से हर बाधा को पार किया जा सकता है। यही वजह है कि यह पर्व आज भी पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ देशभर में मनाया जाता है।

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