Yamraj Ki Aarti: पढ़े यमराज/धर्मराज की आरती और जानें इनका महत्त्व
BY : STARZSPEAK
यमराज कौन हैं? (Who Is Yamraj /Dharamraj)
धर्म के देवता यमराज को धर्मराज के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, शनिदेव उनके भाई हैं और यमुना जी उनकी बहन और यह त्रिदेव-तुल्य परिवार न्याय, समय और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। यमराज, व्यक्ति के कर्मों के अनुसार मृत्यु के बाद उसे चित्रगुप्त जी की सहायता से दंड या पुरस्कार प्रदान करते हैं। चित्रगुप्त उनके सहायक हैं, जो हर व्यक्ति के जीवन के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते हैं।
हिंदू धर्म में यमराज का महत्व (Importance of Yamraj in Hinduism)
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यमराज को मृत्यु और न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। उन्हें धर्मराज भी कहा जाता है, जो यह दर्शाता है कि वे सच्चे धर्म के आधार पर न्याय करते हैं। यमराज का वाहन एक भैंसा माना गया है, और पौराणिक कथाओं के अनुसार उनका विवाह दक्ष प्रजापति की 84 कन्याओं में से 23 कन्याओं से हुआ था। धुमोरना से उत्पन्न उनके पुत्र का नाम कतिला था। वहीं, महाभारत में कुंती पुत्र युधिष्ठिर को यमराज का अवतार माना जाता है।
Yamraj Ki Aarti: यमराज की आरती को एक बेहद शक्तिशाली साधना माना गया है, जो जीवन में किए गए पापों को जड़ से खत्म करने की शक्ति रखती है। यह आरती न केवल आत्मा की शुद्धि में सहायक होती है, बल्कि वैतरणी पार करने और मोक्ष की राह को भी सरल बनाती है। कठोपनिषद में नचिकेता और यमराज के बीच हुए संवाद से यह स्पष्ट होता है कि यमराज अपने भक्तों की सच्ची श्रद्धा देखकर उनकी मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं।
!! यमराज जी की आरती !!
!! Yamraj Ji Ki Aarti !!
धर्मराज कर सिद्ध काज प्रभु में शरणागत हूं तेरी।
पड़ी नव मंज धार भवन में पार करो ना करो देरी।
धर्मलोक के तुम हो स्वामी श्री यमराज कहलाते हो।
जो जो प्राणी कर्म करते तुम सब लिखते जाते हो।
अंत समय में तुम सबको दूत भेज बुलवाते हो।
पाप पुण्य का सारा लेखा उनको बांच सुनाते हो।
भुगताते हो प्राणी को तुम लख चौरासी की फेरी से।
धर्मराज कर सिद्ध काज प्रभु में शरणागत हु तेरी।
पड़ी नव मंज धार भवन में पार करो ना करो देरी।।-1।।
चित्रगुप्त है लेखक तुम्हारे फुर्ती से तो लिखने वाले।
अलग अलग से सब जीवों का लेखा जोखा लेने वाले।
पापी जन को पकड़ बुलाते नरकों में ढाने वाले।
बुरे काम करने वालों को खूब सजा तो देने वाले।।
कोई नहीं तुमसे बच पाता, यह न्याय नीति ऐसी तेरी।
धर्मराज कर सिद्ध काज प्रभु में शरणागत हूं तेरी।
पड़ी नव मंज धार भवन में पार करो ना करो देरी।।-2।।
दूत भयंकर तेरे स्वामी बड़े बड़े डर जाते हैं।
पापी जन तो जिन्हें देखते वे भय से थर्राते हैं।
बांध गले में रस्सी वे पापी जन को ले जाते हैं।
चाबुक मार लाते जरा रहम नहीं मन में लाते हैं।
धर्मराज कर सिद्ध काज प्रभु में शरणागत हूं तेरी।
पड़ी नव मंज धार भवन में पार करो ना करो देरी।।-3।।
धर्मी जन को धर्मराज तुम खुद ही लेने आते हो।
सादर ले जाकर उनको तुम स्वर्गधाम पहुंचाते हो।
जो जन पाप कपट से डरकर तेरी भक्ति करते हैं।
नर्क यातना कभी ने पाते भवसागर से तरते हैं।
कपिल मोहन पर कृपा करके जपती हुं में माला तेरी।
धर्मराज कर सिद्ध काज प्रभु में शरणागत हूं तेरी।
पड़ी नव मंज धार भवन में पार करो ना करो देरी।।-4।।
।।इति यमराज जी की आरती।।
यमराज की आरती क्यों करनी चाहिए? (Why should Yamraj Ki Aarti be done?)
- व्यक्ति के पापों को समाप्त करने में सहायक होती है।
- वैतरणी नदी को पार कराने में मदद करती है, जो मृत्यु के बाद आत्मा को यमलोक की ओर ले जाने वाली पौराणिक नदी मानी जाती है।
- आरती करने से व्यक्ति के जीवन में नैतिकता, संयम और धर्मबुद्धि का विकास होता है।
- यमराज की कृपा से मृत्यु का भय कम होता है, और आत्मा को शांति मिलती है।
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यमराज की आरती कब करनी चाहिए? (When should Yamraj Ki Aarti be performed?)
हालांकि, हर दिन पूजा, आरती और जप का विशेष महत्व होता है, लेकिन कुछ तिथियां विशेष रूप से शुभ मानी जाती हैं। यमराज की आरती (Yamraj Ki Aarti) के लिए कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है, सबसे उत्तम मानी जाती है। इस दिन यमराज और उनकी बहन यमुना देवी की पूजा का विशेष विधान है।
पौराणिक मान्यता है कि एक बार यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। यमुना के आतिथ्य से प्रसन्न होकर उन्होंने वचन दिया कि इस दिन यमुना में स्नान करने और पूजन करने वाले को अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा और नरक की पीड़ा से मुक्ति मिलेगी। यमराज की आरती के लिए कुछ विशेष दिन भी बताये गए है, जिन दिनों में यमराज की आरती करने का विशेष फल मिलता है।
- पितृ पक्ष में यमराज की आरती (Yamraj Ki Aarti) करना विशेष फलदायक माना जाता है, क्योंकि यह काल अपने पितरों और पूर्वजों को समर्पित होता है।
- भय, अनिष्ट या अकाल मृत्यु के योग से मुक्ति पाने के लिए भी यमराज की आरती करनी चाहिए।
- अमावस्या, शनैश्चरी अमावस्या या यम द्वितीया (भाई दूज) के दिन भी आरती करना शुभ माना जाता है।
- प्रतिदिन प्रातःकाल या संध्या के समय शांत मन से आरती करना लाभकारी होता है।
यमराज की आरती करने के लाभ (Benefits of doing Yamraj Ki Aarti)
- पापों से मुक्ति: यह आरती व्यक्ति के सभी कर्मजनित दोषों को शांत करती है।
- मृत्यु के भय से मुक्ति: नियमित आरती से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
- धर्म मार्ग पर प्रेरणा: यमराज न्याय और धर्म के देवता हैं, उनकी उपासना से व्यक्ति धार्मिक और नैतिक जीवन जीने की प्रेरणा पाता है।
- पितृ दोष की शांति: यमराज की आरती से पितृदोष शांत होता है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
- शुभ संतान प्राप्ति एवं कुल की रक्षा: कुछ शास्त्रों में यमराज की उपासना को संतान और कुल की रक्षा से भी जोड़ा गया है।
निष्कर्ष:
यमराज की आरती (Yamraj Ki Aarti) न सिर्फ मृत्यु के भय को दूर करने वाली आध्यात्मिक प्रक्रिया है, बल्कि यह धर्म, न्याय और आत्मिक शांति की ओर एक मजबूत कदम भी है। यम द्वितीया जैसे शुभ अवसर पर आरती कर भक्त न केवल पुण्य अर्जित करते हैं, बल्कि रोग, दोष और अकाल मृत्यु जैसे संकटों से भी मुक्त हो सकते हैं। आरती (Yamraj Ki Aarti) पाठ के माध्यम से व्यक्ति आध्यात्मिक शुद्धता, कर्म सुधार, और भविष्य की रक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
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