October 30, 2025 Blog

Kartik Purnima 2025: जानें कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महत्त्व और पुण्य प्राप्ति के उपाय

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Kartik Purnima 2025: हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष आध्यात्मिक महत्व माना गया है। इस पावन दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन श्रीहरि की आराधना करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है, साथ ही हर मनोकामना पूर्ण होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान कर अन्न, धन और वस्त्र आदि का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

इसी दिन देव दीपावली का पर्व भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में कार्तिक पूर्णिमा (Kartik purnima 2025 Date) 5 नवंबर को पड़ रही है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और हंस राजयोग बन रहे हैं, जिससे इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है।


कार्तिक पूर्णिमा 2025 की तिथि और समय (Kartik Purnima 2025 Date and Time)

ज्योतिषीय पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर को सुबह 10 बजकर 36 मिनट से शुरू होगी और 5 नवंबर को शाम 6 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, इस साल कार्तिक पूर्णिमा का पवित्र पर्व 5 नवंबर 2025 (बुधवार) को श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा।

इस पावन दिन पर पुण्यदायी स्नान और दान करने का सबसे शुभ समय सुबह 4:51 बजे से 5:43 बजे तक रहेगा। माना जाता है कि इस मुहूर्त में किए गए स्नान और दान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी (How to Please Maa Laxmi On Kartik Purnima)

कार्तिक पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है। इस दिन पूजा के दौरान देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जप और श्री सूक्त का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। साथ ही, इस दिन मंदिर में या जरूरतमंद लोगों को दान देना भी बहुत पुण्यदायी माना गया है। ऐसा करने से जीवन में धन, सौभाग्य और खुशहाली की कभी कमी नहीं होती।


कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व (Importance of Ganga Snan on Kartik Purnima)

कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ दिन माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर अवतरित होकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, खासकर गंगा में। इसलिए इस दिन गंगा का जल अमृत के समान पवित्र हो जाता है। जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा भाव से गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करता है, उसे देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक दैत्य का वध किया था, जिससे देवताओं को मुक्ति मिली थी। इस विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने काशी में दीप जलाकर आनंद मनाया था, जो आगे चलकर देव दीपावली के रूप में प्रसिद्ध हुआ। इस कारण यह दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु, दोनों की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर माना जाता है।

शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) के दिन भगवान विष्णु ने वेदों की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था। इसलिए इस दिन श्रीहरि की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कहा जाता है कि कार्तिक मास मोक्ष प्रदान करने वाला महीना है। इस दिन किया गया स्नान, दान और उपवास व्यक्ति के जीवन के पापों को मिटा देता है और उसे मोक्ष का मार्ग प्रदान करता है। विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है, क्योंकि इससे जन्म-जन्मांतर के दोष समाप्त हो जाते हैं।

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कार्तिक पूर्णिमा पर दान का महत्व (Importance of Charity on Kartik Purnima)

कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान के साथ-साथ दान का भी विशेष महत्व माना गया है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि इस शुभ तिथि पर अपनी क्षमता अनुसार दान करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बढ़ती है।

अन्न और धन का दान:
इस दिन किसी जरूरतमंद, गरीब या ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र, धन या अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। माना जाता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।

दीपदान का महत्व:
कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima) को देव दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों के तट, मंदिरों, तुलसी या पीपल वृक्ष के पास दीपक जलाना बेहद शुभ होता है। दीपदान से न केवल अंधकार दूर होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली का प्रकाश फैलता है।

गौदान का फल:
यदि संभव हो, तो इस दिन गौदान (गाय दान) करना सर्वोत्तम माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, गौदान से व्यक्ति को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।


कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी धार्मिक मान्यता (Religious beliefs related to Kartik Purnima)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा का दिन अत्यंत पवित्र माना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु ने अपने प्रथम अवतार — मत्स्य अवतार — धारण किया था। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के समीप अखंड दीप जलाने से व्यक्ति को दिव्य आभा और आध्यात्मिक प्रकाश की प्राप्ति होती है।

इसके साथ ही, इस दिन गंगा स्नान करके दीपदान करना अत्यंत शुभ माना गया है। ऐसा करने से यज्ञ करने के समान पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, शांति व समृद्धि का संचार होता है।


कार्तिक पूर्णिमा पर किए जाने वाले शुभ उपाय (Auspicious Remedies to be taken on Kartik Purnima)

कार्तिक पूर्णिमा का दिन पूरे वर्ष के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन किए गए छोटे-छोटे धार्मिक कर्म न केवल पापों को दूर करते हैं, बल्कि सुख, शांति और समृद्धि भी प्रदान करते हैं।

सुबह स्नान से पहले पानी में काले तिल या गंगाजल की कुछ बूंदें मिलाएं। ऐसा करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है। इस दिन तुलसी पूजन का विशेष महत्व होता है, क्योंकि तुलसी माता लक्ष्मी का ही स्वरूप मानी जाती हैं। तुलसी पर लाल चुनरी चढ़ाएं, शृंगार सामग्री अर्पित करें और उनकी जड़ में घी का दीपक जलाएं। तुलसी की पूजा करने से घर में सौभाग्य और लक्ष्मी कृपा बनी रहती है।

मां लक्ष्मी को हल्दी अर्पित करें और हल्दी का तिलक लगाएं। यह उपाय जीवन में भाग्य वृद्धि और धन लाभ का मार्ग खोलता है। शिवलिंग पर दूध और बेलपत्र अर्पित करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और मानसिक शांति मिलती है।

घर के मुख्य द्वार पर हल्दी से स्वस्तिक बनाना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही घर में गंगाजल का छिड़काव करें ताकि नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सके। शाम के समय तुलसी के पास दीपक जलाएं और तुलसी की जड़ की मिट्टी से तिलक लगाएं।

इस दिन मां लक्ष्मी को केसर की खीर का भोग लगाना बहुत शुभ होता है। भोग के बाद इस खीर को छोटी कन्याओं में प्रसाद के रूप में बांटें। रात में किसी नदी या तालाब के किनारे दीपदान करना भी अत्यंत पुण्यदायी माना गया है।

इन सरल उपायों को करने से कार्तिक पूर्णिमा का दिन न केवल आध्यात्मिक रूप से फलदायी बनता है, बल्कि घर में सकारात्मकता, सौभाग्य और देवी-देवताओं की कृपा भी बनी रहती है।


निष्कर्ष (Conclusion)

कार्तिक पूर्णिमा (Kartik Purnima upay) का पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आध्यात्मिक शुद्धि और पुण्य अर्जन का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन स्नान, दान और दीपदान के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर कर नई सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करता है। भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है, जबकि गंगा स्नान और दान से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा वास्तव में वह दिन है, जब श्रद्धा, भक्ति और प्रकाश एक साथ मिलकर आत्मा को पवित्रता और शांति से भर देते हैं।


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Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.