October 27, 2025 Blog

Tulsi Vivah 2025: इस साल कब किया जायेगा तुलसी विवाह, जाने इसकी तिथि, पूजा मुहूर्त और पूजा विधि

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Tulsi Vivah 2025: सनातन धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना गया है। मान्यता है कि तुलसी में स्वयं मां लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए इसकी नियमित पूजा से घर में धन, सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

तुलसी विवाह से एक दिन पहले देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं। उनके जागरण के साथ ही सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत मानी जाती है।

कई स्थानों पर तुलसी विवाह (Tulsi Vivah Festival) का उत्सव पांच दिनों तक बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन संपन्न होता है। भारत के अनेक क्षेत्रों में विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और माता तुलसी व भगवान विष्णु का विवाह पारंपरिक विधियों से संपन्न कराती हैं। यह व्रत वे अपने पति की लंबी आयु, वैवाहिक सुख और परिवार की समृद्धि के लिए करती हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के बाद से ही शुभ कार्यों का आरंभ होता है, और तुलसी विवाह के दिन से विवाह जैसे मंगल अवसरों का शुभ मुहूर्त प्रारंभ माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि तुलसी विवाह संपन्न करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम, सुख, स्थिरता और सौहार्द बढ़ता है। जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ तुलसी विवाह करता है, उसके जीवन में समृद्धि और सौभाग्य का आगमन होता है। आइए जानते हैं इस वर्ष तुलसी विवाह की तिथि (Tulsi Vivah kab hai) , शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व।


तुलसी विवाह शुभ तिथि (Tulsi Vivah 2025 Date)

हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप और माता तुलसी का विधिवत विवाह कराया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका गहरा आध्यात्मिक और सामाजिक अर्थ भी है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि की शुरुआत 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर होगी और इसका समापन 3 नवंबर को सुबह 5 बजकर 7 मिनट पर होगा। पंचांग गणना के अनुसार, तुलसी विवाह (Tulsi Vivah 2025 Date) का शुभ पर्व इस वर्ष 2 नवंबर 2025, रविवार के दिन मनाया जाएगा।

इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और माता तुलसी का विधिपूर्वक विवाह कर अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।


तुलसी विवाह 2025 के शुभ मुहूर्त (Tulsi Vivah 2025 Auspicious Time)

इस पावन दिन पर कई शुभ योग और मुहूर्त बन रहे हैं, जो पूजा और विवाह संस्कार को और अधिक मंगलमय बनाते हैं —

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:50 से 05:42 बजे तक — ध्यान, जप और पूजा के लिए यह सर्वोत्तम समय माना गया है।

  • अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:42 से 12:26 बजे तक — किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत के लिए अत्यंत अनुकूल।

  • विजय मुहूर्त: दोपहर 01:55 से 02:39 बजे तक — सफलता प्राप्ति के लिए शुभ समय।

  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:35 से 06:01 बजे तक — संध्या पूजा और तुलसी विवाह के लिए शुभ मानी जाती है।

  • अमृत काल: सुबह 09:29 से 11:00 बजे तक — इस दौरान किए गए कार्यों में सफलता की संभावना अधिक रहती है।

  • निशिता मुहूर्त: रात 11:39 से 12:31 बजे (3 नवंबर) तक — विशेष पूजा और आराधना के लिए शुभ समय।

  • त्रिपुष्कर योग: सुबह 07:31 से शाम 05:03 बजे तक — इस योग में किए गए कार्य तीन गुना फलदायक माने जाते हैं।

  • सर्वार्थ सिद्धि योग: शाम 05:03 से अगले दिन सुबह 06:34 बजे (3 नवंबर) तक — यह योग सभी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत फलदायी है।

tulsi Vivah

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तुलसी विवाह की तैयारी और पूजन विधि (Preparation and worship method of Tulsi Vivah)

तुलसी विवाह की विधि बहुत ही सरल और पवित्र मानी जाती है। तुलसी विवाह के दिन सबसे पहले सुबह स्नान के बाद घर के आंगन, बालकनी या मंदिर को साफ-सुथरा करें जहां तुलसी का पौधा स्थापित है। इसके बाद उस जगह पर गंगाजल या शुद्ध जल का छिड़काव करें ताकि वातावरण पवित्र हो जाए। उनके चारों ओर सुंदर रंगोली ( Tulsi Vivah Rangoli) बनाएं और फूलों से सजा हुआ छोटा-सा मंडप तैयार करें।

इसके बाद तुलसी माता को साड़ी, चुनरी, चूड़ी और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। तुलसी के दाईं ओर शालिग्राम भगवान को स्थापित करें। फिर दोनों को गंगाजल से स्नान कराएं और शालिग्राम जी को चंदन, जबकि तुलसी माता को रोली का तिलक लगाएं। भगवान विष्णु के इस स्वरूप को पीले वस्त्र पहनाएं और, फूल तथा तुलसी दल अर्पित करें।

अब तुलसी और शालिग्राम भगवान को फूल, मिठाई, गन्ना, सिंघाड़े और पंचामृत का भोग अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर विवाह की प्रक्रिया प्रारंभ करें। ध्यान रखें कि शालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ाया जाता, उनकी जगह सफेद चंदन या तिल अर्पित करें।

अंत में मंत्रोच्चार के साथ सात फेरे कराएं, फिर तुलसी और शालिग्राम की आरती उतारें (Tulsi Vivah Aarti) और प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें। इस विधि से किया गया तुलसी विवाह घर में शुभता और सौभाग्य का आशीर्वाद लाता है।

पूजन के दौरान मंगल गीत (Tulsi Vivah Geet) , विवाह मंत्र और आरती का गायन किया जाता है, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पूजा के बाद तुलसी माता और शालिग्राम भगवान को पंचामृत, मिठाई या खीर का भोग लगाया जाता है। इस दिन कई लोग देवउठनी एकादशी व्रत का पालन भी करते हैं। संध्या के समय तुलसी माता की आरती कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

तुलसी विवाह का महत्व (Importance Of Tulsi Vivah)

तुलसी विवाह का पर्व माता तुलसी (वृंदा देवी) और भगवान शालिग्राम (भगवान विष्णु के स्वरूप) के पवित्र मिलन का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन तुलसी विवाह कराने से घर में सुख, शांति, सौभाग्य और समृद्धि का आगमन होता है। जो व्यक्ति अपने घर में इस दिव्य विवाह का आयोजन करते हैं, उन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है। मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा और विधि-विधान से यह विवाह संपन्न कराते हैं, उन्हें कन्यादान के समान फल प्राप्त होता है और उनके जीवन के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं।

ऐसा भी माना जाता है कि तुलसी विवाह का व्रत रखने से अविवाहित कन्याओं को योग्य वर प्राप्त होता है, जबकि विवाहित दंपतियों के जीवन में प्रेम, सामंजस्य और खुशहाली बढ़ती है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भक्ति और परिवारिक एकता का भी सुंदर प्रतीक है।

तुलसी माता का श्रृंगार (Tulsi Mata Sringar)

तुलसी विवाह के अवसर पर माता तुलसी का श्रृंगार सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक माना जाता है। इस दिन तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाने की परंपरा है। सबसे पहले तुलसी के स्थान या गमले को अच्छी तरह साफ करें और उसे गंगाजल या पवित्र जल से शुद्ध करें। इसके बाद माता तुलसी को लाल या पीले रंग की साड़ी पहनाएं, क्योंकि ये रंग सौभाग्य और मंगल के प्रतीक माने जाते हैं।

श्रृंगार के लिए तुलसी माता को चुनरी, चूड़ियां, नथनी, मांग टीका, हार, कंगन, बिंदी, फूल और कमरबंद से सजाया जाता है। उनके चारों ओर सुंदर रंगोली बनाएं और दीपक जलाकर वातावरण को भक्ति और आनंद से भर दें। इस तरह सजाई गई तुलसी माता को देखकर घर का हर कोना पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा से आलोकित हो उठता है।

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तुलसी पूजन मंत्र (Tulsi Vivah Mantra)

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।


निष्कर्ष (Conclusion)

तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह आस्था, भक्ति और शुभता का उत्सव है। यह पर्व देवउठनी एकादशी के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन तुलसी माता और भगवान शालिग्राम का विवाह संपन्न कराना जीवन में सुख, समृद्धि, सौभाग्य और शांति लाने वाला माना गया है। जो भी भक्त श्रद्धा और विधि-विधान से तुलसी विवाह करते हैं, उनके घर में सकारात्मक ऊर्जा, पारिवारिक सौहार्द और ईश्वरीय कृपा का वास होता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि भक्ति और प्रेम से किया गया हर कर्म जीवन को मंगलमय बना सकता है।

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Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.