September 4, 2025 Blog

Govardhan Puja 2025: कब है गोवेर्धन पूजा, जाने का पूजा का शुभ मुहूर्त एवं अन्नकूट का महत्त्व

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Govardhan Puja 2025: अधिकतर गोवर्धन पूजा, दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है। यह पर्व उस घटना की याद में मनाया जाता है जब भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र देव के घमंड को तोड़कर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की रक्षा की थी। कुछ वर्षों में दीपावली और गोवर्धन पूजा के बीच एक दिन का अंतर भी हो सकता है। इस दिन खासकर मथुरा और ब्रज क्षेत्र में अद्भुत रौनक देखने को मिलती है। मान्यता है कि इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से भक्तों पर उनकी विशेष कृपा बरसती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

गोवर्धन पूजा क्यों मनाई जाती है? (Why is Govardhan Puja Celebrated)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रजधाम में हर साल ग्रामीण इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा-अर्चना करते थे, ताकि समय पर वर्षा हो और खेती-खलिहान ठीक रहें। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि असली पूजन उस गोवर्धन पर्वत का होना चाहिए, जो रोज़ उनकी गायों को चारा, सुरक्षा और आश्रय प्रदान करता है।

श्रीकृष्ण की सलाह मानकर ब्रजवासी इंद्र देव की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा (Govardhan Parvat Ki puja) करने लगे। इससे नाराज़ होकर इंद्र ने लगातार मूसलधार बारिश बरसानी शुरू कर दी। तब श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों और गौ-धन को वर्षा से बचाया। तभी से इस दिन गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा करने की परंपरा चली आ रही है।

महाराष्ट्र में इस दिन को बालि प्रतिपदा या बालि पड़वा के नाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के वामन अवतार ने राजा बालि को पाताल लोक भेजने के बाद उसे यह वरदान दिया था कि वर्ष में एक दिन वह पृथ्वी लोक पर आकर अपनी प्रजा से मिल सके। इसलिए इस दिन उनका स्मरण किया जाता है।


गोवर्धन पूजा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja 2025 Date and Time)

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह उत्सव कार्तिक माह की शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। कभी-कभी इसका दिन अमावस्या से ठीक पहले भी पड़ सकता है, जो प्रतिपदा तिथि के आरंभ समय पर निर्भर करता है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 21 अक्टूबर 2025 को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर होगा और इसका समापन 22 अक्टूबर 2025 की रात 8 बजकर 16 मिनट पर होगा। इसी आधार पर गोवर्धन पूजा का पर्व (Govardhan puja 2025 date) 22 अक्टूबर 2025, बुधवार को विधिवत रूप से मनाया जाएगा।
कई बार गोवर्धन पूजा का दिन गुजराती नववर्ष के साथ भी पड़ता है। अक्सर यह पर्व गुजराती नववर्ष से एक दिन पहले मनाया जाता है, जिसका निर्धारण भी प्रतिपदा तिथि के आरंभ समय के अनुसार होता है।

Govardhan puja

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दिनभर के महत्वपूर्ण समय -मुहूर्त और ग्रह स्थिति (Govardhan Puja Time)

  • सूर्योदय – सुबह 6:26 बजे

  • सूर्यास्त – शाम 6:44 बजे

  • चंद्रोदय – प्रातः 7:01 बजे

  • चंद्रास्त – शाम 6:00 बजे

खास शुभ मुहूर्त (Govardhan Puja Muhurat)

  • ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 4:45 बजे से 5:35 बजे तक (ध्यान, जप और पूजा के लिए उत्तम समय)

  • विजय मुहूर्त – दोपहर 1:58 बजे से 2:44 बजे तक (महत्त्वपूर्ण कार्यों के आरंभ के लिए अनुकूल)

  • गोधूलि मुहूर्त – शाम 5:44 बजे से 6:10 बजे तक (देव पूजन और मंगल कार्यों के लिए शुभ)

  • अमृत काल – दोपहर 4:00 बजे से 5:48 बजे तक (सौभाग्य व लाभदायक कार्यों के लिए उत्तम)


गोवर्धन पूजा का महत्व (Importance Of Govardhan Puja)

गोवर्धन पूजा भारतीय संस्कृति के सबसे गहरे संदेशों को अपने भीतर समेटे हुए है। यह पर्व प्रकृति के प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। यह सिखाता है कि धरती, जल, पर्वत, पशु-पक्षी—ये सब हमारे जीवन का हिस्सा हैं, जिनका संरक्षण और सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।

साथ ही, यह उत्सव भगवान श्रीकृष्ण की करुणा और उनकी लीलाओं का स्मरण कराता है। यह हमें बताता है कि अहंकार त्यागकर, सादगी, प्रेम और समर्पण के साथ जीवन जीना ही सच्ची भक्ति और सही राह है।

गोवर्धन पूजा में अन्नकूट का महत्व (Importance of Annakoot in Govardhan Puja)

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) के दिन मंदिरों में विशेष रूप से अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। ‘अन्नकूट’ का अर्थ है – अनेक तरह के अनाज और व्यंजनों का बड़ा भोग, जो भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट उत्सव भी कहा जाता है। इस दिन खासतौर कई स्थानों पर विभिन्न प्रकार के अनाज, बेसन की कढ़ी, पत्तेदार सब्जियों बाजरे की खिचड़ी, पूरी, दूध से बने मिष्ठान और तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए जाते हैं।

इस अवसर पर यह सब भगवान कृष्ण को प्रेम और भक्ति भाव से भोग स्वरूप चढ़ाया जाता है। पूजा संपन्न होने के बाद, यही प्रसाद भक्तों में वितरित किया जाता है, जिससे सभी इस पावन प्रसाद का लाभ उठा सकें।

कई मंदिरों में अन्नकूट के अवसर पर भजन-कीर्तन, रात्रि जागरण, संगीत और नृत्य के कार्यक्रम भी होते हैं। भक्तजन पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ श्रीकृष्ण की आराधना कर सुख-समृद्धि और मंगलमय जीवन की कामना करते हैं।

गोवर्धन पूजा से जुड़े अनुष्ठान (Rituals associated with Govardhan Puja)

हिंदू धर्म में अलग-अलग परंपराओं और क्षेत्रों के अनुसार गोवर्धन पूजा के रीति-रिवाजों में थोड़ा-थोड़ा अंतर देखने को मिलता है। कई जगह इस दिन भगवान अग्नि, इंद्र और वरुण — जो अग्नि, वर्षा और समुद्र के देवता माने जाते हैं — की भी विशेष पूजा की जाती है।

गोवर्धन पर्वत की प्रतीक पूजा

इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत के आकार का एक ढेर बनाकर उसे फूलों और रंगों से सजाया जाता है। इसके बाद जल, धूप, फल, मिठाइयाँ और अन्य नैवेद्य अर्पित कर पूजा की जाती है। यह पूजा प्रातःकाल या संध्या के समय की जाती है।

गौ-वंश और बैलों का सम्मान

कृषि में सहयोग देने वाले बैल, गाय और अन्य पशुओं को इस दिन विशेष रूप से सजाया और पूजित किया जाता है।

गोबर से बने पर्वत की स्थापना

कई जगह गोबर से भगवान गोवर्धन की प्रतिमा बनाकर भूमि पर स्थापित की जाती है। इसके ऊपर मिट्टी का दीपक रखा जाता है और उसे दूध, दही, शहद, चीनी और गंगाजल से स्नान कराया जाता है।

भंडारे और प्रसाद वितरण

देशभर के मंदिरों में इस अवसर पर बड़े पैमाने पर भंडारे आयोजित किए जाते हैं, जहाँ भक्तजन प्रसाद ग्रहण करते हैं।

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा

गोबर से बने गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करना इस दिन का एक प्रमुख अनुष्ठान है। परिक्रमा करते समय भगवान गोवर्धन की जय-जयकार की जाती है। परिक्रमा पूर्ण होने के बाद भूमि पर जौ बोने की परंपरा भी है, जिसे शुभ माना जाता है।

अन्नकूट भोग

इस दिन अन्नकूट बनाया जाता है — यानी अनेक तरह के अनाज और सब्जियों से बने व्यंजन भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं।

मथुरा का विशेष महत्व

कथाओं के अनुसार गोवर्धन पर्वत (Govardhan Parvat) उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। यही कारण है कि इस दिन लाखों भक्त वहाँ जाकर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं, भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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गोवर्धन पूजा पर करें ये खास उपाय (Do These Special Remedies on Govardhan Puja)

गोवर्धन पूजा के दिन तुलसी माता की श्रद्धा से पूजा करें। देसी घी का दीपक जलाकर तुलसी मंत्र का जप करें। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती और परिवार पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

आर्थिक तंगी दूर करने का सरल तरीका

यदि आप धन की कमी या आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं, तो इस दिन स्नान के बाद गाय माता की पूजा करें। उन्हें तिलक लगाएं, फूलों की माला पहनाएं और अंत में चारा खिलाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह उपाय आर्थिक बाधाओं को दूर कर धन लाभ के अवसर बढ़ाता है।

।।गोवर्धन पूजा मंत्र ।।

गोवर्धन धराधार गोकुल त्राणकारक।

विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।।

।।श्री कृष्ण के शक्तिशाली मंत्र।।

''श्री कृष्णाय वयं नुम:

सच्चिदानंदरूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे।

तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुम:।।

ॐ देविकानन्दनाय विधमहे वासुदेवाय धीमहि तन्नो कृष्ण:प्रचोदयात”


निष्कर्ष

गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2025) केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि कृतज्ञता, प्रकृति-प्रेम और सादगी का सुंदर संदेश देने वाला उत्सव है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि जीवन में विनम्रता, सेवा-भाव और सामूहिक सहयोग से ही सच्चा सुख मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का स्मरण कर हम प्रकृति, पर्यावरण और गौ-सेवा के महत्व को समझते हैं। गोवर्धन पूजा हमें यह प्रेरणा देती है कि ईश्वर के प्रति प्रेम और आस्था के साथ-साथ हमें अपने आसपास की हर उस चीज़ का सम्मान करना चाहिए, जो हमारे जीवन को संवारती है।

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Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.