Shri Krishna Govind Hare Murari Lyrics: भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक जीवन में भजन और कीर्तन का एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह भजन सिर्फ भगवान की उपासना का माध्यम भर नहीं है, बल्कि यह हमारे आत्म मन को शांति प्रदान करता है और आत्मा को आनंद से भर देता है। ऐसा ही एक अद्वितीय भजन है - "श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी" (Shri Krishna Govind Hare Murari Lyrics), जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करता है और उनकी अद्भुत लीलाओं को स्मरण कराता है। आइए पढ़ते है श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी भजन के सम्पूर्ण बोल और जानते है इस भजन का अर्थ और इसका महत्व।
गीता में उपदेश सुनाया
धर्म युद्ध को धर्म बताया
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा
यह सन्देश तुम्ही से पाया
अमर है गीता के बोल सारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देवा
॥ श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी...॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा ॥
हरी बोल, हरी बोल,
हरी बोल, हरी बोल ॥
यह भजन भगवान विष्णु और उनके अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। इसके बोल सरल, मधुर और गहरे आध्यात्मिक अर्थ लिए हुए हैं। नीचे इस भजन के मुख्य बोल दिए गए हैं:
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
जन्मा भजामि जगत स्वामी।
हे नाथ नारायण वासुदेवा।
इस भजन के शब्द भगवान की महिमा, उनकी दया और उनके संरक्षण का आह्वान करते हैं। यह भजन सुनने या गाने वाले भक्तों को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
इस भजन (Shri Krishna Govind Hare Murari Lyrics) में भगवान श्रीकृष्ण के अनेक नाम बताये गए है, "गोविंद", "मुरारी" और "वासुदेवा" ये सब भगवान श्री कृष्ण को कहा गया है। सभी नामो का अलग अलग मतलब होता है , आइए जानते है कि इनका मतलब क्या है :
भजन (Shri Krishna Govind Hare Murari Lyrics) न केवल भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का बखान करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि जीवन की हर स्थिति में उनकी भक्ति कैसे हमें आत्मिक शांति और संतोष प्रदान कर सकती है।
भगवान श्रीकृष्ण का जीवन और उनकी शिक्षाएं हमें जीवन जीने की कला सिखाती हैं। गीता में उनके द्वारा दिए गए उपदेश हमें धर्म, कर्म और भक्ति का मार्ग दिखाते हैं। "श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी" जैसे भजनों का निरंतर जप या गायन हमारी आत्मा को उनकी ओर आकर्षित करता है और हमें उनके प्रति समर्पण का अनुभव कराता है।
“श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी” भजन सिर्फ एक गाना नहीं, बल्कि भगवान के प्रति हमारी श्रद्धा और प्रेम को व्यक्त करने का एक माध्यम है। यह भजन हर भक्त को भगवान के दिव्य स्वरूप का स्मरण कराता है और जीवन को आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है। अगर आपने अभी तक इस भजन को नहीं सुना है, तो इसे अपने दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और भगवान श्रीकृष्ण की कृपा का अनुभव करें।
राधे राधे! जय श्रीकृष्ण!
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