Gayatri Chalisa: गायत्री चालीसा एक पवित्र और भावपूर्ण रचना है, जिसमें मां गायत्री की महिमा, शक्ति और स्वरूपों का सुंदर वर्णन किया गया है। कुल चालीस चौपाइयों में रची गई यह चालीसा मां के गुणों का बखान करती है और भक्ति भाव से ओतप्रोत होकर उनका स्मरण कराती है। इसे पढ़ते हुए भक्त मां के दिव्य स्वरूप से जुड़ाव महसूस करते हैं। यह चालीसा (Gayatri Chalisa Pdf) केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया एक साधना पथ है, जो जीवन के तमाम संकटों से उबारने और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करने में समर्थ है।
!! मां गायत्री चालीसा !!
!! Gayatri Chalisa Lyrics !!
!! दोहा !!
ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचंड ॥
शांति कांति जागृत प्रगति रचना शक्ति अखंड ॥
जगत जननी मंगल करनि गायत्री सुखधाम ।
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम ॥
!! चालीसा !!
भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी ।
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥1॥
अक्षर चौबीस परम पुनीता ।
इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता ॥2॥
शाश्वत सतोगुणी सत रूपा ।
सत्य सनातन सुधा अनूपा ॥3॥
हंसारूढ श्वेतांबर धारी ।
स्वर्ण कांति शुचि गगन-बिहारी ॥4॥
पुस्तक पुष्प कमंडलु माला ।
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥5॥
ध्यान धरत पुलकित हित होई ।
सुख उपजत दुख दुर्मति खोई ॥6॥
कामधेनु तुम सुर तरु छाया ।
निराकार की अद्भुत माया ॥7॥
तुम्हरी शरण गहै जो कोई ।
तरै सकल संकट सों सोई ॥8॥
सरस्वती लक्ष्मी तुम काली ।
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥9॥
तुम्हरी महिमा पार न पावैं ।
जो शारद शत मुख गुन गावैं ॥10॥
चार वेद की मात पुनीता ।
तुम ब्रह्माणी गौरी सीता ॥11॥
महामंत्र जितने जग माहीं ।
कोउ गायत्री सम नाहीं ॥12॥
सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै ।
आलस पाप अविद्या नासै ॥13॥
सृष्टि बीज जग जननि भवानी ।
कालरात्रि वरदा कल्याणी ॥14॥
ब्रह्मा विष्णु रुद्र सुर जेते ।
तुम सों पावें सुरता तेते ॥15॥
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे ।
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥16॥
महिमा अपरम्पार तुम्हारी ।
जय जय जय त्रिपदा भयहारी ॥17॥
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना ।
तुम सम अधिक न जगमें आना ॥18॥
तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा ।
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेसा ॥19॥
जानत तुमहिं तुमहिं व्है जाई ।
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥20॥
तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई ।
माता तुम सब ठौर समाई ॥21॥
ग्रह नक्षत्र ब्रह्मांड घनेरे ।
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥22॥
सकल सृष्टि की प्राण विधाता ।
पालक पोषक नाशक त्राता ॥23॥
मातेश्वरी दया व्रत धारी ।
तुम सन तरे पातकी भारी ॥24॥
जापर कृपा तुम्हारी होई ।
तापर कृपा करें सब कोई ॥25॥
मंद बुद्धि ते बुधि बल पावें ।
रोगी रोग रहित हो जावें ॥26॥
दरिद्र मिटै कटै सब पीरा ।
नाशै दुख हरै भव भीरा ॥27॥
गृह क्लेश चित चिंता भारी ।
नासै गायत्री भय हारी ॥28॥
संतति हीन सुसंतति पावें ।
सुख संपति युत मोद मनावें ॥29॥
भूत पिशाच सबै भय खावें ।
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥30॥
जो सधवा सुमिरें चित लाई ।
अछत सुहाग सदा सुखदाई ॥31॥
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी ।
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥32॥
जयति जयति जगदंब भवानी ।
तुम सम ओर दयालु न दानी ॥33॥
जो सतगुरु सो दीक्षा पावे ।
सो साधन को सफल बनावे ॥34॥
सुमिरन करे सुरूचि बडभागी ।
लहै मनोरथ गृही विरागी ॥35॥
अष्ट सिद्धि नवनिधि की दाता ।
सब समर्थ गायत्री माता ॥36॥
ऋषि मुनि यती तपस्वी योगी ।
आरत अर्थी चिंतित भोगी ॥37॥
जो जो शरण तुम्हारी आवें ।
सो सो मन वांछित फल पावें ॥38॥
बल बुधि विद्या शील स्वभाउ ।
धन वैभव यश तेज उछाउ ॥39॥
सकल बढें उपजें सुख नाना ।
जे यह पाठ करै धरि ध्याना ॥40॥
!! दोहा !!
यह चालीसा भक्ति युत पाठ करै जो कोई ।
तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होय ॥

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गायत्री चालीसा पढ़ने के लाभ (Benefits Of Recite Gayatri Chalisa)
- सभी कष्टों से मुक्ति – यह चालीसा जीवन में आने वाली बाधाओं, मानसिक तनाव, आर्थिक तंगी और रोगों से छुटकारा दिलाती है।
- बुद्धि और विवेक की वृद्धि – मां गायत्री को 'ब्रह्मविद्या की देवी' कहा जाता है। उनकी कृपा से व्यक्ति की बुद्धि तेज होती है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
- धन-संपत्ति और सुख-समृद्धि – नियमित पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे लक्ष्मी कृपा और शांति बनी रहती है।
- आत्मिक शांति और आध्यात्मिक विकास – चालीसा पाठ (Gayatri Chalisa Pdf) साधक को भीतर से शांत करता है और उसे ईश्वर से जोड़ता है।
- संकट काल में सुरक्षा कवच – यह चालीसा कठिन समय में आध्यात्मिक कवच बनकर रक्षा करती है।
कब, कैसे और किसे पढ़नी चाहिए गायत्री चालीसा?
- समय: गायत्री चालीसा का पाठ (Gayatri Chalisa Lyrics) करने के लिए सबसे अच्छा समय सूरज निकलने से पहले ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 5 बजे के बीच) होता है। अगर ये समय न मिले तो आप सुबह सूर्योदय के वक्त या शाम के समय भी इसका पाठ कर सकते हैं। इन पवित्र घड़ियों में किया गया पाठ विशेष फलदायी माना जाता है क्योंकि उस समय वातावरण शांत और ऊर्जा से भरपूर होता है।
- स्थान: शांत, स्वच्छ और पवित्र स्थान पर बैठकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पाठ करें।
- विधि: पहले मां गायत्री की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं, फिर गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) का उच्चारण करें, इसके बाद श्रद्धा के साथ चालीसा का पाठ करें।
- किन्हें करना चाहिए: विद्यार्थी, नौकरीपेशा, गृहस्थ, साधक – सभी को गायत्री चालीसा का पाठ (Gayatri Chalisa Lyrics) करना चाहिए। विशेष रूप से वे लोग जिनका मन अस्थिर रहता है, जिन पर नकारात्मक ऊर्जा हावी होती है या जो बार-बार असफलताओं से जूझ रहे हैं।
निष्कर्ष:
गायत्री चालीसा (Gayatri Chalisa) केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह एक शक्तिशाली साधना है जो मन, मस्तिष्क और आत्मा को शुद्ध करती है। यह चालीसा मां की कृपा पाने का सरल और प्रभावी माध्यम है। जो लोग श्रद्धा से इसका नियमित पाठ करते हैं, उनके जीवन में न केवल शांति आती है बल्कि वे हर क्षेत्र में सफलता की ओर अग्रसर होते हैं।
मां गायत्री की कृपा आप पर सदैव बनी रहे।
“ॐ भूर्भुवः स्वः…” (Gayatri Chalisa Lyrics) से आरंभ होकर यह साधना आपके जीवन को प्रकाशमय बना सकती है।
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