May 14, 2025 Blog

Shree Sheetla Mata Chalisa: शुक्रवार के दिन शीतला चालीसा का पाठ से पूरे होंगे सभी काम

BY : STARZSPEAK

Sheetla Mata Chalisa: हिंदू धर्म में मां शीतला को एक ऐसी देवी के रूप में माना जाता है जो हमें बीमारियों से बचाती हैं। खासकर जब बात हो चेचक, फोड़े-फुंसी या दाद-खाज जैसे संक्रामक रोगों की, तब मां शीतला की पूजा करने से रोगों से राहत मिलने की मान्यता है। उनकी आराधना से शरीर को ही नहीं, मन को भी शांति और सुरक्षा का एहसास होता है। उनका स्वरूप शांत, मातृत्व से भरा और करुणा से परिपूर्ण माना गया है। मां शीतला के हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम की पत्तियां होती हैं, जो प्रतीक हैं शुद्धता, सफाई और औषधीय गुणों के। (Sheetla Chalisa


कौन हैं मां शीतला?

मां शीतला को रोग निवारण करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, जहां साफ-सफाई नहीं होती, वहां रोग पनपते हैं। ऐसे में मां शीतला सिर्फ एक देवी नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रतीक के रूप में भी मानी जाती हैं। उन्हें प्रसन्न करने से घर-परिवार में रोगों का प्रवेश नहीं होता और सभी सदस्य स्वस्थ रहते हैं।

!! श्री शीतला माता चालीसा !!

!! Shree Sheetla Mata Chalisa !!

दोहा :-

जय जय माता शीतला तुमही धरे जो ध्यान।
होय बिमल शीतल हृदय विकसे बुद्धी बल ज्ञान।।

घट घट वासी शीतला शीतल प्रभा तुम्हार। 
शीतल छैंय्या शीतल मैंय्या पल ना दार।।
 
चौपाई :-

जय जय श्री शीतला भवानी। जय जग जननि सकल गुणधानी।।
गृह गृह शक्ति तुम्हारी राजती। पूरन शरन चंद्रसा साजती।।
विस्फोटक सी जलत शरीरा। शीतल करत हरत सब पीड़ा।।
मात शीतला तव शुभनामा। सबके काहे आवही कामा।।
 
शोक हरी शंकरी भवानी। बाल प्राण रक्षी सुखदानी।।
सूचि बार्जनी कलश कर राजै। मस्तक तेज सूर्य सम साजै।।
 
चौसट योगिन संग दे दावै। पीड़ा ताल मृदंग बजावै।।
नंदिनाथ भय रो चिकरावै। सहस शेष शिर पार ना पावै।।

sheetla mata chalisa
 
धन्य धन्य भात्री महारानी। सुर नर मुनी सब सुयश बधानी।।
ज्वाला रूप महाबल कारी। दैत्य एक विश्फोटक भारी।।
 
हर हर प्रविशत कोई दान क्षत। रोग रूप धरी बालक भक्षक।।
हाहाकार मचो जग भारी। सत्यो ना जब कोई संकट कारी।।
 
तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा। कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा।।
विस्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो। मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो।।
 
बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा। मैय्या नहीं फल कछु मैं कीन्हा।।
अब नही मातु काहू गृह जै हो। जह अपवित्र वही घर रहि हो।।

पूजन पाठ मातु जब करी है। भय आनंद सकल दुःख हरी है।।
अब भगतन शीतल भय जै हे। विस्फोटक भय घोर न सै हे।।
 
श्री शीतल ही बचे कल्याना। बचन सत्य भाषे भगवाना।।
कलश शीतलाका करवावै। वृजसे विधीवत पाठ करावै।।
 
विस्फोटक भय गृह गृह भाई। भजे तेरी सह यही उपाई।।
तुमही शीतला जगकी माता। तुमही पिता जग के सुखदाता।।
 
तुमही जगका अतिसुख सेवी। नमो नमामी शीतले देवी।।
नमो सूर्य करवी दुख हरणी। नमो नमो जग तारिणी धरणी।।
 
नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी। दुख दारिद्रा निस निखंदिनी।।
श्री शीतला शेखला बहला। गुणकी गुणकी मातृ मंगला।।
 
मात शीतला तुम धनुधारी। शोभित पंचनाम असवारी।।
राघव खर बैसाख सुनंदन। कर भग दुरवा कंत निकंदन।।
 
सुनी रत संग शीतला माई। चाही सकल सुख दूर धुराई।।
कलका गन गंगा किछु होई। जाकर मंत्र ना औषधी कोई।।
 
हेत मातजी का आराधन। और नही है कोई साधन।।
निश्चय मातु शरण जो आवै। निर्भय ईप्सित सो फल पावै।।
 
कोढी निर्मल काया धारे। अंधा कृत नित दृष्टी विहारे।।
बंधा नारी पुत्रको पावे। जन्म दरिद्र धनी हो जावे।।
 
सुंदरदास नाम गुण गावत। लक्ष्य मूलको छंद बनावत।।
या दे कोई करे यदी शंका। जग दे मैंय्या काही डंका।।
 
कहत राम सुंदर प्रभुदासा। तट प्रयागसे पूरब पासा।।
ग्राम तिवारी पूर मम बासा। प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा।।
 
अब विलंब भय मोही पुकारत। मातृ कृपाकी बाट निहारत।।
बड़ा द्वार सब आस लगाई। अब सुधि लेत शीतला माई।।
 
चौपाई :-
यह चालीसा शीतला पाठ करे जो कोय। 
सपनें दुख व्यापे नही नित सब मंगल होय।।
बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू। 
जग जननी का ये चरित रचित भक्ति रस बिंतू।।
 
॥ इतिश्री शीतला माता चालीसा समाप्त॥

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शीतला माता चालीसा पढ़ने का महत्व (Importance of reading Sheetla Mata Chalisa)

शीतला माता चालीसा (Sheetla Mata Chalisa Lyrics) 40 चौपाइयों से मिलकर बनी एक स्तुति है, जिसमें मां के स्वरूप, उनके चमत्कार और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इस चालीसा का पाठ न सिर्फ भक्त की श्रद्धा को दृढ़ करता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी शांति प्रदान करता है। जो व्यक्ति नित्य श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसकी रक्षा स्वयं मां शीतला करती हैं।

शीतला चालीसा कब और कैसे पढ़ें? (When and how to read Sheetla Chalisa?)

  • समय: शीतला चालीसा का पाठ (Sheetla Mata Chalisa Lyrics) प्रातःकाल या संध्याकाल में करना शुभ होता है। विशेष रूप से सोमवार, शुक्रवार या शीतला अष्टमी के दिन इसका पाठ अत्यधिक फलदायी माना जाता है।

  • स्थान: पाठ के लिए शांत और स्वच्छ स्थान का चयन करें। मां शीतला की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीप जलाकर चालीसा का पाठ करें।

  • भावना: सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ मां का स्मरण करें, तभी पाठ का पूरा फल प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

मां शीतला केवल एक देवी नहीं, बल्कि हमारी जीवनशैली में स्वच्छता और स्वास्थ्य का पाठ पढ़ाने वाली मां हैं। शीतला माता चालीसा का पाठ (Shree Sheetla Mata Chalisa ) करने से ना केवल शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि मन को भी एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता प्राप्त होती है। इसलिए जीवन में नियमित रूप से मां शीतला की आराधना जरूर करें और उनकी कृपा से अपने जीवन को स्वस्थ, सुखद और समृद्ध बनाएं।

"जय मां शीतला!" 


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