January 23, 2025 Blog

Vindheshwari Chalisa Lyrics: पढ़े विन्धेश्वरी चालीसा और जाने माँ विन्धेश्वरी की महिमा

BY : STARZSPEAK

Vindheshwari Chalisa:  मां विन्धेश्वरी, जिन्हें देवी दुर्गा का दिव्य स्वरूप माना जाता है, उत्तर भारत के मध्य प्रदेश के विंध्याचल क्षेत्र में विराजमान हैं। उनकी महिमा अपरंपार है और भक्तों के लिए वे आश्रय और शक्ति का स्रोत हैं। विन्धेश्वरी चालीसा का पाठ करना, मां की असीम कृपा और अनंत शक्तियों की आराधना करने का एक पवित्र माध्यम है। यह भक्तों के लिए आत्मिक शांति, साहस, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। मां विन्धेश्वरी की चालीसा उनके भक्तों को जीवन के हर कठिन मोड़ पर मार्गदर्शन और बल प्रदान करती है।

 ऐसा विश्वास है कि माता विंधेश्वरी अपने भक्तों के सभी कष्टों को हरती हैं और उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करती हैं।

इस चालीसा (Vindheshwari Chalisa) के प्रत्येक शब्द में देवी की अनंत महिमा और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ गाने से भक्तों को गहन आध्यात्मिक शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है। विंधेश्वरी चालीसा का विशेष महत्व नवरात्रि, मंगलवार और शनिवार जैसे पावन दिनों पर होता है, जब देवी की पूजा और स्तुति का प्रभाव सबसे अधिक माना जाता है। भक्तजन विंधेश्वरी चालीसा (Vindheshwari Chalisa) के माध्यम से देवी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन के कठिनाइयों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। आइए, मां विंध्यवासिनी की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी चालीसा का पाठ करें।


।।  माँ विन्धेश्वरी चालीसा ।।

।। Maa Vindheshwari Chalisa Lyrics ।।

॥ दोहा ॥

नमो नमो विन्ध्येश्वरी,
नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में,
करती नहीं विलम्ब ॥
 
जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
आदिशक्ति जगविदित भवानी ॥

सिंहवाहिनी जै जगमाता ।
जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता ॥

कष्ट निवारण जै जगदेवी ।
जै जै सन्त असुर सुर सेवी ॥
 
महिमा अमित अपार तुम्हारी ।
शेष सहस मुख वर्णत हारी ॥
 
दीनन को दु:ख हरत भवानी ।
नहिं देखो तुम सम कोउ दानी ॥
 
सब कर मनसा पुरवत माता ।
महिमा अमित जगत विख्याता ॥
 
जो जन ध्यान तुम्हारो लावै ।
सो तुरतहि वांछित फल पावै ॥
 
तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी ।
तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी ॥
 
रमा राधिका श्यामा काली ।
तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली ॥
 
उमा माध्वी चण्डी ज्वाला ।
वेगि मोहि पर होहु दयाला ॥ 10

 
vindheswari chalisa
 

तुम्हीं हिंगलाज महारानी ।
तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी ॥

दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता ।
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता ॥

तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी ।
हे मावती अम्ब निर्वानी ॥

अष्टभुजी वाराहिनि देवा ।
करत विष्णु शिव जाकर सेवा ॥

चौंसट्ठी देवी कल्यानी ।
गौरि मंगला सब गुनखानी ॥

पाटन मुम्बादन्त कुमारी ।
भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी ॥

बज्रधारिणी शोक नाशिनी ।
आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी ॥

जया और विजया वैताली ।
मातु सुगन्धा अरु विकराली ॥

नाम अनन्त तुम्हारि भवानी ।
वरनै किमि मानुष अज्ञानी ॥

जापर कृपा मातु तब होई ।
जो वह करै चाहे मन जोई ॥ 20

कृपा करहु मोपर महारानी ।
सिद्ध करहु अम्बे मम बानी ॥

जो नर धरै मातु कर ध्याना ।
ताकर सदा होय कल्याना ॥

विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै ।
जो देवीकर जाप करावै ॥

जो नर कहँ ऋण होय अपारा ।
सो नर पाठ करै शत बारा ॥

निश्चय ऋण मोचन होई जाई ।
जो नर पाठ करै चित लाई ॥

अस्तुति जो नर पढ़े पढ़अवे ।
या जग में सो बहु सुख पावे ॥

जाको व्याधि सतावे भाई ।
जाप करत सब दूर पराई ॥

जो नर अति बन्दी महँ होई ।
बार हजार पाठ करि सोई ॥

निश्चय बन्दी ते छुट जाई ।
सत्य वचन मम मानहु भाई ॥

जापर जो कछु संकट होई ।
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई ॥ 30

जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई ।
सो नर या विधि करे उपाई ॥

पाँच वर्ष जो पाठ करावै ।
नौरातन महँ विप्र जिमावै ॥

निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी ।
पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी ॥

ध्वजा नारियल आन चढ़ावै ।
विधि समेत पूजन करवावै ॥

नित प्रति पाठ करै मन लाई ।
प्रेम सहित नहिं आन उपाई ॥

यह श्री विन्ध्याचल चालीसा ।
रंक पढ़त होवे अवनीसा ॥

यह जन अचरज मानहु भाई ।
कृपा दृश्टि जापर होइ जाई ॥

जै जै जै जग मातु भवानी ।
कृपा करहु मोहि निज जन जानी ॥ 40

॥ इति श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा ॥

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माँ विन्धेश्वरी की महिमा  (Glory Of Maa Vindheshwari)

माता विन्ध्येश्वरी, देवी का एक भक्तवत्सल और करुणामय रूप हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भक्त सच्चे हृदय से माँ की आराधना करता है, तो माँ उसे भौतिक सुख (भुक्ति) और आध्यात्मिक मुक्ति (मुक्ति) सहज ही प्रदान कर देती हैं।

विंध्याचल पर्वत श्रृंखला में माता का दिव्य निवास है। उनकी नित्य उपस्थिति ने विंध्य पर्वत को एक जाग्रत शक्तिपीठ का दर्जा दिया है और इसे विश्वभर में विशेष मान-सम्मान दिलाया है। यदि हम थोड़ी भी श्रद्धा से विचार करें, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि माँ की एक दयाभरी दृष्टि ने पाषाण समूह को इतना महिमामंडित कर दिया, तो यदि कोई मानव पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ उनकी उपासना करे, तो माँ उसे कौन सा वरदान नहीं देंगी?

प्रयागराज और काशी के मध्य स्थित मिर्जापुर के अंतर्गत विंध्याचल नामक यह तीर्थ, माँ विंध्यवासिनी (Vindheshwari Chalisa) का पावन धाम है। गंगा नदी के तट पर स्थित यह महातीर्थ, शास्त्रों के अनुसार, सभी शक्तिपीठों में प्रधान माना गया है। यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में विशिष्ट है क्योंकि यह गंगा के तट पर स्थित पहला और अंतिम शक्तिपीठ है।

कौन है माँ विन्धेश्वरी (विंध्यवासिनी)

माता विन्ध्यवासिनी भगवान श्रीकृष्ण की बहन मानी जाती हैं। जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उसी समय माता यशोदा के यहां एक दिव्य कन्या ने जन्म लिया, जो मां विंध्यवासिनी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। यह वही योगमाया थीं, जिन्होंने भगवान विष्णु की आज्ञा से यशोदा माता के यहां कन्या रूप में अवतार लिया था।

भारत में मां विंध्यवासिनी (Vindheshwari Chalisa) की पूजा और साधना का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि उनकी आराधना शीघ्र ही फल देती है।


विन्ध्येश्वरी चालीसा का महत्व (Importance Of Vindheshwari Chalisa)

मां विन्ध्येश्वरी की चालीसा (Vindheshwari Chalisa) का पाठ करना न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि यह भक्त के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का भी स्रोत बनता है। कहा जाता है कि नियमित रूप से चालीसा का पाठ करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में उन्नति के मार्ग खुलते हैं।

मां विन्ध्येश्वरी की कृपा से साधक को सिद्धि और बुद्धि की प्राप्ति होती है। उनके आशीर्वाद से धन, बल, और ज्ञान-विवेक में वृद्धि होती है। यह चालीसा (Vindheshwari Chalisa) व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है और उसे हर प्रकार के कष्ट से मुक्त करती है।

विन्ध्येश्वरी मां के प्रभाव से व्यक्ति आर्थिक और सामाजिक रूप से उन्नति करता है। वह अपने जीवन में सफलता की ऊंचाइयों को छूता है और हर प्रकार के सुख का अनुभव करता है। मां की कृपा से ना केवल भौतिक संपदा में वृद्धि होती है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल भी मिलता है।

जो लोग जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे होते हैं, उनके लिए चालीसा का पाठ अद्भुत प्रभाव डालता है। यह पाठ उनके जीवन को कष्टों से मुक्त कर, सकारात्मकता और आत्मविश्वास से भर देता है।

मां विन्ध्येश्वरी का यह चालीसा (Vindheshwari Chalisa) न केवल भक्त के जीवन को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाता है, बल्कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में विजयी बनाता है। उनकी कृपा से साधक के जीवन में कोई भी कार्य असंभव नहीं रहता।

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