Parvati Chalisa: मां पार्वती को सृष्टि की आदिशक्ति और समस्त ब्रह्मांड की जननी माना जाता है। इसलिए जब भी उनकी पूजा-अर्चना की जाती है, उसमें पार्वती चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए, क्योंकि यह उनकी महिमा का सारगर्भित स्तुति रूप है जो भक्ति को पूर्णता देता है।
हिंदू धर्म में देवी मां को अत्यंत श्रद्धा और सम्मान का स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि अगर कोई भक्त सच्चे दिल से मां पार्वती की पूजा करता है, तो वे बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। उनकी कृपा से जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं और मनचाही इच्छाएं भी पूरी होती हैं। जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से मां पार्वती की उपासना करता है, उसे भगवान शिव का आशीर्वाद भी सहज रूप से प्राप्त होता है।
मां पार्वती की उपासना के बाद चालीसा का पाठ करना बेहद महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए श्रद्धा के साथ पार्वती चालीसा का पाठ अवश्य करें। यहां प्रस्तुत है मां पार्वती की संपूर्ण चालीसा (Parvati Chalisa Lyrics), जो आपके जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
!! पार्वती चालीसा का पाठ !!
!! Parvati Chalisa Lyrics !!
।। दोहा ।।
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि,
गणपति जननी पार्वती, अम्बे, शक्ति, भवानी ।
।। चौपाई ।।
ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो ।
तेरो पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हित सजाता ।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे ।
ललित लालट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत शोभा मनोहर ।
कनक बसन कञ्चुकि सजाये, कटी मेखला दिव्य लहराए ।
कंठ मदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभ ।
बालारुण अनंत छवि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी ।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजित हरी चतुरानन ।
इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित ।
गिर कैलाश निवासिनी जय जय, कोटिकप्रभा विकासिनी जय जय ।
त्रिभुवन सकल, कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ।
हैं महेश प्राणेश, तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब ।
बुढा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी ।
सदा श्मशान विहरी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर ।
कंठ हलाहल को छवि छायी, नीलकंठ की पदवी पायी ।
देव मगन के हित अस किन्हों, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो ।
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी ।
देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो ।
भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा ।
सौत सामान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ।
तेहि कों कमल बदन मुर्झायो, लखी सत्वर शिव शीश चढायो ।
नित्यानंद करी वरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी ।
अखिल पाप त्रय्ताप निकन्दनी , माहेश्वरी ,हिमालय नन्दिनी ।
काशी पूरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायीं ।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करी अवलम्बे ।
गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।
सब जन की ईश्वरी भगवती, पतप्राणा परमेश्वरी सती ।
तुमने कठिन तपस्या किणी, नारद सो जब शिक्षा लीनी ।
अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा ।
पत्र घास को खाद्या न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ ।
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे ।
तव तव जय जय जयउच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ ।
सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए ।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसो, चाहत जग त्रिभुवन निधि, जिनसों ।
एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए ।
करि विवाह शिव सों हे भामा, पुनः कहाई हर की बामा ।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जनसुख देइहै तेहि ईसा ।
।। दोहा ।।
कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति सुख खानी,
पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानी ।
हरतालिका तीज पर पार्वती चालीसा क्यों पढ़ें?
हरतालिका तीज के दिन माता पार्वती की आराधना का विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन उन्होंने कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। पार्वती चालीसा (Parvati Chalisa) एक श्रद्धाभाव से भरी स्तुति है, जिसमें मां पार्वती के सौंदर्य, गुणों और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं का भावपूर्ण वर्णन किया गया है। इसका पाठ करते समय हम उनके तप, शक्ति और मातृत्व भाव को याद करते हैं और उनसे प्रेरणा लेते हैं।
मां पार्वती, शक्ति की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। वे सिर्फ भगवान शिव की अर्धांगिनी ही नहीं, बल्कि करुणा, ममता, त्याग और शक्ति की प्रतीक भी हैं। मां पार्वती की आराधना भक्तों द्वारा मुख्य रूप से वैवाहिक सुख, पारिवारिक शांति और संतान की प्राप्ति के लिए की जाती है। ऐसे में पार्वती चालीसा का पाठ (Parvati Chalisa Lyrics) एक सहज और प्रभावशाली माध्यम माना जाता है, जिससे भक्त मां की कृपा आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
पार्वती चालीसा कब पढ़नी चाहिए? (When should Parvati Chalisa be recited?)
- प्रत्येक सोमवार को पार्वती चालीसा का पाठ करना विशेष फलदायी माना गया है।
- नवरात्रि, शिवरात्रि या किसी विशेष देवी पर्व पर इसका पाठ (Maa Parvati Chalisa) करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
- सुबह के समय स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र पहनकर, मां की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठकर चालीसा का पाठ करना श्रेष्ठ रहता है।
- वैवाहिक जीवन में समस्याएं हों, संतान की इच्छा हो या मानसिक शांति की तलाश हो – तो प्रतिदिन अथवा कम से कम सप्ताह में एक बार पाठ ज़रूर करें।
पार्वती चालीसा के लाभ (Benefits Of Parvati Chalisa)
- वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बढ़ता है।
- संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपत्तियों को विशेष लाभ होता है।
- सुख-समृद्धि और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सकारात्मक वातावरण बनता है।
- भय, दुख और दरिद्रता का नाश होता है और मां की कृपा से जीवन में स्थिरता आती है।
- कन्याओं के लिए योग्य वर की प्राप्ति में सहायक होता है।
निष्कर्ष
मां पार्वती की चालीसा (Parvati Chalisa) एक ऐसा आध्यात्मिक माध्यम है, जिसके जरिए हम उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यह न केवल हमारे मन को शांति देती है बल्कि जीवन में आ रहे संघर्षों को भी दूर करने में मदद करती है। नियमित और श्रद्धापूर्वक पार्वती चालीसा का पाठ करने से मां पार्वती प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करती हैं।
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