April 30, 2025 Blog

Jaya Parvati Vrat 2025: अखंड सौभाग्य के लिए अविवाहित महिलाये रखती है जया पार्वती व्रत

BY : STARZSPEAK

Jaya Parvati Vrat 2025: जया पार्वती व्रत का महत्व विवाहित और अविवाहित दोनों ही महिलाओं के लिए खास होता है। यह व्रत खास तौर पर गुजरात और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में गहरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, जहां महिलाएं पूरे मन से देवी पार्वती की पूजा करती हैं। यह उपवास कुल पाँच दिनों तक चलता है और देवी पार्वती के एक रूप, देवी जया की आराधना से जुड़ा होता है। यह पर्व आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर, पांचवें दिन कृष्ण पक्ष की तृतीया को समाप्त होता है। अविवाहित लड़कियाँ इस व्रत को अच्छे जीवनसाथी की कामना के लिए करती हैं, वहीं विवाहित स्त्रियाँ इसे अपने वैवाहिक जीवन की सुख-शांति और पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। हिन्दू परंपरा के अनुसार, एक बार यह व्रत शुरू करने के बाद इसे पांच, सात, नौ, ग्यारह या फिर बीस वर्षों तक नियमित रूप से रखना होता है।

जया पार्वती व्रत कब है? (When Is Jaya Parvati Vrat 2025)

2025 में जया पार्वती व्रत की शुरुआत आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से होगी, जो इस साल 8 जुलाई को पड़ रही है। यह व्रत पाँच दिनों तक चलता है और श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को समाप्त होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह समय देवी पार्वती की आराधना और भक्तिभाव से जुड़ा हुआ होता है, जिसे विशेष रूप से महिलाएँ बड़े श्रद्धा भाव से मनाती हैं।

जया पार्वती व्रत का महत्त्व (Significance Of Jaya Parvati Vrat)

जया पार्वती व्रत का महिलाओं के जीवन में विशेष महत्व होता है। अविवाहित लड़कियाँ इस व्रत को अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएँ इसे अपने दांपत्य जीवन में प्रेम, समर्पण और सुख-शांति बनाए रखने के लिए रखती हैं। 

जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat Katha) की महत्ता प्राचीन काल से चली आ रही है। इस व्रत से जुड़ी एक लोकप्रिय कहानी एक ब्राह्मण महिला की है, जिसने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए पूरे श्रद्धा भाव से यह व्रत किया था। माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत न सिर्फ परिवार की खुशहाली और समृद्धि लाने वाला माना जाता है, बल्कि यह भक्त की मनोकामनाएं भी पूरी करता है।

परंपरा के अनुसार, यह व्रत (Jaya Parvati Vrat) पांच या सात वर्षों तक लगातार करना शुभ माना जाता है। इस दौरान रात्रि जागरण और उपवास किया जाता है, जिसे विवाहित और अविवाहित महिलाएं समान रूप से निभाती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है और उनका वैवाहिक जीवन सुखद रहता है।


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जया पार्वती व्रत की पूजा विधि (Worship Method Of Jaya Parvati Vrat)

  1. व्रत का संकल्प:
    व्रत के पहले दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें और देवी जया (पार्वती) की पूजा का संकल्प लें।

  2. मूर्ति या चित्र की स्थापना:
    जया पार्वती व्रत का महत्त्व  निष्कर्ष  सबसे पहले घर के पूजा स्थल को साफ करें, फिर एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाये और माता पार्वती की तस्वीर या फोटो स्थापित करें।

  3. सोलह श्रृंगार अर्पण करें:
    विवाहित महिलाएँ देवी को सोलह श्रृंगार की वस्तुएं जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, काजल आदि अर्पित करती हैं। यह देवी को सौंदर्य और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।

  4. पाँच दिनों तक उपवास और पूजा:
    इन पाँच दिनों में महिलाएँ बिना नमक का भोजन करती हैं या पूर्ण उपवास रखती हैं। हर दिन पूजा करके देवी को फूल, फल, बेलपत्र, नारियल, सुपारी आदि अर्पित करें।

  5. नागर बेल की पूजा:
    पूजा में नागर बेल (मीठी बेल) की पाँच या सात डंडियाँ मिट्टी के पात्र में रोपकर उसकी पूजा की जाती है। इसे देवी के प्रतीक के रूप में माना जाता है।

  6. कथा श्रवण:
    हर दिन पूजा के बाद जया पार्वती व्रत कथा (Jaya Parvati Vrat Katha) सुनना या पढ़ना जरूरी माना जाता है। इससे व्रत की पूर्णता मानी जाती है।

  7. पांचवे दिन व्रत का समापन:
    व्रत के पाँचवे दिन देवी की विशेष पूजा करके उन्हें मीठा भोग चढ़ाएं और आरती करें। फिर बेल की डंडियों को नदी या किसी पवित्र स्थान में विसर्जित करें।

  8. उद्यापन (समापन अनुष्ठान):
    अगर आप वर्षों से यह व्रत कर रही हैं और अब इसे समाप्त करना चाहती हैं, तो विशेष रूप से उद्यापन करें—ब्राह्मणों को भोजन कराएँ, दान दें और देवी का विधिवत पूजन करें।

यह व्रत नारी शक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, जो न केवल आध्यात्मिक संतुलन लाता है बल्कि मनोबल भी बढ़ाता है।


निष्कर्ष 

जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat 2025) केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति गहरी आस्था, भक्ति और समर्पण को दर्शाने वाला एक पावन पर्व भी है। यह व्रत देवी पार्वती की भक्ति से प्रेरित है, जो स्त्रियों को वैवाहिक जीवन में सुख, प्रेम और सौभाग्य प्रदान करने वाला माना जाता है। चाहे कोई विवाह की कामना कर रही हो या अपने दांपत्य जीवन को और अधिक मजबूत बनाना चाहती हो, यह व्रत आस्था और मनोकामनाओं को पूर्ण करने का एक प्रभावशाली माध्यम है। जया पार्वती व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि मानसिक शांति, संयम और विश्वास को भी गहरा करता है।

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