Jaya Parvati Vrat 2025: जया पार्वती व्रत का महत्व विवाहित और अविवाहित दोनों ही महिलाओं के लिए खास होता है। यह व्रत खास तौर पर गुजरात और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में गहरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, जहां महिलाएं पूरे मन से देवी पार्वती की पूजा करती हैं। यह उपवास कुल पाँच दिनों तक चलता है और देवी पार्वती के एक रूप, देवी जया की आराधना से जुड़ा होता है। यह पर्व आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से शुरू होकर, पांचवें दिन कृष्ण पक्ष की तृतीया को समाप्त होता है। अविवाहित लड़कियाँ इस व्रत को अच्छे जीवनसाथी की कामना के लिए करती हैं, वहीं विवाहित स्त्रियाँ इसे अपने वैवाहिक जीवन की सुख-शांति और पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। हिन्दू परंपरा के अनुसार, एक बार यह व्रत शुरू करने के बाद इसे पांच, सात, नौ, ग्यारह या फिर बीस वर्षों तक नियमित रूप से रखना होता है।
2025 में जया पार्वती व्रत की शुरुआत आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से होगी, जो इस साल 8 जुलाई को पड़ रही है। यह व्रत पाँच दिनों तक चलता है और श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को समाप्त होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह समय देवी पार्वती की आराधना और भक्तिभाव से जुड़ा हुआ होता है, जिसे विशेष रूप से महिलाएँ बड़े श्रद्धा भाव से मनाती हैं।
जया पार्वती व्रत का महिलाओं के जीवन में विशेष महत्व होता है। अविवाहित लड़कियाँ इस व्रत को अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए करती हैं, जबकि विवाहित महिलाएँ इसे अपने दांपत्य जीवन में प्रेम, समर्पण और सुख-शांति बनाए रखने के लिए रखती हैं।
जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat Katha) की महत्ता प्राचीन काल से चली आ रही है। इस व्रत से जुड़ी एक लोकप्रिय कहानी एक ब्राह्मण महिला की है, जिसने अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए पूरे श्रद्धा भाव से यह व्रत किया था। माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत न सिर्फ परिवार की खुशहाली और समृद्धि लाने वाला माना जाता है, बल्कि यह भक्त की मनोकामनाएं भी पूरी करता है।
परंपरा के अनुसार, यह व्रत (Jaya Parvati Vrat) पांच या सात वर्षों तक लगातार करना शुभ माना जाता है। इस दौरान रात्रि जागरण और उपवास किया जाता है, जिसे विवाहित और अविवाहित महिलाएं समान रूप से निभाती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है और उनका वैवाहिक जीवन सुखद रहता है।
यह व्रत नारी शक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, जो न केवल आध्यात्मिक संतुलन लाता है बल्कि मनोबल भी बढ़ाता है।
जया पार्वती व्रत (Jaya Parvati Vrat 2025) केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह महिलाओं की भगवान शिव और माता पार्वती के प्रति गहरी आस्था, भक्ति और समर्पण को दर्शाने वाला एक पावन पर्व भी है। यह व्रत देवी पार्वती की भक्ति से प्रेरित है, जो स्त्रियों को वैवाहिक जीवन में सुख, प्रेम और सौभाग्य प्रदान करने वाला माना जाता है। चाहे कोई विवाह की कामना कर रही हो या अपने दांपत्य जीवन को और अधिक मजबूत बनाना चाहती हो, यह व्रत आस्था और मनोकामनाओं को पूर्ण करने का एक प्रभावशाली माध्यम है। जया पार्वती व्रत न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि मानसिक शांति, संयम और विश्वास को भी गहरा करता है।
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