July 30, 2025 Blog

Rama Ekadashi 2025: कब है रमा एकादशी, जानिए इसकी तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और महत्त्व

BY : Meera Joshi – Spiritual Writer

Rama Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग में साल भर आने वाली 24 एकादशियों में रमा एकादशी का विशेष महत्व होता है। यह एकादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आती है और दीपावली से कुछ दिन पूर्व मनाई जाती है। रमा एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और यह व्रत विशेष रूप से पापों के नाश, पुण्य लाभ और मोक्ष प्राप्ति का माध्यम माना गया है।

इस लेख में हम जानेंगे रमा एकादशी 2025 की सटीक तिथि (Rama Ekadashi 2025 date) और शुभ मुहूर्त, व्रत की कथा, पूजा विधि, नियम, व्रत के दौरान किए जाने वाले पुण्य कर्म, इस दिन का आहार-विहार और खास परंपराओं के बारे में।

रमा एकादशी 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त (Rama Ekadashi 2025 Date and Time)

  • तिथि: शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025

  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 16 अक्टूबर 2025, शाम 05:11 बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त: 18 अक्टूबर 2025, शाम 06:21 बजे

  • व्रत पारण का समय: 18 अक्टूबर 2025, प्रातः 06:30 से 08:45 बजे तक (द्वादशी तिथि के अनुसार)

नोट: व्रतधारी पारण द्वादशी तिथि में सूर्योदय के बाद करना चाहिए।

रमा एकादशी का महत्व (Importance Of Rama Ekadashi)

रमा एकादशी को “पुण्य प्रदायक एकादशी” भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आता है। कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की कथा और महिमा श्रद्धा से सुनते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस एकादशी (Rama Ekadashi Vrat) का पुण्य फल इतना प्रभावशाली होता है कि यह कई अश्वमेध और राजसूय यज्ञों के समान या उससे भी अधिक फलदायक माना जाता है। जो श्रद्धालु पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ इस उपवास का पालन करते हैं, उनके जीवन में समृद्धि, सफलता और शांति का वास होता है।

  • इस दिन व्रत करने से लक्ष्मी कृपा भी प्राप्त होती है।

  • जो भी इस दिन उपवास रखकर विधिवत पूजा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

  • यह एकादशी गृहस्थ जीवन में शांति और वैवाहिक सुख बढ़ाने में भी सहायक मानी जाती है।
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रमा एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat Katha) 

प्राचीन समय की बात है, मुचुकुंद नामक एक प्रतापी राजा थे, जो भगवान विष्णु के परम भक्त माने जाते थे। उन्होंने अपने राज्य में हर व्यक्ति के लिए रमा एकादशी का व्रत (Rama Ekadashi vrat) अनिवार्य कर दिया था। उनकी पुत्री चंद्रभागा भी बचपन से ही इस पावन व्रत का पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ पालन करती थीं।

चंद्रभागा का विवाह चन्द्रसेन नामक राजा के पुत्र, राजकुमार शोभन से हुआ था। एक बार रमा एकादशी के दिन, शोभन अपनी पत्नी के साथ मुचुकुंद के राज्य में आए। संयोगवश, उसी दिन रमा एकादशी (Rama Ekadashi vrat) पड़ गई। राजा के आदेशानुसार, शोभन को भी व्रत करना पड़ता, लेकिन उसका स्वास्थ्य बहुत कमजोर था। चंद्रभागा ने सोचा की यदि उनके पति इस राज्य से बाहर चले जायेंगे तो उन्हें व्रत के नियमो का उल्लघन नहीं करना पड़ेगा। 

लेकिन शोभन ने ठान लिया कि वह इस शुभ व्रत का पालन करेगा, भले ही परिणाम कुछ भी हो। दुर्भाग्यवश, उपवास की कठिनता और शारीरिक कमजोरी के कारण, शोभन की उसी रात मृत्यु हो गई। हालांकि, उसने जिस श्रद्धा से उपवास रखा था, उसी का पुण्य फल उसे स्वर्ग में मिला। वहां उसे एक भव्य, दिव्य और अद्वितीय राज्य प्राप्त हुआ। लेकिन चूंकि उसका व्रत मजबूरी में और बिना पूरी आस्था के किया गया था, इसलिए उसका वह राज्य स्थायी न होकर अदृश्य बना रहा।

कई वर्षों बाद, एक ब्राह्मण मुचुकुंद के राज्य से बाहर निकला और स्वर्ग में शोभन को देखा। ब्राह्मण ने जब शोभन से इस चमत्कार के पीछे का रहस्य पूछा, तो शोभन ने अपनी पूरी कहानी विस्तार से बताई और विनती की कि वह जाकर चंद्रभागा को सब कुछ बताए।

ब्राह्मण जब लौटकर चंद्रभागा से मिला और सारा वृत्तांत सुनाया, तो चंद्रभागा ने अपने वर्षों के एकादशी व्रतों के पुण्य बल से उस अदृश्य साम्राज्य को साकार कर दिया। उस दिन के बाद, चंद्रभागा और शोभन एक बार फिर मिल गए और उन्होंने एक दिव्य जीवन की शुरुआत की — प्रेम, भक्ति और आशीर्वाद से भरा हुआ।

इस कथा से यह संदेश मिलता है कि रमा एकादशी का व्रत न केवल जीवन को सकारात्मक दिशा देता है, बल्कि आत्मा को भी शुद्ध करता है और मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।

पूजा विधि (Rama Ekadashi Puja Vidhi)

  1. प्रातः स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

  2. व्रत का संकल्प लें: “मैं रमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की कृपा के लिए कर रहा/रही हूँ।”

  3. पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और वहाँ भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

  4. दीपक जलाएं और भगवान विष्णु को पीले फूल, फल, तुलसी, धूप-दीप अर्पित करें।

  5. विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु चालीसा का पाठ करें।

  6. रमा एकादशी की व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat Katha) सुनें या पढ़ें।

  7. रात्रि जागरण करें, भजन-कीर्तन करें।

  8. द्वादशी को ब्राह्मण भोजन और दान-दक्षिणा देने के बाद व्रत का पारण करें।

रमा एकादशी व्रत के नियम (Rituals Of Ram Ekadashi Vrat)

  • एक दिन पूर्व (दशमी तिथि) से सात्विक भोजन लें।

  • एकादशी के दिन अनाज, दाल, चावल, मांस, प्याज-लहसुन और तामसिक चीजों से परहेज करें।

  • ब्रह्मचर्य का पालन करें और झूठ, चुगली, क्रोध से दूर रहें।

  • दिनभर फलाहार करें: फल, दूध, सूखे मेवे आदि सेवन करें।

  • किसी का मन न दुखाएं और जरूरतमंदों की मदद करें।

रमा एकादशी पर दान-पुण्य के कार्य (Charity and good deeds on Rama Ekadashi)

रमा एकादशी पर दान का विशेष महत्व बताया गया है। यह दिन केवल उपवास का ही नहीं बल्कि परोपकार का भी दिन है।

  • क्या दान करें:

    • अन्न, वस्त्र, तांबा, पीतल के बर्तन

    • तेल, घी, चावल, फल, गुड़

    • धार्मिक पुस्तकें, जप माला, पूजा सामग्री

  • किसे दान करें:

    • ब्राह्मणों, निर्धनों, वृद्धों और ज़रूरतमंदों को।

इस दिन अगर आप किसी असहाय व्यक्ति को भोजन कराते हैं या वस्त्र देते हैं, तो यह सौगुना पुण्य फल देता है।

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इस दिन क्या पहनें और क्या खाएं 

परिधान (वस्त्र चयन):

  • महिलाएं पीले, गुलाबी या नारंगी जैसे शुभ रंग के वस्त्र पहन सकती हैं।

  • पुरुष सफेद या पीले वस्त्र धारण करें।

भोजन (फलाहार में क्या खाएं):

  • फल, दूध, मखाने, साबूदाना खिचड़ी

  • आलू की सब्जी (सिंघाड़े के आटे से बनी पूरी)

  • सूखे मेवे

वर्जित वस्तुएं: लहसुन, प्याज, अनाज, चावल, उड़द की दाल

सांस्कृतिक परंपराएं और उत्सव

  • कुछ स्थानों पर रात्रि को भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।

  • मंदिरों में विशेष पूजा होती है और भगवान विष्णु को 108 दीपों से आरती अर्पित की जाती है।

  • घरों में स्त्रियां रमा एकादशी की कथा (Rama Ekadashi Katha) सुनकर अपने परिवार की सुख-शांति की कामना करती हैं।

चेकलिस्ट: क्या याद रखें?

दशमी को सात्विक भोजन
प्रातः स्नान कर व्रत संकल्प
विष्णु पूजा, सहस्त्रनाम या चालीसा
व्रत कथा पाठ या श्रवण
रात्रि जागरण या भजन
द्वादशी पर दान व पारण

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

  1. क्या रमा एकादशी का व्रत सभी कर सकते हैं?
    हाँ, स्त्री-पुरुष, विवाहित-अविवाहित सभी श्रद्धापूर्वक यह व्रत कर सकते हैं।
  2. व्रत के दौरान गलती से अन्न खा लिया तो क्या करें?
    पश्चाताप करें और अगली एकादशी अधिक नियमपूर्वक करें।
  3. क्या इस दिन संतान सुख की कामना की जा सकती है?
    हाँ, श्रद्धा से यह व्रत करने पर संतान सुख का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

रमा एकादशी 2025 (Rama Ekadashi 2025) एक ऐसा शुभ अवसर है जो आत्मशुद्धि, भक्ति और पुण्य कमाने का सर्वोत्तम माध्यम है। इस दिन का व्रत न केवल पापों से मुक्ति देता है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष का द्वार भी खोलता है। यदि आप भी इस पावन तिथि को पूर्ण श्रद्धा और विधिपूर्वक मनाते हैं, तो निश्चय ही ईश्वर की कृपा प्राप्त होगी।
तो आइए, इस रमा एकादशी पर करें अपने जीवन में भक्तिभाव का दीप प्रज्वलित और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर पाएं उनका आशीर्वाद।

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Author: Meera Joshi – Spiritual Writer

Meera Joshi, a spiritual writer with 12+ years’ expertise, documents pooja vidhis and rituals, simplifying traditional ceremonies for modern readers to perform with faith, accuracy, and devotion.