Vishnu Bhagwan ke 108 Naam: भगवान विष्णु को अनेक नामों से पुकारा जाता है। वे हिंदू धर्म की त्रिमूर्ति में से एक हैं और ब्रह्मांड के पालनकर्ता के रूप में पूजे जाते हैं। कहा जाता है कि सृष्टि की रचना से पहले, भगवान विष्णु अनंत जल के सागर में योगनिद्रा में लीन थे।
भगवान विष्णु अपने विभिन्न अवतारों के लिए प्रसिद्ध हैं, जो समय-समय पर धरती पर पधारकर अधर्म का नाश और धर्म की रक्षा करते हैं। अब तक वे नौ बार अवतरित हो चुके हैं और माना जाता है कि दसवां अवतार — कल्कि — कलियुग के अंत में प्रकट होंगे। (Vishnu ji ke 108 naam)
उनका वाहन पौराणिक पक्षी गरुड़ है, और उनकी अर्धांगिनी देवी लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी हैं। उनका दिव्य निवास वैकुण्ठ में माना जाता है। भगवान विष्णु को समय, जीवन और स्थान के स्वामी कहा गया है। वे आनंद और प्रेम के प्रतीक माने जाते हैं, और मान्यता है कि जहां भी उनके चरण पड़ते हैं, वहां सुख, शांति और मधुरता भर जाती है। (Vishnu ji ke 108 naam)
ऐसा विश्वास है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान विष्णु के 108 नामों (Vishnu Ji ke 108 Naam) का जाप करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में शुभता का संचार होता है। आइए जानते हैं भगवान विष्णु के 108 नाम और उनके अर्थ।
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क्रम | नाम | मंत्र | भावार्थ |
1 | विष्णु | ॐ विष्णवे नमः। | सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त परमात्मा |
2 | लक्ष्मीपति | ॐ लक्ष्मीपतये नमः। | माता लक्ष्मी के परम प्रिय |
3 | कृष्ण | ॐ कृष्णाय नमः। | श्यामवर्ण सुंदरता के प्रतीक |
4 | वैकुण्ठ | ॐ वैकुण्ठाय नमः। | दिव्य धाम के अधिपति |
5 | गरुडध्वज | ॐ गरुडध्वजाय नमः। | जिनका ध्वज गरुड़ से सुशोभित है |
6 | परब्रह्म | ॐ परब्रह्मणे नमः। | परम सत्य और सर्वज्ञ |
7 | जगन्नाथ | ॐ जगन्नाथाय नमः। | समस्त संसार के अधिनायक |
8 | वासुदेव | ॐ वासुदेवाय नमः। | सभी में निवास करने वाले |
9 | त्रिविक्रम | ॐ त्रिविक्रमाय नमः। | तीनों लोकों को मापने वाले |
10 | दैत्यान्तक | ॐ दैत्यान्तकाय नमः। | असुरों का नाश करने वाले |
11 | मधुरिपु | ॐ मधुरिपवे नमः। | मधु राक्षस के संहारक |
12 | तार्क्ष्यवाहन | ॐ तार्क्ष्यवाहनाय नमः। | गरुड़ पर सवार |
13 | सनातन | ॐ सनातनाय नमः। | सदा रहने वाले, शाश्वत |
14 | नारायण | ॐ नारायणाय नमः। | जो सबको शरण देते हैं |
15 | पद्मनाभ | ॐ पद्मनाभाय नमः। | जिनकी नाभि से ब्रह्मा उत्पन्न हुए |
16 | हृषीकेश | ॐ हृषीकेशाय नमः। | इंद्रियों के स्वामी |
17 | सुधाप्रद | ॐ सुधाप्रदाय नमः। | अमृत देने वाले |
18 | माधव | ॐ माधवाय नमः। | लक्ष्मीपति और ज्ञानस्वरूप |
19 | पुण्डरीकाक्ष | ॐ पुण्डरीकाक्षाय नमः। | कमल जैसे नेत्रों वाले |
20 | स्थितिकर्ता | ॐ स्थितिकर्त्रे नमः। | संसार की व्यवस्था बनाए रखने वाले |
21 | परात्पर | ॐ परात्पराय नमः। | श्रेष्ठों में भी श्रेष्ठ |
22 | वनमाली | ॐ वनमालिने नमः। | वनफूलों की माला धारण करने वाले |
23 | यज्ञरूप | ॐ यज्ञरूपाय नमः। | यज्ञ स्वरूप परमात्मा |
24 | चक्रपाणि | ॐ चक्रपाणये नमः। | सुदर्शन चक्र धारण करने वाले |
25 | गदाधर | ॐ गदाधराय नमः। | गदा धारण करने वाले |
26 | उपेन्द्र | ॐ उपेन्द्राय नमः। | इंद्र के छोटे भाई |
27 | केशव | ॐ केशवाय नमः। | सुंदर केशों वाले |
28 | हंस | ॐ हंसाय नमः। | दिव्य ज्ञान के वाहक |
29 | समुद्रमथन | ॐ समुद्रमथनाय नमः। | समुद्र मंथन में सहायक |
30 | हरि | ॐ हरये नमः। | पापों को हरने वाले |
31 | गोविन्द | ॐ गोविन्दाय नमः। | गौओं और भूमि के रक्षक |
32 | ब्रह्मजनक | ॐ ब्रह्मजनकाय नमः। | ब्रह्मा के जन्मदाता |
33 | कैटभासुरमर्दन | ॐ कैटभासुरमर्दनाय नमः। | कैटभ राक्षस का संहार करने वाले |
34 | श्रीधर | ॐ श्रीधराय नमः। | लक्ष्मी को धारण करने वाले |
35 | कामजनक | ॐ कामजनकाय नमः। | इच्छाओं का सृजन करने वाले |
36 | शेषशायी | ॐ शेषशायिने नमः। | शेषनाग पर शयन करने वाले |
37 | चतुर्भुज | ॐ चतुर्भुजाय नमः। | चार भुजाओं वाले दिव्य स्वरूप |
38 | पाञ्चजन्यधर | ॐ पाञ्चजन्यधराय नमः। | शंखधारी प्रभु |
39 | श्रीमत | ॐ श्रीमते नमः। | सौंदर्य और ऐश्वर्य से युक्त |
40 | शार्ङ्गपाणि | ॐ शार्ङ्गपाणये नमः। | शारंग धनुष धारण करने वाले |
41 | जनार्दन | ॐ जनार्दनाय नमः। | सबका पालन करने वाले |
42 | पीताम्बरधर | ॐ पीताम्बरधराय नमः। | पीत वस्त्र पहनने वाले |
43 | देव | ॐ देवाय नमः। | दिव्य स्वरूप |
44 | सूर्यचन्द्रविलोचन | ॐ सूर्यचन्द्रविलोचनाय नमः। | जिनकी आंखें सूर्य और चन्द्रमा हैं |
45 | मत्स्यरूप | ॐ मत्स्यरूपाय नमः। | मत्स्य अवतार धारण करने वाले |
46 | कूर्मतनु | ॐ कूर्मतनवे नमः। | कूर्म (कछुआ) अवतार |
47 | वराहरूप | ॐ क्रोडरूपाय नमः। | वराह स्वरूप धारण करने वाले |
48 | नृसिंह | ॐ नृकेसरिणे नमः। | आधा सिंह-आधा मानव स्वरूप |
49 | वामन | ॐ वामनाय नमः। | बौने ब्राह्मण रूप में अवतार |
50 | भार्गव | ॐ भार्गवाय नमः। | परशुराम रूप में अवतार |
51 | राम | ॐ रामाय नमः। | मर्यादा पुरुषोत्तम |
52 | बली | ॐ बलिने नमः। | बली राजा को आशीर्वाद देने वाले |
53 | कल्कि | ॐ कल्किने नमः। | कलियुग के अंत में प्रकट होने वाले |
54 | हयानन | ॐ हयाननाय नमः। | घोड़े के मुख वाले अवतार |
55 | विश्वम्भर | ॐ विश्वम्भराय नमः। | संसार का पालन करने वाले |
56 | शिशुमार | ॐ शिशुमाराय नमः। | शिशुमार स्वरूप में भी पूज्य |
57 | श्रीकर | ॐ श्रीकराय नमः। | सौभाग्य प्रदान करने वाले |
58 | कपिल | ॐ कपिलाय नमः। | कपिल मुनि स्वरूप |
59 | ध्रुव | ॐ ध्रुवाय नमः। | अचल और अडिग |
60 | दत्तात्रेय | ॐ दत्तात्रेयाय नमः। | त्रिदेवों का समन्वय अवतार |
61 | अच्युत | ॐ अच्युताय नमः। | जो कभी पतित नहीं होते |
62 | अनन्त | ॐ अनन्ताय नमः। | जिनका कोई अंत नहीं |
63 | मुकुन्द | ॐ मुकुन्दाय नमः। | मोक्ष दाता |
64 | दधिवामन | ॐ दधिवामनाय नमः। | दधि (दही) प्रिय वामन |
65 | धन्वन्तरी | ॐ धन्वन्तरये नमः। | आयुर्वेद के जनक अवतार |
66 | श्रीनिवास | ॐ श्रीनिवासाय नमः। | लक्ष्मी का निवास स्थान |
67 | प्रद्युम्न | ॐ प्रद्युम्नाय नमः। | श्रीकृष्ण के पुत्र |
68 | पुरुषोत्तम | ॐ पुरुषोत्तमाय नमः। | श्रेष्ठ पुरुष |
69 | श्रीवत्सकौस्तुभधर | ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः। | वक्ष पर श्रीवत्स और कौस्तुभ धारण करने वाले |
70 | मुरारि | ॐ मुरारातये नमः। | मुर राक्षस का संहार करने वाले |
71 | अधोक्षज | ॐ अधोक्षजाय नमः। | इन्द्रियों से परे |
72 | ऋषभ | ॐ ऋषभाय नमः। | धर्म का प्रतीक स्वरूप |
73 | मोहिनीरूपधारी | ॐ मोहिनीरूपधारिणे नमः। | मोहिनी अवतार धारण करने वाले |
74 | संकर्षण | ॐ सङ्कर्षणाय नमः। | बलराम रूप |
75 | पृथ्वी | ॐ पृथवे नमः। | धरती को धारण करने वाले |
76 | क्षीराब्धिशायी | ॐ क्षीराब्धिशायिने नमः। | क्षीर सागर में शयन करने वाले |
77 | भूतात्मा | ॐ भूतात्मने नमः। | समस्त जीवों की आत्मा |
78 | अनिरुद्ध | ॐ अनिरुद्धाय नमः। | जिसे कोई रोक न सके |
79 | भक्तवत्सल | ॐ भक्तवत्सलाय नमः। | भक्तों के स्नेही |
80 | नर | ॐ नराय नमः। | मार्गदर्शक स्वरूप |
81 | गजेन्द्रवरद | ॐ गजेन्द्रवरदाय नमः। | गजेन्द्र को उद्धार देने वाले |
82 | त्रिधाम्नि | ॐ त्रिधाम्ने नमः। | तीनों लोकों के स्वामी |
83 | भूतभावन | ॐ भूतभावनाय नमः। | समस्त प्राणियों के रचयिता |
84 | श्वेतद्वीपवासी | ॐ श्वेतद्वीपसुवास्तव्याय नमः। | श्वेतद्वीप में निवास करने वाले |
85 | सनकादिध्येय | ॐ सनकादिमुनिध्येयाय नमः। | सनकादि ऋषियों द्वारा ध्यान किए जाने वाले |
86 | भगवन् | ॐ भगवते नमः। | दिव्य गुणों से युक्त |
87 | शंकरप्रिय | ॐ शङ्करप्रियाय नमः। | भगवान शंकर को प्रिय |
88 | नीलकण्ठ | ॐ नीलकण्ठाय नमः। | नीला कंठ धारण करने वाले |
89 | धराकण्ठ | ॐ धराकण्ठाय नमः। | धरती को सुशोभित करने वाले |
90 | वेदात्मा | ॐ वेदात्मने नमः। | वेदों की आत्मा |
91 | बादरायण | ॐ बादरायणाय नमः। | व्यास ऋषि स्वरूप |
92 | गंगाजन्मभूमिपद्म | ॐ भागीरथीजन्मभूमि पादपद्माय नमः। | गंगा अवतरण के स्थान पर चरण रखने वाले |
93 | सतांप्रभु | ॐ सतां प्रभवे नमः। | संतों के स्वामी |
94 | स्वयम्भू | ॐ स्वभुवे नमः। | स्वयं उत्पन्न हुए |
95 | विभव | ॐ विभवे नमः। | ऐश्वर्य और वैभव से युक्त |
96 | घनश्याम | ॐ घनश्यामाय नमः। | वर्षा के बादलों जैसे श्याम |
97 | जगत्कारण | ॐ जगत्कारणाय नमः। | सृष्टि के कारण स्वरूप |
98 | अव्यय | ॐ अव्ययाय नमः। | अजर, अमर, अक्षय |
99 | बुद्धावतार | ॐ बुद्धावताराय नमः। | भगवान बुद्ध के रूप में अवतार |
100 | शांतात्मा | ॐ शान्तात्मने नमः। | शांत और स्थिर चित्त वाले |
101 | लीलामानुषविग्रह | ॐ लीलामानुषविग्रहाय नमः। | मानवी रूप में लीला करने वाले |
102 | दामोदर | ॐ दामोदराय नमः। | माता द्वारा बांधे गए करुणामय |
103 | विराटरूप | ॐ विराड्रूपाय नमः। | संपूर्ण सृष्टि जिनमें समाई हो |
104 | भूतभव्यभवत्प्रभु | ॐ भूतभव्यभवत्प्रभवे नमः। | तीनों कालों के अधिपति |
105 | आदिदेव | ॐ आदिदेवाय नमः। | सबसे पहले पूजे जाने वाले |
106 | देवदेव | ॐ देवदेवाय नमः। | देवताओं के देवता |
107 | प्रह्लादपालक | ॐ प्रह्लादपरिपालकाय नमः। | भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने वाले |
108 | श्रीमहाविष्णु | ॐ श्रीमहाविष्णवे नमः। | सम्पूर्ण वैभव से युक्त विष्णु |
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एकादशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों का स्मरण करना बेहद फलदायी माना जाता है। खास तौर पर, अगर इस दिन उनके 108 (Vishnu ji ke 108 naam) पवित्र नामों का जाप किया जाए, तो कहा जाता है कि भगवान श्रीहरि की कृपा से जीवन की तमाम परेशानियाँ दूर हो जाती हैं और घर में सुख-शांति एवं सौभाग्य का वास होता है।
हर महीने दो एकादशी तिथियां आती हैं, यानी पूरे साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं। इन पावन दिनों में भक्तजन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि यह तिथि स्वयं श्रीहरि को अत्यंत प्रिय है।
विशेष रूप से एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में छाई समस्याएं धीरे-धीरे समाप्त होने लगती हैं, और घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। धार्मिक ग्रंथों में यह भी वर्णित है कि एकादशी की रात जागरण कर भगवान नारायण का नाम लेने से वैकुंठ की प्राप्ति संभव होती है। (Vishnu ji ke 108 naam)
यह दिन आत्मशुद्धि और ईश्वर के सान्निध्य की अनुभूति का अनुपम अवसर है।
भगवान विष्णु को सनातन धर्म में पालनकर्ता कहा गया है। उनकी महिमा अनंत है और उनके 108 दिव्य नामों का स्मरण अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है। यदि प्रतिदिन पूजा के समय श्रद्धा भाव से विष्णु जी के 108 नामों (Vishnu ji ke 108 naam) का जाप किया जाए, तो यह साधना न केवल आपके जीवन में आध्यात्मिक उन्नति लाती है, बल्कि सांसारिक कष्टों से भी रक्षा करती है।
याद रखें, भगवान के नामों (Vishnu Bhagwan ke 108 naam) में अपार शक्ति होती है। बस उन्हें सच्चे मन से पुकारिए — वह स्वयं आपके जीवन को संवार देंगे।
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