September 24, 2025 Blog

Khatu Shyam Mandir: क्या है खाटू श्याम मंदिर का इतिहास और इसका रहस्य एवं वहां जाने का सही समय

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Khatu Shyam Mandir: खाटू श्याम जी को भगवान श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है। राजस्थान के सीकर जिले के खाटू गाँव में स्थित उनका प्रसिद्ध मंदिर श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का केंद्र है। हर वर्ष होली के पावन पर्व पर यहाँ विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें देश-विदेश से भक्त बड़ी संख्या में बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए पहुँचते हैं। इस पवित्र मंदिर की महत्ता और मान्यताओं के पीछे महाभारत काल से जुड़ी एक प्राचीन पौराणिक कथा भी प्रचलित है।

खाटू श्याम मंदिर का इतिहास (History Of Khatu Shyam Mandir)

खाटू श्याम बाबा मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि खाटू श्याम बाबा, भीम और घटोत्कच के पौत्र बर्बरीक का ही स्वरूप हैं। बचपन से ही बर्बरीक बेहद पराक्रमी और अद्वितीय योद्धा थे। उनके पराक्रम को देखकर अग्निदेव ने उन्हें एक दिव्य धनुष प्रदान किया और भगवान शिव ने उन्हें तीन विशेष बाणों का वरदान दिया। इन्हीं तीन बाणों के कारण वे “तीन बाणधारी” कहलाए।

जब महाभारत का युद्ध आरंभ हुआ, तो बर्बरीक ने इसे देखने और इसमें भाग लेने की इच्छा जताई। माता की अनुमति लेकर वे अपने तीनों बाणों के साथ युद्धभूमि की ओर बढ़े। रास्ते में भगवान श्रीकृष्ण ने उनका मार्ग रोका और उनकी परीक्षा ली। श्रीकृष्ण ने कहा कि केवल तीन बाणों से कोई युद्ध नहीं जीता जा सकता। तब बर्बरीक ने अपने बाणों की शक्ति समझाई कि पहला बाण लक्ष्य को चिन्हित करेगा और बाकी के बाण उन्हें नष्ट कर देंगे।

उनकी अपार शक्ति को देखकर पांडव और कौरव, दोनों ही पक्ष उन्हें अपने साथ चाहते थे। ऐसी स्थिति में भगवान श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धारण कर उनसे उनका सिर मांग लिया। बर्बरीक ने यह असामान्य मांग सुनकर श्रीकृष्ण का वास्तविक रूप देखने की प्रार्थना की। जब भगवान प्रकट हुए, तो उन्होंने बर्बरीक को बताया कि युद्ध में सबसे बड़े वीर का बलिदान अनिवार्य होता है। यह सुनकर बर्बरीक ने निःसंकोच अपना सिर श्रीकृष्ण को समर्पित कर दिया।

उनके इस अद्वितीय त्याग से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने वरदान दिया कि भविष्य में वे “श्याम” नाम से पूजे जाएंगे और उनकी ख्याति सम्पूर्ण जगत में फैल जाएगी।


खाटू श्याम मंदिर का महत्त्व (Significance Of Khatu Shyam Mandir)

खाटू श्याम मंदिर का महत्व बेहद अद्वितीय और आस्था से भरा हुआ है। मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक का सिर रूपवती नदी में विसर्जित कर दिया था। समय बीतने के साथ कलियुग में खाटू गाँव के राजा को स्वप्न में दिव्य संकेत मिले और श्याम कुंड के आसपास कई अलौकिक चमत्कार दिखाई दिए। इसके बाद फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर खाटू श्याम बाबा की प्रतिमा (Khatu Shyam Baba) को मंदिर में स्थापित किया गया।

इतिहास बताता है कि सन् 1720 में दीवान अभयसिंह ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया, और तब से इसकी भव्यता आज भी बरकरार है। खाटू श्याम का श्याम कुंड विशेष रूप से प्रसिद्ध है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस पवित्र कुंड में स्नान करने से सभी दुख-दर्द मिट जाते हैं और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि खाटू श्याम बाबा का यह मंदिर देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति का केंद्र माना जाता है।


khatu shyam mandir

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खाटू गाँव में यहाँ मिला था बर्बरीक का सिर (Barbarik's Head was Found here in Khatu village)

खाटू श्याम बाबा के मंदिर (Khatu Shyam Mandir) से जुड़ी कथा बेहद चमत्कारी और रोचक है। मान्यता है कि महाभारत युद्ध के बाद श्रीकृष्ण ने बर्बरीक का शीश रूपवती नदी में प्रवाहित कर दिया था। समय बीतने के साथ वह शीश खाटू गांव की धरती में दब गया। कहा जाता है कि एक दिन जब उस स्थान से एक गाय गुजरी, तो उसके थनों से अपने आप दूध बहने लगा। यह दृश्य देखकर गांववाले आश्चर्यचकित रह गए और तुरंत खाटू के राजा को इसकी सूचना दी।


सपने में राजा को किसने दिया आदेश (Who gave orders to the king in his dream?)

राजा जब वहां पहुंचे तो उन्हें अपना सपना याद आया। सपने में भगवान श्रीकृष्ण ने आदेश दिया था कि जमीन के नीचे दबा हुआ शीश निकालकर खाटू गांव में स्थापित करें और वहाँ मंदिर का निर्माण करवाएँ। राजा ने तुरंत उस जगह खुदाई करवाने का आदेश दिया, और सचमुच वहां से बर्बरीक का शीश निकला। फिर उस पवित्र शीश को खाटू में स्थापित कर भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया।

आज यही मंदिर "खाटू श्याम बाबा मंदिर" (Khatu Shyam Mandir) के नाम से देश-विदेश में विख्यात है और हर साल लाखों भक्त यहां बाबा के दर्शन और आशीर्वाद के लिए आते हैं।


खाटू श्याम मंदिर जाने का सही समय
(Best time to Visit Khatu Shyam Mandir)

आम तौर पर खाटू श्याम जी के दर्शन सालभर किए जा सकते हैं, लेकिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन बेहद खास माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस पावन अवसर पर बाबा श्याम अपने भक्तों की अरदास जल्दी सुनते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।

खाटू श्याम बाबा मंदिर (Khatu Shyam Mandir) में दर्शन और आरती के समय मौसम के अनुसार बदलते रहते हैं। यहाँ आने वाले भक्त इन समयों का पालन करके आसानी से बाबा के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

मंदिर खुलने का समय (Temple opening hours)

  • गर्मी के दिनों में:
    सुबह 4:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक
    शाम 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक

  • सर्दी के दिनों में:
    सुबह 5:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक
    शाम 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक

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आरती का समय (Aarti time)

  • मंगला आरती: गर्मियों में सुबह 4:30 बजे, सर्दियों में सुबह 5:30 बजे

  • श्रृंगार आरती: गर्मियों में सुबह 8:00 बजे, सर्दियों में सुबह 7:00 बजे

  • राज-भोग आरती: गर्मियों में दोपहर 12:00 बजे, सर्दियों में दोपहर 12:30 बजे

  • शाम की आरती: गर्मियों में रात 8:30 बजे, सर्दियों में शाम 7:00 बजे

  • शयन आरती: गर्मियों में रात 10:00 बजे, सर्दियों में रात 9:00 बजे

इन निश्चित समयों पर आरती में शामिल होकर भक्तजन बाबा खाटू श्याम (Khatu Shyam Baba) की भक्ति में डूब जाते हैं और उनके दिव्य दर्शन का लाभ उठाते हैं।


खाटू श्याम मंदिर में दर्शन का सही समय (Right time to visit the Khatu Shyam Temple)

अगर आप खाटू श्याम मंदिर में बिना ज्यादा भीड़-भाड़ के शांतिपूर्ण दर्शन करना चाहते हैं, तो सुबह का समय सबसे उपयुक्त है। खासकर सुबह 6:00 बजे से 9:00 बजे के बीच आने पर आमतौर पर कम भीड़ रहती है और आराम से बाबा के दर्शन किए जा सकते हैं। हालांकि, वीकेंड, एकादशी और फाल्गुन मेले के दिनों में मंदिर (Khatu Shyam Mandir) में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है, जिससे दर्शन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।


निष्कर्ष (Conclusion)

खाटू श्याम बाबा का मंदिर (Khatu shyam Mandir)केवल आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि श्रद्धा, विश्वास और भक्ति का प्रतीक है। महाभारत काल से जुड़ी कथाओं और अनगिनत चमत्कारों के कारण यह स्थान भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहां आकर हर भक्त अपने जीवन की परेशानियों से मुक्ति और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद पाता है। यही कारण है कि खाटू श्याम जी को "कलियुग के भगवान" कहा जाता है और उनकी महिमा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

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