September 10, 2025 Blog

Bhai Dooj 2025: दिवाली के बाद कब है भाई दूज, जानिए तिथि और तिलक का शुभ मुहूर्त

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

भाई दूज कब और क्यों मनाया जाता है (When and why is Bhai Dooj celebrated)

हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाई दूज का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। यह खास दिन भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने का अवसर होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके लंबे, सुखी और सफल जीवन की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देकर अपना स्नेह व्यक्त करते हैं। इस पर्व को भाऊ बीज, भात्र द्वितीया, भाई द्वितीया और यम द्वितीया जैसे कई नामों से भी जाना जाता है।

भाई दूज कब है 2025 (When is Bhai Dooj 2025?)

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि इस साल 22 अक्टूबर की रात 8 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 23 अक्टूबर की रात 10 बजकर 46 मिनट तक रहेगी। ऐसे में भाई दूज (Bhai dooj 2025 Date) का पर्व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

इस दिन भाइयों को तिलक करने का शुभ समय दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में किया गया तिलक भाई-बहन दोनों के लिए मंगलकारी माना जाता है।

भाई दूज पर तिलक करने की विधि (Method of applying Tilak on Bhai Dooj)

इस दिन बहनें सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं। भाई दूज के शुभ दिन पर तिलक करने के लिए सबसे पहले आटे से चौक बनाया जाता है। इस चौक पर भाई को पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठाना शुभ माना जाता है। तिलक करने से पहले भाई के सिर पर फूल, पान, सुपारी और धन रखा जाता है। इसके बाद बहन अपने भाई का तिलक करती है। तिलक के बाद भाई के हाथ में कलावा (रक्षासूत्र) बांधा जाता है और उन्हें पान खिलाया जाता है। इस पूरी विधि को भाई की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और घर में सौभाग्य लाने वाला माना जाता है। बदले में भाई बहनों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहार, वस्त्र या धन प्रदान करते हैं।

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भाई दूज की पौराणिक कथा ( Bhai Dooj Ki Kahani )

भाई दूज का संबंध एक बेहद सुंदर कथा से है, जो यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी है। कहा जाता है कि एक बार यमुना ने अपने भाई यमराज को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। यमराज ने बहन का निमंत्रण स्वीकार किया और उसके घर पहुँचे।

यमुना ने अपने भाई का बड़े प्रेम और सम्मान के साथ सत्कार किया, जिससे यमराज अत्यंत प्रसन्न हुए। जब यमराज वापस जाने लगे, तो यमुना ने उन्हें नारियल का गोला भेंट किया। यमराज ने इसका कारण पूछा, तो यमुना ने बताया कि यह नारियल उन्हें उसकी याद दिलाता रहेगा। तभी से भाई दूज के दिन भाई को नारियल भेंट करने की परंपरा चलन में आई।


भारत में भाई दूज 2025 का महत्व (Significance of Bhai Dooj 2025 in India)

भाई दूज 2025 सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि परिवारों के लिए रिश्तों को संजोने का खास अवसर है। यह त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते को और गहरा बनाता है, परिवार में एकता और पारंपरिक मूल्यों को मजबूती देता है। इस दिन तिलक जैसे शुभ अनुष्ठान भाई-बहन के बीच प्यार और आशीर्वाद की भावना को प्रकट करते हैं। साथ ही, यह दिवाली पर्व के समापन पर रिश्तों में अपनापन और उत्साह भर देता है। इस तरह भाई दूज 2025 केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि एक भावनात्मक उत्सव है जो भारतीय संस्कृति की खूबसूरती को आगे बढ़ाता है।

यम द्वितीया का महत्व (Importance of Yama Dwitiya)

भाई दूज को यम द्वितीया इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन यमराज और यमुनाजी के पुनर्मिलन की स्मृति मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन यमुना में स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं, आयु और धन में वृद्धि होती है और यमदूत मृत्यु के समय कष्ट नहीं देते।

धार्मिक मान्यता और लाभ (Religious beliefs and benefits)

धर्मग्रंथों के अनुसार, भाई दूज पर जो भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाता है, वह यमलोक के भय से मुक्त रहता है और दीर्घायु प्राप्त करता है। वहीं, बहनों को यह व्रत सौभाग्य, समृद्धि और मंगल का आशीर्वाद देता है।

भाई-बहन के रिश्ते का उत्सव (Celebration of Brother-Sister Relationship)

भाई दूज सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम, सम्मान और जिम्मेदारी का प्रतीक है। यह पर्व न केवल पारिवारिक बंधन को मजबूत करता है, बल्कि धर्म और परंपरा से जुड़ा एक पवित्र व्रत भी है। यमराज और यमुना की कथा इस पर्व की आत्मा है, जो आज भी इसे धार्मिक महत्व और सामाजिक उत्साह के साथ मनाने का आधार प्रदान करती है।

भाई दूज पर निष्कर्ष (Conclusion on Bhai Dooj)

भाई दूज 2025, जो इस साल 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा, दिवाली उत्सव के सुंदर समापन का प्रतीक है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते में प्यार, सम्मान और अपनापन को फिर से जीवंत करता है। तिलक की परंपरा से लेकर परिवार के साथ बिताए गए खास पलों तक, यह दिन रिश्तों की गहराई को महसूस करने का अवसर देता है। इस तरह भाई दूज न केवल एक धार्मिक त्यौहार है, बल्कि भावनाओं और पारिवारिक मूल्यों को जोड़ने वाला एक अनमोल अवसर भी है, जो इसे साल के सबसे खास पर्वों में शामिल करता है।

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Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.