Ganesh Ji Ka Bhajan : किसी भी देवता की पूजा के आरंभ में, किसी भी अच्छे कार्य या अनुष्ठान में, यहां तक कि सबसे अच्छे और सामान्य कार्य में भी भगवान गणपति को याद किया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य शुरू नहीं किया जाता है। यहां तक कि किसी भी काम को शुरू करने के लिए 'श्री गणेश' करना एक मुहावरा बन गया है। शास्त्रों में सबसे पहले इनकी पूजा करने का स्पष्ट आदेश है।
वैदिक एवं प्राचीन काल से ही भगवान गणेश की पूजा की जाती रही है। गणेश जी वैदिक देवता हैं क्योंकि ऋग्वेद, यजुर्वेद आदि में गणपति जी के मंत्रों का स्पष्ट उल्लेख मिलता है।
हिंदू धर्म के पांच प्रमुख देवताओं (पंच-देव) में शिवजी, विष्णुजी, दुर्गाजी, सूर्यदेव के साथ गणेशजी का नाम भी शामिल है। जिससे भगवान गणपति का महत्व स्पष्ट हो जाता है।
प्रथमे गौरा जी को वंदना,
द्वितीये आदि गणेश,
त्रितिये सुमीरु शारदा,
मेरे कारज करो हमेश ॥
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश ॥
किस जननी ने तैनू जनम दियो है,
किस जननी ने तैनू जनम दियो है,
किसने दियो उपदेश,
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश ॥
माता गौरा ने तैनू जनम दियो है,
माता गौरा ने तैनू जनम दियो है,
शिव ने दियो उपदेश,
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश ॥
कारज पूरण कद ही होवे,
कारज पूरण कद ही होवे,
गणपति पूजो जी हमेश,
तेरी जय-हो गणेश,
तेरी जय हो गणेश ॥
तेरी जय हो गणेश ॥