Mahalakshmi Ashtakam Lyrics: महालक्ष्मी अष्टकम एक अत्यंत प्रभावशाली, पवित्र और फलदायक स्तोत्र है, जिसकी रचना स्वयं देवताओं के राजा इन्द्र ने की थी। यह स्तोत्र देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूपों का स्तवन करता है और उन्हें प्रसन्न करने का श्रेष्ठतम माध्यम माना जाता है। महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ (Mahalakshmi Ashtakam Lyrics) करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, धन, ऐश्वर्य और सौभाग्य का आगमन होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब इन्द्र देव ने अपने राज्य, ऐश्वर्य और बल को खो दिया था, तब उन्होंने मां लक्ष्मी की आराधना करने का संकल्प लिया। उन्होंने गहराई से ध्यान और स्तुति करते हुए इस अष्टक (Mahalakshmi Ashtakam Lyrics) की रचना की, जिसके आठ श्लोकों में मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों का गुणगान किया गया है। उनकी भक्ति और स्तुति से प्रसन्न होकर मां लक्ष्मी ने उन्हें पुनः उनका खोया हुआ वैभव प्रदान किया।
महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam Lyrics) में मां लक्ष्मी को जय लक्ष्मी, जय विष्णुप्रिया, जय कमलवासिनी, जय पद्मालये, जय हरिप्रिया आदि नामों से पुकारा गया है। हर श्लोक में उनके गुण, स्वरूप, दिव्य रूप, करुणा और कृपा का वर्णन है। यह स्तोत्र दर्शाता है कि देवी लक्ष्मी केवल धन की देवी नहीं हैं, बल्कि धर्म, यश, विजय, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति की अधिष्ठात्री भी हैं। इस स्तोत्र (Mahalakshmi Ashtakam Lyrics) में मां लक्ष्मी के सौंदर्य, शक्ति, शांति और दया का सुंदर वर्णन किया गया है। इसमें देवी के शंख, चक्र, गदा, पद्म, और सिंहवाहन जैसे दिव्य प्रतीकों का उल्लेख है। श्लोकों में दुःख हरने, भय मिटाने, पाप नाश करने, और जीवन को उन्नत करने की प्रार्थना की गई है।
अर्थ: हे महामाया, जो श्रीपीठ में विराजमान हैं, देवताओं द्वारा पूजित हैं, जिनके हाथों में शंख, चक्र और गदा है — उन महालक्ष्मी को मेरा नमस्कार।
अर्थ: जो गरुड़ पर सवार हैं और असुरों के लिए भय का कारण हैं, जो समस्त पापों को हर लेती हैं — उन देवी महालक्ष्मी को प्रणाम है।
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अर्थ: हे सर्वज्ञानी, सर्वत्र विद्यमान, समस्त शक्तियों से युक्त देवी, कृपया हमें भय से बचाइए। हे महालक्ष्मी, आपको नमस्कार है।
अर्थ: हे देवी! जो सिद्धि और बुद्धि देती हैं, भोग और मोक्ष प्रदान करती हैं, जो स्वयं मंत्रस्वरूपा हैं — उन महालक्ष्मी को नमस्कार।
अर्थ: हे देवी! जो आदि और अंत से रहित हैं, जो आदि शक्ति हैं, योग से उत्पन्न हुई हैं — उन महालक्ष्मी को मेरा प्रणाम।
अर्थ: हे देवी! जो स्थूल, सूक्ष्म और अत्यंत उग्र रूप वाली हैं, जिनकी शक्ति अपार है, जो सारे पापों को नष्ट करती हैं — आपको नमस्कार।
अर्थ: हे देवी! जो पद्मासन पर विराजमान हैं, जो परब्रह्म स्वरूपा हैं, जगत की माता हैं — हे महालक्ष्मी, आपको प्रणाम।
अर्थ: जो श्वेत वस्त्रधारी हैं, अनेक आभूषणों से सुसज्जित हैं, जो सम्पूर्ण जगत में स्थित हैं — हे जगतजननी महालक्ष्मी, आपको बारंबार प्रणाम।
अर्थ: जो व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक इस अष्टक का पाठ करता है, वह सभी सिद्धियों को प्राप्त करता है और सदा राज्य (संपत्ति, सम्मान) का भागी बनता है।
अर्थ: जब पापों का अंत होता है, तभी भीतर पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का उदय होता है। और यदि इसे दिन में दो बार – सुबह और शाम – पढ़ा जाए, तो यह न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि जीवन में धन, अन्न और सुख-समृद्धि का भी मार्ग खोलता है।
अर्थ: ये आंतरिक शत्रु ही आत्मिक उन्नति की राह में सबसे बड़ी बाधा होते हैं। इस नियमित साधना के माध्यम से जब मन शुद्ध होता है, तब साधक देवी महालक्ष्मी के शाश्वत और कृपालु स्वरूप का अनुभव करता है। मां की अनंत कृपा जीवन में स्थायी सुख, समृद्धि और आत्मिक शांति का आशीर्वाद बनकर प्रकट होती है।
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महालक्ष्मी अष्टकम (Mahalakshmi Ashtakam Lyrics) न केवल एक स्तुति है, बल्कि यह साधना है उस शक्ति की, जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड को पोषण और ऐश्वर्य प्रदान करती है। इसका नियमित पाठ न केवल भौतिक सुख देता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
"या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता..."
मां लक्ष्मी की कृपा सदा आप पर बनी रहे।
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