August 13, 2025 Blog

Dhanteras 2025: धनतेरस के दिन कितने दीपक जलाने चाहिए और इस दिन क्यों मनाते है धन्वंतरि जयंती ?

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Dhanteras 2025: धनतेरस से दीपावली के पांच दिन लंबे पर्व की शुभ शुरुआत होती है, जिसे देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाने वाला यह त्यौहार धन, खुशहाली और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।

साल 2025 में धनतेरस (Dhanteras 2025) का त्योहार शनिवार, 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान धन्वंतरि, जिन्हें देवताओं के वैद्य कहा जाता है, और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। शुभता और समृद्धि के प्रतीक के रूप में इस अवसर पर सोना, चांदी या बर्तन खरीदने की परंपरा भी निभाई जाती है।

धनतेरस का महत्त्व (Significance Of Dhanteras)

धनतेरस का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है — “धन” का अर्थ है संपन्नता और “तेरस” का अर्थ है त्रयोदशी तिथि। यह दिन न केवल भौतिक समृद्धि बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं, दीपक जलाते हैं और रंगोली बनाकर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। परंपरा के अनुसार, इस (Dhanteras) दिन धातु या बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है, जो देवी लक्ष्मी की कृपा और सौभाग्य का प्रतीक है।

साथ ही, यह पर्व अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु से भी जुड़ा है, क्योंकि मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान इसी दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे।

Dhanteras 2025

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धनतेरस के दिन कितने दीपक जलाने का महत्व  (Importance of lighting so many lamps on Dhanteras)

धनतेरस पर दीपक जलाने की परंपरा सिर्फ रोशनी के लिए नहीं, बल्कि हर दिशा और स्थान पर एक खास उद्देश्य से की जाती है। मान्यता है कि अलग-अलग स्थानों पर दिए जलाने से जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा बनी रहती है।
  1. पहला दीपक – घर के दक्षिण कोने में जलाएं, जो यमराज की दिशा मानी जाती है। इससे अकाल मृत्यु का भय दूर रहता है।

  2. दूसरा दीपक – घी का दिया पूजा स्थान पर ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में देवताओं के सामने रखें, और चाहें तो इसमें केसर का धागा डालें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है।

  3. तीसरा दीपक – मुख्य द्वार पर रखें, ताकि बुरी नज़र और नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश न कर सके।

  4. चौथा दीपक – तुलसी के पौधे के पास जलाएं, जिससे घर का माहौल पवित्र और शांत रहता है।

  5. पांचवां दीपक – साफ की गई छत पर रखें, इससे घर को सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है।

  6. छठा दीपक – सरसों के तेल का दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं। माना जाता है कि इससे लक्ष्मी का वास होता है और धन हानि नहीं होती।

  7. सातवां दीपक – आसपास के किसी मंदिर में जलाएं।

  8. आठवां दीपक – घर के कूड़े के पास जलाएं, यह नकारात्मकता को दूर करता है।

  9. नौवां दीपक – वॉशरूम के बाहर जलाएं, इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

  10. दसवां दीपक – घर की खिड़कियों पर रखें, जो समृद्धि और उजाला लाता है।

  11. ग्यारहवां दीपक – रसोई में रखें, ताकि अन्न की कभी कमी न हो।

  12. बारहवां दीपक – बेल के पेड़ के नीचे जलाएं, इससे संपत्ति में वृद्धि होती है।

  13. तेरहवां दीपक – अपने घर की ओर आने वाले चौराहे पर जलाएं, जो जीवन में शुभ अवसर लाता है।


दीप जलाते समय करें इस मंत्र का जाप  (Chant This Mantra While Lighting the Lamp On Dhanteras)

  1. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कुबेराय नम
  2. ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥


यम के लिए दीपक जलाने का महत्व ( Importance Of Lighting a Lamp for Yama)

स्कंद पुराण में धनतेरस से जुड़ा एक श्लोक मिलता है – "कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे, यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति"। इसका भाव है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की शाम, घर के बाहर यमराज के नाम से दीप जलाने पर अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है। मान्यता है कि यह दीपक यमदेव को समर्पित होता है और इससे न केवल मृत्यु का नाश होता है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि और सुरक्षा का वास भी होता है।

कौन है भगवान धन्वंतरि और क्यों मनाई जाती है धन्वंतरि जयंती? (Who is Lord Dhanvantri and why is Dhanvantri Jayanti Celebrated?)

भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक और देवताओं के वैद्य के रूप में पूजनीय माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान वे अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जो अमरत्व, स्वास्थ्य और जीवन ऊर्जा का प्रतीक है। इसी कारण धनतेरस (Dhanteras) के दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। इस अवसर पर लोग भगवान धन्वंतरि की आराधना करके रोगों से मुक्ति, दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं। आयुर्वेद से जुड़े संस्थान और चिकित्सक इस दिन विशेष पूजन, यज्ञ और स्वास्थ्य जागरूकता से संबंधित कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं।

Dhanvateri jayanti 2025

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धनतेरस पर मंत्र (Mantras on Dhanteras)

मां लक्ष्मी के लिए:

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

ऐसा विश्वास है कि इस प्रभावशाली मंत्र का नियमित जाप करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में धन-समृद्धि, सफलता और आध्यात्मिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।

भगवान धन्वंतरि के लिए:

ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात्॥ 

माना जाता है की, इस धन्वंतरि मंत्र का जाप करने से स्वास्थ्य लाभ, रोगों से मुक्ति और शारीरिक व मानसिक कल्याण के लिए दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

धनतेरस 2025 (Dhanteras 2025) सिर्फ धन या बर्तन खरीदने का दिन नहीं है, बल्कि यह एक पावन अवसर है जब हम ईश्वर से समृद्धि, सुरक्षा और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मांगते हैं। वैदिक मान्यताओं और परंपराओं से जुड़े इस पर्व का हर अनुष्ठान अपने भीतर गहरा आध्यात्मिक संदेश समेटे होता है।

चाहे दीप जलाना हो, मंत्रों का उच्चारण करना हो या नई वस्तुएं खरीदना—हर परंपरा उस गहरे विश्वास को दर्शाती है, जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपनाया गया है, ताकि माता लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा जीवन में बनी रहे।

आप और आपके परिवार को धनतेरस 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं।

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Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.