August 7, 2025 Blog

Dhanteras 2025: इस साल कब है धनतेरस ? जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, महत्त्व, विधि और जरुरी नियम

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Dhanteras 2025: धनतेरस का पर्व हर साल कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान इसी तिथि को भगवान धनवंतरी अमृत से भरे कलश के साथ प्रकट हुए थे। उन्हें आयुर्वेद के जनक और देवताओं के वैद्य के रूप में पूजा जाता है।

धनतेरस को सेहत, समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरी के साथ-साथ धन के देवता कुबेर की भी आराधना की जाती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। परंपरा के अनुसार, इस दिन सोना-चांदी, बर्तन या अन्य धातु से जुड़ी वस्तुएं खरीदना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि इसे लक्ष्मी आगमन का संकेत माना जाता है।

आइए जानें कि इस साल धनतेरस कब है (Dhanteras Kab hai) , शुभ मुहूर्त क्या रहेगा और यह पर्व हमारे जीवन में क्यों इतना खास माना जाता है।


2025 में धनतेरस कब है? (When Is Dhanteras in 2025)

साल 2025 में धनतेरस (Dhanteras 2025 Date) का पावन पर्व 18 अक्टूबर को पूरे देश में श्रद्धा और उमंग के साथ मनाया जाएगा। यह खास दिन दीपावली से ठीक दो दिन पहले आता है और पारंपरिक रूप से इस दिन नई चीजें ख़रीदना बहुत शुभ माना जाता है, खासकर सोना, चांदी, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक सामान।


धनतेरस 2025 का पूजा मुहूर्त (Dhanteras 2025 Puja Muhurat)

इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान धनवंतरी की पूजा का एक विशेष समय होता है, जिसे "प्रदोष काल" कहा जाता है। नीचे दिए गए हैं इस दिन के शुभ समय:

  • धनतेरस पूजा का उत्तम मुहूर्त: शाम 06:49 बजे से 07:49 बजे तक
  • पूजा की कुल अवधि: 1 घंटा
  • प्रदोष काल: शाम 05:19 बजे से 07:49 बजे तक
  • वृषभ काल: शाम 06:49 बजे से 08:46 बजे तक

त्रयोदशी तिथि:

  • प्रारंभ: 18 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:18 बजे
  • समाप्त: 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 01:51 बजे

इस दिन शुभ मुहूर्त (Dhanteras Muhurat) में पूजा और खरीदारी करने से घर में सुख-समृद्धि और आरोग्यता का वास होता है।

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यम दीप का खास महत्व 

धनतेरस की रात एक खास परंपरा निभाई जाती है जिसे यम दीपदान कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन यमराज—जो मृत्यु के देवता माने जाते हैं—को दीपक अर्पित करने से घर के लोगों को अकाल मृत्यु से रक्षा मिलती है। इसी विश्वास के चलते, शाम को घर के बाहर दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाकर रखा जाता है। यह दीपक श्रद्धा और सुरक्षा का प्रतीक होता है, और पूरे परिवार की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए इसे जलाना शुभ माना जाता है।


धनतेरस का महत्व (Importance Of Dhanteras)

धनतेरस का दिन खुशहाली और समृद्धि की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर लोग परंपरागत रूप से सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू और अन्य कीमती चीजें खरीदते हैं, क्योंकि यह विश्वास है कि नई चीजों की खरीदारी से घर में लक्ष्मी का वास होता है।

इस दिन धन के देवता कुबेर और आयुर्वेदाचार्य भगवान धन्वंतरी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इनकी कृपा से जीवन में आर्थिक स्थिरता और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। शाम के समय, घर के प्रवेश द्वार पर एक दीपक जलाकर यमराज के लिए अर्पित किया जाता है, जिसे यम दीपदान कहा जाता है। यह परंपरा परिवार के सभी सदस्यों की रक्षा और दीर्घायु के लिए की जाती है।

धार्मिक मान्यता है कि जो लोग धनतेरस (Dhanteras 2025) पर सच्ची श्रद्धा से पूजा करते हैं और नया सामान खरीदते हैं, उनके जीवन में सुख, सौभाग्य और रोगमुक्ति का संचार होता है।


धनतेरस पूजा विधि (Dhanteras Puja Vidhi)

धनतेरस के दिन पूजा करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि समृद्धि और खुशहाली के स्वागत का एक सुंदर माध्यम है। अगर आप चाहते हैं कि घर में मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे और जीवन में धन, स्वास्थ्य और सफलता बनी रहे, तो आइए जानते हैं कि धनतेरस की पूजा कैसे करें – वो भी आसान और भावपूर्ण तरीक़े से।

1. गणेश जी से आरंभ करें

धनतेरस की पूजा की शुरुआत हमेशा विघ्नहर्ता गणेश जी से करें।

  • सबसे पहले गणेश जी की प्रतिमा को साफ़ पानी या गंगाजल से स्नान कराएं।

  • उन्हें चंदन लगाएं और लाल वस्त्र अर्पित करें।

  • फिर फूल चढ़ाकर यह मंत्र पढ़ें:

"वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥"

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2. भगवान कुबेर की पूजा करें

इसके बाद धन के देवता कुबेर की पूजा करें, जो समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।

  • उन्हें फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।

  • साथ ही निम्न मंत्र का उच्चारण करें:

"ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये।
धनं मे देहि दापय स्वाहा॥"

3. लक्ष्मी माता की पूजा विधि

अब लक्ष्मी माता की विधिवत पूजा करें –

  • एक चौकी या लकड़ी के पाट पर स्वच्छ कपड़ा बिछाएं और उस पर गंगाजल से भरा कलश रखें।

  • कलश में सुपारी, सिक्के, चावल और फूल डालें।

  • इसके बाद चावल का छोटा ढेर बनाकर उस पर लक्ष्मी माता की प्रतिमा स्थापित करें।

  • व्यापारी वर्ग अपने बहीखाते भी साथ रखें।

  • फूल, हल्दी, सिंदूर चढ़ाएं और दीपक जलाएं। फिर मंत्र पढ़ें:

"ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः॥"

4. पूजा का समापन

  • पूजा के अंत में लक्ष्मी माता की आरती करें।

  • धनतेरस (Dhanteras 2025) पर खरीदे गए नए बर्तन, गहने या अन्य शुभ सामग्री माता के चरणों में रखें।

  • अंत में, पूरे परिवार की समृद्धि, स्वास्थ्य और सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें।

इस तरह श्रद्धा और सच्चे मन से की गई पूजा न सिर्फ घर को धन-धान्य से भर देती है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है।

धनतेरस के दिन क्या ख़रीदना चाहिए ? (What should be bought on Dhanteras?)

धनतेरस सिर्फ खरीदारी का दिन नहीं है, बल्कि ये त्योहार समृद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआतों का प्रतीक है। लेकिन कुछ ऐसी वस्तुएं जो इस दिन ख़रीदना बहुत ही शुभ माना जाता है और जो इस पर्व को और भी ख़ास बना देता है। 

  1. झाड़ू की खरीदारी:
    धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने की परंपरा है। माना जाता है कि इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और लक्ष्मी माता का वास होता है। यह सफाई और नई शुरुआत का प्रतीक है।

  2. सोना-चांदी लेना:
    इस दिन लोग सोना, चांदी या कोई कीमती धातु खरीदते हैं। मान्यता है कि इससे घर में स्थायी धन और शुभ ऊर्जा आती है।

  3. खुद के लिए उपहार लें:
    धनतेरस पर दूसरों को उपहार देने की बजाय अपने और अपने घर के लिए कुछ शुभ खरीदें। यह आपकी सुख-समृद्धि के लिए शुभ संकेत माना जाता है।

  4. नमक की अहमियत:
    इस दिन नमक खरीदकर लाना भी शुभ होता है। इसे खाने में इस्तेमाल करने से सौभाग्य बढ़ता है और घर की सफाई के दौरान थोड़ा नमक छिड़कने से नकारात्मकता दूर होती है।

  5. धनिया बीज:
    धनतेरस के दिन धनिया के बीज खरीदकर दीपावली की रात बोए जाते हैं। ये अच्छे स्वास्थ्य और धनवृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।

  6. गोमती चक्र का महत्व:
    धनतेरस पर गोमती चक्र खरीदना भी शुभ माना जाता है। यह देवी लक्ष्मी का प्रिय होता है और घर में सुख-शांति और धन बनाए रखने में सहायक होता है।

इन छोटी-छोटी तैयारियों से आप धनतेरस को और भी खास बना सकते हैं, और अपने घर में सुख-समृद्धि व सकारात्मकता को आमंत्रित कर सकते हैं।

धनतेरस का निष्कर्ष / Conclusion of Dhanteras Festival

धनतेरस न केवल धन और समृद्धि की कामना का पर्व है, बल्कि यह स्वच्छता, स्वास्थ्य और शुभता का प्रतीक भी है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि असली समृद्धि सिर्फ सोने-चांदी में नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा, अच्छी सेहत और आपसी प्रेम में छिपी होती है। देवी लक्ष्मी और भगवान धन्वंतरि की कृपा पाने के लिए श्रद्धा, सफाई, सजावट और पूजा की शुद्ध भावना ज़रूरी होती है। धनतेरस की यह शुरुआत दिवाली के उत्सव को एक नई रौशनी और आशा के साथ सजाती है। इस शुभ अवसर पर हर घर में खुशहाली, स्वास्थ्य और सुख-शांति का वास हो — यही सच्चा संदेश है धनतेरस का।

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Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.