October 16, 2024 Blog

Bhairav Chalisa (Pdf) : पढ़े सम्पूर्ण भैरव चालीसा का पाठ हिंदी में

BY : Kartik Sharma – Vedic Chanting Expert & Content Curator

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Bhairav Chalisa:  पुराणों में भैरव को कलियुग के जागृत देवता के रूप में माना गया है। उन्हें माता वैष्णो देवी का आशीर्वाद प्राप्त है, और शिव पुराण में उन्हें महादेव का सम्पूर्ण स्वरूप बताया गया है। इसलिए, जीवन के हर संकट से मुक्ति पाने और कठिनाइयों को दूर करने के लिए भैरव चालीसा का यह चमत्कारिक पाठ अवश्य करना चाहिए।

भैरव चालीसा(Bhairav Chalisa pdf) का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं दूर होती हैं। यह पाठ विशेष रूप से भय, नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नज़र और तंत्र-मंत्र के प्रभाव से रक्षा करता है। साथ ही, भैरव बाबा की कृपा से कार्यों में सफलता, आर्थिक समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है। कहा जाता है कि भैरव चालीसा का नियमित पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन में साहस, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।

॥ दोहा 

श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ।
चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥
श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।
श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥


bhairav chalisa

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॥ चौपाई ॥

जय जय श्री काली के लाला। जयति जयति काशी- कुतवाला॥

जयति बटुक- भैरव भय हारी। जयति काल- भैरव बलकारी॥

जयति नाथ- भैरव विख्याता। जयति सर्व- भैरव सुखदाता॥

भैरव रूप कियो शिव धारण। भव के भार उतारण कारण॥

भैरव रव सुनि हवै भय दूरी। सब विधि होय कामना पूरी॥

शेष महेश आदि गुण गायो। काशी- कोतवाल कहलायो॥

जटा जूट शिर चंद्र विराजत। बाला मुकुट बिजायठ साजत॥

कटि करधनी घुंघरू बाजत। दर्शन करत सकल भय भाजत॥

जीवन दान दास को दीन्ह्यो। कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥

वसि रसना बनि सारद- काली। दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥

धन्य धन्य भैरव भय भंजन। जय मनरंजन खल दल भंजन॥

कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा। कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोडा॥

जो भैरव निर्भय गुण गावत। अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥

रूप विशाल कठिन दुख मोचन। क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥

अगणित भूत प्रेत संग डोलत। बम बम बम शिव बम बम बोलत॥

रुद्रकाय काली के लाला। महा कालहू के हो काला॥

बटुक नाथ हो काल गंभीरा। श्‍वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥

करत नीनहूं रूप प्रकाशा। भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥

रत्‍न जड़ित कंचन सिंहासन। व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥

तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥

जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥

भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥

महा भीम भीषण शरीर जय। रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥

अश्‍वनाथ जय प्रेतनाथ जय। स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥

निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥

त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥

श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥

रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥

करि मद पान शम्भु गुणगावत। चौंसठ योगिन संग नचावत॥

करत कृपा जन पर बहु ढंगा। काशी कोतवाल अड़बंगा॥

देयं काल भैरव जब सोटा। नसै पाप मोटा से मोटा॥

जनकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा॥

श्री भैरव भूतों के राजा। बाधा हरत करत शुभ काजा॥

ऐलादी के दुख निवारयो। सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥

सुन्दर दास सहित अनुरागा। श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥

श्री भैरव जी की जय लेख्यो। सकल कामना पूरण देख्यो॥

॥ दोहा 

जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।

कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥

इति श्री भैरव चालीसा


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Author: Kartik Sharma – Vedic Chanting Expert & Content Curator

Kartik Sharma, with 8 years’ experience in Vedic chanting, curates authentic Aartis, Chalisas, and Mantras, offering devotees accurate lyrics, meanings, and spiritual depth for devotional practice.