August 26, 2024 Blog

Ravivar Ke Upay: सूर्य पूजा से जीवन के संकट होंगे दूर

BY : STARZSPEAK

सनातन धर्म में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि रोज सुबह (Ravivar Ke Upay) स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाने और उनकी विधिपूर्वक पूजा करने से साधक को अपने काम में सफलता मिलती है और सभी मनोकामनाएं जल्द ही पूरी हो जाती हैं. आइए जानते हैं कि सूर्य देव की कृपा कैसे प्राप्त की जा सकती है?

Ravivar Ke Upay: सनातन धर्म में रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है। इसके अलावा जीवन में आने वाली सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए भी व्रत रखा जाता है। अगर आप भी सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो रविवार के दिन (Ravivar Ke Upay) सूर्य देव की पूजा करें और अंत में आरती करना न भूलें। सूर्य देव की आरती करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। 

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ravivar ke upay
भगवान सूर्य देव की आरती (Bhagwan Surya Dev Ji Ki Aarti)

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।


ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।


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