August 23, 2024 Blog

Papankusha Ekadashi: कब है पापांकुशा एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

BY : Ankit Verma – Astrology & Spiritual Consultant

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धार्मिक मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) की तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में खुशियां भी आती हैं। इस व्रत के पुण्य से पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके लिए भक्त इंदिरा एकादशी के दिन श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

Papankusha Ekadashi: हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पापांकुशा एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ तिथि पर जगत के रचयिता भगवान विष्णु के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत भी रखा जाता है. इस व्रत को करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। एकादशी तिथि (Papankusha Ekadashi) पर मंदिरों में लक्ष्मी नारायण जी की विशेष पूजा की जाती है। भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है. आइए जानते हैं पापांकुशा एकादशी का शुभ समय, योग और पारण का समय- 

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Papankusha Ekadashi
पापांकुशा एकादशी शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 13 अक्टूबर रविवार को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगी. वहीं यह तिथि 14 अक्टूबर सोमवार को सुबह 06 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में तिथि की गणना सूर्योदय से की जाती है। इसलिए पापांकुशा एकादशी 13 अक्टूबर को मनाई जाएगी. वहीं, वैष्णव संप्रदाय के अनुयायी 14 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) मनाएंगे। आम जनता 14 अक्टूबर को दोपहर 01:16 बजे से 03:34 बजे तक पारण कर सकती है.

पापांकुशा एकादशी शुभ योग 

ज्योतिषियों के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रवि योग बन रहा है। यह योग 14 अक्टूबर को सुबह 02:51 बजे समाप्त होगा. वहीं पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) पर धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है. धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग 14 अक्टूबर की देर रात 02:51 बजे तक है। इसके साथ ही गर और वणिज करण योग भी बन रहा है। इस योग में जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

पंचांग
  • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 21 मिनट पर
  • सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 53 मिनट पर
  • चंद्रोदय - दोपहर 03 बजकर 20 मिनट पर
  • चंद्रास्त - देर रात 02 बजकर 33 मिनट पर ( 14 अक्टूबर)
  • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 31 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 53 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक
  • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक
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Author: Ankit Verma – Astrology & Spiritual Consultant

Ankit Verma, an astrologer with 9+ years’ expertise, explains remedies like Ravivar ka Upay and grah shanti, empowering readers to overcome challenges and attract positivity, success, and balance.