Kaal Bhairav Chalisa in Hindi: यहां पढे़ं काल भैरव चालीसा, जानें महत्व और लाभ
BY : STARZSPEAK
भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो हमारे जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से प्रेरित करते हैं। भैरव जी भारतीय पौराणिक कथाओं और तांत्रिक संस्कृति में एक महत्वपूर्ण देवता हैं, जिन्हें महाकाल भी कहा जाता है। उनकी चालीसा पढ़ने से मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण, यह आशा और श्रद्धा का प्रतीक है। इस लेख में, हम श्री भैरव चालीसा के महत्व को विस्तार से जानेंगे और उसके पाठ से होने वाले लाभों की चर्चा करेंगे।
श्री भैरव चालीसा: एक परिचय
श्री भैरव चालीसा - Bhairav Chalisa, महाकाल के परम भक्तों की पसंदीदा चालीसाओं में से एक है। इस चालीसा का पाठ मुख्य रूप से भैरव जी की स्तुति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है। भैरव देव की विशेष प्रार्थना के साथ यह चालीसा सभी विचारों को नष्ट कर शुभ प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त करने में मदद करती है।
॥ दोहा ॥
श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥
श्री भैरव संकट हरण, मंगल करण कृपाल ।
श्याम वरण विकराल वपु, लोचन लाल विशाल ॥
|| चौपाई ||
जय जय श्री काली के लाला । जयति जयति काशी-कुतवाला ॥
जयति बटुक भैरव जय हारी । जयति काल भैरव बलकारी ॥
जयति सर्व भैरव विख्याता । जयति नाथ भैरव सुखदाता ॥
भैरव रुप कियो शिव धारण । भव के भार उतारण कारण ॥
भैरव रव सुन है भय दूरी । सब विधि होय कामना पूरी ॥
शेष महेश आदि गुण गायो । काशी-कोतवाल कहलायो ॥
जटाजूट सिर चन्द्र विराजत । बाला, मुकुट, बिजायठ साजत ॥
कटि करधनी घुंघरु बाजत । दर्शन करत सकल भय भाजत ॥
जीवन दान दास को दीन्हो । कीन्हो कृपा नाथ तब चीन्हो ॥
वसि रसना बनि सारद-काली । दीन्यो वर राख्यो मम लाली ॥
धन्य धन्य भैरव भय भंजन । जय मनरंजन खल दल भंजन ॥
कर त्रिशूल डमरु शुचि कोड़ा । कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा ॥
जो भैरव निर्भय गुण गावत । अष्टसिद्घि नवनिधि फल पावत ॥
रुप विशाल कठिन दुख मोचन । क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन ॥
अगणित भूत प्रेत संग डोलत । बं बं बं शिव बं बं बोतल ॥
रुद्रकाय काली के लाला । महा कालहू के हो काला ॥
बटुक नाथ हो काल गंभीरा । श्वेत, रक्त अरु श्याम शरीरा ॥
करत तीनहू रुप प्रकाशा । भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा ॥
त्न जड़ित कंचन सिंहासन । व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन ॥
तुमहि जाई काशिहिं जन ध्यावहिं । विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं ॥
जय प्रभु संहारक सुनन्द जय । जय उन्नत हर उमानन्द जय ॥
भीम त्रिलोकन स्वान साथ जय । बैजनाथ श्री जगतनाथ जय ॥
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महाभीम भीषण शरीर जय । रुद्र त्र्यम्बक धीर वीर जय ॥
अश्वनाथ जय प्रेतनाथ जय । श्वानारुढ़ सयचन्द्र नाथ जय ॥
निमिष दिगम्बर चक्रनाथ जय । गहत अनाथन नाथ हाथ जय ॥
त्रेशलेश भूतेश चन्द्र जय । क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय ॥
श्री वामन नकुलेश चण्ड जय । कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय ॥
रुद्र बटुक क्रोधेश काल धर । चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर ॥
करि मद पान शम्भु गुणगावत । चौंसठ योगिन संग नचावत ।
करत कृपा जन पर बहु ढंगा । काशी कोतवाल अड़बंगा ॥
देयं काल भैरव जब सोटा । नसै पाप मोटा से मोटा ॥
जाकर निर्मल होय शरीरा। मिटै सकल संकट भव पीरा ॥
श्री भैरव भूतों के राजा । बाधा हरत करत शुभ काजा ॥
ऐलादी के दुःख निवारयो । सदा कृपा करि काज सम्हारयो ॥
सुन्दरदास सहित अनुरागा । श्री दुर्वासा निकट प्रयागा ॥
श्री भैरव जी की जय लेख्यो । सकल कामना पूरण देख्यो ॥
॥ दोहा ॥
जय जय जय भैरव बटुक, स्वामी संकट टार ।
कृपा दास पर कीजिये, शंकर के अवतार ॥
जो यह चालीसा पढ़े, प्रेम सहित सत बार ।
उस घर सर्वानन्द हों, वैभव बड़े अपार ॥
|| इति श्री भैरव चालीसा समाप्त ||
|| Kaal Bhairav Chalisa ||
श्री भैरव चालीसा का महत्व
- मनोकामना पूर्ति: श्री भैरव चालीसा - Bhairav Chalisa का पाठ करने से भक्त को धन, स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि जैसी सभी मनोकामनाएं प्राप्त होती हैं। यह चालीसा इस मान्यता से परिपूर्ण है कि भैरव जी अपने भक्तों की सभी माँगें पूरी करते हैं और उनकी भक्ति में लीन रहते हैं।
- भय और असुरक्षा को दूर करना: भैरव देव का स्वरूप भयंकर और उग्र है, लेकिन उनकी कृपा से उनके भक्त निर्भय होते हैं और असुरक्षा की भावना से उबर जाते हैं। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को अपने जीवन में सकारात्मकता और साहस की प्राप्ति होती है।
- आध्यात्मिक विकास: श्री भैरव चालीसा - Bhairav Chalisa का पाठ मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है। यह चालीसा भक्त को आध्यात्मिक प्रगति की ओर ले जाती है और उन्हें आत्मा के साथी के रूप में भैरव देव का सम्मान करने के लिए प्रेरित करती है।
- कष्टों का निवारण: चालीसा का पाठ करने वालों को भैरव देव की कृपा से जीवन में आने वाले कष्टों को सहन करने में सहायता मिलती है। Bhairav Chalisa उन्हें अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण और समाधान की ओर मार्गदर्शन करती है।
- शत्रुओं का नाश: श्री भैरव चालीसा - Bhairav Chalisa का पाठ करने से भक्तों को अपने शत्रुओं को परास्त करने की शक्ति प्राप्त होती है। यह चालीसा उन्हें सशक्त बनाती है और अपने विरोधियों के प्रति साहस और संयम की भावना प्रदान करती है।
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श्री भैरव चालीसा पाठने के संक्षिप्त नियम
- पवित्रता और संगीत: भैरव चालीसा - Bhairav Chalisa का पाठ करने से पहले आपके अंदर पवित्रता और शुद्धि का भाव होना चाहिए। आप चाहें तो पहले स्नान करके अपने शरीर को शुद्ध कर लें और फिर बैठकर चालीसा का पाठ करें।
- स्थिति: श्री भैरव चालीसा का पाठ करते समय आपकी स्थिति सुखासन, पद्मासन या चौपाई स्थिति में हो सकती है। आप जो भी स्थिति चुनें, ध्यान और अवलोकन में खुश रहने का प्रयास करें।
- ध्यान और शांति: श्री भैरव चालीसाका पाठ करते समय आपका मन विचारों में नहीं जाना चाहिए। मन को एकाग्रचित करके शांत रखें और मंत्रों का ध्यानपूर्वक जाप करें।
- अध्ययन: यदि आप श्री भैरव चालीसा पढ़ना नहीं जानते तो पहले सीख लें। आप इसे वर्षगाँठ, पवित्र समय या अपने दैनिक पूजा सत्र में शामिल कर सकते हैं।
- भावना और श्रद्धा: भैरव चालीसा - Bhairav Chalisa का पाठ करते समय भावना और श्रद्धा से पाठ करना चाहिए। आप भैरव देव के अनुरोध को समझें और उनकी कृपा को महसूस करें।
- आरती और पूजा: श्री भैरव चालीसा का पाठ करने के बाद आप भैरव देव की आरती कर सकते हैं और उन्हें फूल, दीपक और नैवेद्य से प्रसन्न कर सकते हैं।
- नियमितता: श्री भैरव चालीसा - Bhairav Chalisa का नियमित पाठ करने से इसके शक्तिशाली प्रभाव को महसूस किया जा सकता है। आप इसे दैनिक, साप्ताहिक या मासिक आधार पर पढ़ सकते हैं।
- निष्कर्ष: भैरव चालीसा का पाठ करने के बाद आपको भैरव देव की कृपा के लिए आभारी होना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
इस प्रकार आप भैरव चालीसा का पाठ कर सकते हैं और इसके माध्यम से आध्यात्मिक और शारीरिक शक्ति की प्राप्ति का आनंद ले सकते हैं।
श्री भैरव चालीसा - Bhairav Chalisa एक ऐसा महत्वपूर्ण पाठ है जो हमें आध्यात्मिक और भौतिक जगत में सकारात्मकता, सिद्धि और समृद्धि प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करता है। इस चालीसा का पाठ करके हम भैरव देव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुखी और समृद्ध बना सकते हैं। Bhairav Chalisa आत्मा की ऊंचाइयों तक ले जाती है और हमें सच्चे आनंद और आत्म-समर्पण की प्राप्ति की ओर मार्गदर्शन करती है। अत: नियमित रूप से श्री भैरव चालीसा का पाठ करके हम अपने जीवन को सफलता, सुख और समृद्धि से भर सकते हैं।
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