सिद्धिविनायक मंदिर - SiddhiVinayak, महाराष्ट्र के एक प्रमुख और प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है जो भगवान गणेश की महत्वपूर्ण मंदिरो में से एक है। इस मंदिर का प्रतिष्ठान इतना ऊंचा है कि विश्व भर के श्रद्धालु यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की आशा करते हैं। हम यहां सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें और रहस्यमय विशेषताओं को जानेंगे:
भगवान गणेश का सबसे प्रसिद्ध रूप सिद्धिविनायक - SiddhiVinayak है, जिसका मतलब होता है 'सर्व कार्य सिद्धि दाता'। उनकी मूर्ति में दाईं सूंड और मुड़ी होती है, और इस रूप में उन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। मान्यता है कि सिद्धिविनायक भगवान गणेश की प्रार्थनाएं सच्चे मन से मांगी जाती हैं तो वे उन्हें अवश्य पूरी करते हैं।\
सिद्धिविनायक मंदिर - SiddhiVinayak की बनावट अत्यंत आकर्षक और विशेष है। यह मंदिर गणेश भगवान की मूर्ति के लिए एक धार्मिक महत्वपूर्ण स्थल है, और उसकी संरचना ने बहुत सारे श्रद्धालुओं को आकर्षित किया है। पहले, मंदिर की संरचना बहुत छोटी थी और उसका गुंबद आकार का शिखर था। बाद में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया और उसका आकार बढ़ाया गया।
सिद्धिविनायक मंदिर - SiddhiVinayak का निर्माण 19 नवंबर 1801 को स्थानीय ठेकेदार लक्ष्मण विथु पाटिल द्वारा किया गया था। इस मंदिर के निर्माण में लगने वाली धनराशि को एक महिला ने दी थी, जिसकी मनोकामना थी कि मंदिर में आकर वे भगवान से आर्शीवाद प्राप्त करे और उसे संतान प्राप्ति हो।
सिद्धिविनायक मंदिर - SiddhiVinayak में भगवान गणेश की मूर्ति काले पत्थर से बनी है, जिसमें वे अपनी दोनों पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं। इस मंदिर की प्रतिमाएं आकर्षक होती हैं और दर्शनीयता से भरी होती हैं।