Amla Navami 2025: हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा करने की परंपरा होती है, क्योंकि इसे लक्ष्मी नारायण जी का स्वरूप माना गया है। भक्तजन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं और वहीं भोजन भी तैयार करते हैं। पूजा के बाद सबसे पहले भगवान विष्णु और भगवान शिव को भोग अर्पित किया जाता है, फिर परिवार और प्रियजनों के साथ प्रसाद के रूप में वह भोजन ग्रहण किया जाता है।
अक्षय नवमी (Akshay Navami 2025) के दिन भक्तजन पूरे दिन व्रत रखते हैं और संध्या के समय श्रद्धा से पूजा-अर्चना कर प्रसाद ग्रहण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी नारायण जी की विधिवत पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। यह पावन व्रत खासतौर पर महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है, जो अपने परिवार की खुशहाली और मंगल की कामना करते हुए दिनभर उपवास रखती हैं। अब जानते हैं कि अक्षय नवमी 2025 (Amla Navami 2025) में कब पड़ेगी और इस दिन कौन से शुभ योग बनेंगे।
ऐसा धार्मिक विश्वास है कि अक्षय नवमी के दिन व्रत रखकर लक्ष्मी-नारायण जी की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। इस दिन की पूजा से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। इस पवित्र अवसर पर महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और संध्या के समय श्रद्धा से पूजा करती हैं। आइए जानते हैं अक्षय नवमी 2025 की तिथि(Amla Navami 2025 date), शुभ मुहूर्त और योग।
अक्षय नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। इसके बाद व्रत रखने का संकल्प लें। अपने पूजा स्थान को स्वच्छ करें और माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें।
संध्या के समय पुनः स्नान करें, क्योंकि इस दिन मुख्य पूजा संध्या में की जाती है। आंवले के पेड़ के नीचे साफ-सफाई करके पूजा सामग्री वहीं रखें। हल्दी, चावल, कुमकुम, पुष्प और जल से आंवले के वृक्ष की विधिवत पूजा करें।
पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा (प्रदक्षिणा) करें। इसके बाद उसी स्थान पर भोजन बनाएं और सबसे पहले भगवान विष्णु व महादेव को भोग अर्पित करें। भोग अर्पित करने के बाद श्रद्धा भाव से भोजन ग्रहण करें, जिसे प्रसाद के रूप में स्वीकार करें।
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अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन पहले पेड़ को साफ जल और गंगा जल से स्नान कराएं। फिर हल्दी, रोली, चंदन, पुष्प और दीपक से विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा स्थल पर आंवले के नीचे भगवान विष्णु की प्रतिमा या शालिग्राम रखकर इस पूजा का विधान शुभ माना जाता है।
अक्षय नवमी (Amla Navami) के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करना बहुत शुभ माना जाता है। व्रती के भोजन में आंवला शामिल करना विशेष फलदायी होता है, जिससे अत्यधिक पुण्य और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है या सूर्य शत्रु राशि में होता है, उनके लिए आंवले के वृक्ष के नीचे दस दिन तक भगवान विष्णु का दीपक जलाना अत्यंत फलदायी होता है, जिससे सूर्य संबंधी दोष दूर होते हैं। अक्षय नवमी (Amla Navami) के दिन गंगा में स्नान, पूजा, तर्पण और अन्न व वस्त्र का दान करने से सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। साथ ही, आंवले के वृक्ष में माता लक्ष्मी का वास भी माना जाता है। इस दिन व्रत करने से विवाहित महिलाओं की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
अक्षय नवमी (Amla Navami) के दिन आंवले के वृक्ष का पूजन और उसके नीचे भोजन करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। इसे पुत्र की प्राप्ति और घर में सुख-समृद्धि के लिए शुभ माना गया है। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने और ब्राह्मण को दान देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। पंडित झा के अनुसार, इस अवसर पर आंवले के वृक्ष को दूध चढ़ाना विशेष लाभदायी होता है।
अक्षय नवमी (Amla Navami) केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आस्था, श्रद्धा और कर्म का प्रतीक है। यह दिन हमें अपने जीवन में पुण्य, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है। आंवले के वृक्ष का पूजन, व्रत और दान इस पर्व की विशेषताएँ हैं, जो घर-परिवार में सुख, सौभाग्य और शांति लाने का विश्वास जगाते हैं। यही कारण है कि अक्षय नवमी हर वर्ष श्रद्धालुओं के जीवन में नई आशा और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आती है।
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Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.