May 20, 2025 Blog

Durva Ashtami 2025: दूर्वा अष्टमी क्या होती है इसे कब, क्यों और कैसे मनाते है ?

BY : Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Durva Ashtami 2025: हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दूर्वा अष्टमी का पर्व श्रद्धा से मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ दूर्वा घास चढ़ाने का विशेष महत्व माना गया है।

धारणा है कि अगर श्रद्धा और भक्ति से इस दिन गणपति बाप्पा को दूर्वा अर्पित की जाए, तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। दूर्वा यानी वह पवित्र घास, जिसे गणेश जी अत्यंत प्रिय मानते हैं। कहा जाता है कि इस दिन खासतौर पर दूर्वा से भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन की तमाम परेशानियाँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग खुलता है।

इस दिन का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था और शुद्ध मन से ईश्वर से जुड़ाव भी होता है। अगर आप भी किसी संकट या मन की इच्छा को लेकर चिंतित हैं, तो दूर्वा अष्टमी (Doorva Ashtami 2025) पर गणेश जी की पूजा ज़रूर करें। जब श्रद्धा से इस दिन व्रत रखा जाता है, तो जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य स्वतः बढ़ने लगता है।

मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश के साथ-साथ माता पार्वती और भगवान शिव की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसलिए इस दिन को आध्यात्मिक दृष्टि से भी बेहद खास माना गया है।

दूर्वा अष्टमी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Durva Ashtami 2025 Date & Auspicious Time)

भक्तों के लिए दूर्वा अष्टमी का व्रत खास महत्व रखता है, और साल 2025 में यह पर्व 31 अगस्त, रविवार को मनाया जाएगा। इस बार अष्टमी तिथि की शुरुआत होगी 30 अगस्त की रात 10:46 बजे, और इसका समापन होगा 1 सितंबर की रात 12:57 बजे। लेकिन व्रत (Doorva Ashtami Vrat) और पूजन के लिए 31 अगस्त का दिन ही उत्तम माना गया है।

इस दिन पूजा करने का शुभ समय सुबह 5 बजकर 59 मिनट से शुरू होकर शाम 6 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। यानी, भक्तों के पास पूरे 12 घंटे 45 मिनट का समय रहेगा जिसमें वे श्रद्धा के साथ भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर सकते हैं। अगर आप इस मुहूर्त में श्रद्धा और भावना से भगवान गणेश की पूजा करते हैं, तो यह दिन आपके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वरदान ला सकता है।


Durva Ashtami

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दूर्वा अष्टमी 2025 के विशेष अनुष्ठान (Durva Ashtami 2025 Special Rituals)

1. सुबह जल्दी उठकर स्नान

  • महिलाएं सूर्योदय से पहले उठती हैं
  • शुद्ध जल से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनती हैं

2. दूर्वा घास की पूजा

  • दूर्वा घास को शुभ माना जाता है
  • पूजा में दूर्वा के साथ फूल, फल, चावल, दही, अगरबत्ती आदि चढ़ाए जाते हैं

3. व्रत का पालन

  • महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं
  • भगवान गणेश और भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करती हैं

4. संतान की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना

  • माताएं अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य, लंबी उम्र और सफलता की प्रार्थना करती हैं
  • यह व्रत वैवाहिक जीवन में भी सुख और सामंजस्य लाता है

5. ब्राह्मणों को भोजन व वस्त्र दान

  • पूजा के बाद योग्य ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है
  • इससे जीवन में सौभाग्य और समृद्धि बढ़ती है

दूर्वा अष्टमी का महत्व – क्यों है ये दिन खास? (Importance Of Durva Ashtami) 

हिंदू संस्कृति में दूर्वा घास (Doorva Ghaas) को बेहद पवित्र और शुभ माना गया है। यह घास न केवल समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि इसे पूजा में समर्पण और शुद्धता से जोड़ा गया है।

पुरानी कथाओं के अनुसार, कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु के शरीर से कुछ बाल झड़कर धरती पर गिरे, तो वही दूर्वा घास बन गई। एक और मान्यता यह है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बूंदें दूर्वा घास पर गिर गईं, जिससे यह घास अमर और अत्यंत शुभ मानी जाने लगी।

दूर्वा अष्टमी (Durva Ashtami) के दिन जो व्यक्ति श्रद्धा से दूर्वा की पूजा करता है, उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

इतना ही नहीं, यह भी कहा गया है कि इस दिन केवल कच्चा भोजन ग्रहण करने से व्यक्ति अपने सारे पापों से मुक्ति पा सकता है — यहां तक कि गंभीर पापों से भी।

श्रीमद्भागवत में भी भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को दूर्वा अष्टमी का महत्व बताया था और कहा था कि इस दिन की पूजा से वंश की उन्नति और पीढ़ी दर पीढ़ी सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।


दूर्वा अष्टमी पर क्यों ज़रूरी है गणेश जी की पूजा?

दूर्वा अष्टमी (Durva Ashtami) के खास दिन पर भगवान गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी माना जाता है। इस दिन उन्हें दूर्वा (दूब घास) अर्पित करें और पूरे मन से प्रार्थना करें।

इसके बाद गणेश गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें और उनसे अपने जीवन की बाधाएं दूर करने की प्रार्थना करें। माना जाता है कि इस तरह श्रद्धा और विधि से की गई पूजा आपके जीवन में आ रही रुकावटों और परेशानियों को दूर कर देती है।

गणेश गायत्री मंत्र:

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि। तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात।।

दूर्वा अष्टमी के उपाय (Remedies Of Durva Ashtami)

दूर्वा अष्टमी के दिन भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए खास महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन अगर भक्त पूरे श्रद्धा और विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करते हुए उन्हें दूर्वा अर्पित करें, तो उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। पूजा के बाद यदि आप 108 बार गणेश गायत्री मंत्र का जाप करें और मन से अपनी समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करें, तो जीवन की कई परेशानियाँ दूर हो सकती हैं और इच्छाएं पूरी होने लगती हैं। इस दिन (Durva Ashtami) किए गए उपाय खास तौर पर शुभ फल प्रदान करते हैं।

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Author: Neha Jain – Cultural & Festival Content Writer

Neha Jain is a festival writer with 7+ years’ experience explaining Indian rituals, traditions, and their cultural meaning, making complex customs accessible and engaging for today’s modern readers.