सिद्ध कुंजिका स्तोत्र मां दुर्गा की महाशक्ति को प्रसन्न करने का एक अत्यंत प्रभावशाली और गुप्त स्तोत्र है। यह श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित है और दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ के समकक्ष माना जाता है। यह स्तोत्र मां दुर्गा के रहस्यमय और सिद्ध मंत्रों का संकलन है, जिसे पढ़ने से साधक को समस्त सिद्धियों और मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है।
यह स्तोत्र संकटों को दूर करने, नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने और सभी प्रकार के विघ्नों को समाप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति पूरी दुर्गा सप्तशती पढ़ने में असमर्थ हो, तो केवल सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से उतना ही पुण्य और लाभ मिलता है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ (Siddha Kunjika Stotram Lyrics) अत्यंत कल्याणकारी और संकट नाशक माना गया है। यह स्तोत्र जीवन में आने वाली समस्याओं और विघ्नों को दूर करने में सहायक होता है। जो व्यक्ति विषम परिस्थितियों में श्रद्धा और भक्ति के साथ इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और मां दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त होती है।
यहाँ प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram), जो साधकों के लिए अत्यंत प्रभावशाली और शुभ फलदायक है।
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शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप: भवेत्।।1।।
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।
अथ मंत्र :-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।''
।।इति मंत्र:।।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।
विशेष परिस्थितियों में:
विशेष दिनों पर:
सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
नकारात्मक ऊर्जा और शत्रु भय का नाश होता है।
अचानक आई समस्याएँ और आर्थिक तंगी दूर होती है।
मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
मन को शांति और आत्मबल प्राप्त होता है।
परिवार में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता आती है।
रोगों से मुक्ति और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Siddha Kunjika Stotram) मां दुर्गा का एक अति प्रभावशाली और चमत्कारी स्तोत्र है, जिसका विधिपूर्वक पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है। यह एक ऐसा स्तोत्र है, जो बाधाओं और संकटों से मुक्ति दिलाने में अचूक माना जाता है। अगर आप भी किसी परेशानी या संकट का सामना कर रहे हैं, तो इस स्तोत्र का श्रद्धा भाव से पाठ करें और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।
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