Gudi Padwa 2025: गुड़ी पड़वा मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो फसल के नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। हिंदू चंद्र-सौर कैलेंडर के अनुसार, यह दिन महाराष्ट्र में नए साल के आगमन के रूप में मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे अलग नामों से जाना जाता है। "गुड़ी पड़वा" दो शब्दों से मिलकर बना है – 'गुड़ी' का अर्थ ब्राह्मण के ध्वज से है, जबकि 'पड़वा' चंद्रमा के उज्ज्वल चरण के पहले दिन को दर्शाता है। यह पर्व चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में आमतौर पर मार्च और अप्रैल के बीच आता है।
सनातन शास्त्रों के अनुसार, गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के दिन ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना की थी। इसी कारण, इस शुभ अवसर पर सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है। मराठी समुदाय के लोग इस दिन अपने घरों पर गुड़ी (विशेष झंडा) फहराते हैं और मुख्य द्वार पर मंगलकारी तोरण लगाते हैं। आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त एवं तिथि।
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 4:27 बजे आरंभ होकर 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी। चूंकि सनातन परंपरा में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025 Date) का पर्व 30 मार्च को मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर सूर्यदेव की पूजा, सुंदरकांड पाठ, रामरक्षा स्तोत्र और देवी भगवती की आराधना करने की परंपरा है, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
इस वर्ष गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) के दिन इंद्र योग बन रहा है, जो शाम 5:54 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस योग में किए गए कार्य शुभ और सफल होते हैं तथा भगवान ब्रह्मा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इसके अलावा, सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो 30 मार्च की शाम 4:35 बजे से लेकर 31 मार्च की सुबह 6:12 बजे तक रहेगा। यह योग किसी भी शुभ कार्य के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
30 मार्च को सुबह 6:13 बजे से शाम 4:35 बजे तक रहेगा। इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
इस दिन बव, बालव और कौलव करण के योग भी बन रहे हैं, जो इस पर्व को और अधिक शुभ बनाते हैं।
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गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) के इस शुभ अवसर पर भगवान ब्रह्मा की पूजा करके, गुड़ी स्थापित कर, मंगलकारी कार्यों को करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।
गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) पर्व को लेकर कई धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यताएँ प्रचलित हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार, एक महाविनाश के बाद जब संपूर्ण सृष्टि नष्ट हो गई थी और समय थम सा गया था, तब भगवान ब्रह्मा ने इस दिन संसार की पुनर्रचना की थी। इसी दिन से एक नए युग की शुरुआत हुई, जिसे सत्य और न्याय का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम जब 14 वर्षों का वनवास पूर्ण कर माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, तो पूरे नगर में उनकी विजय का उत्सव मनाया गया। इसी उपलक्ष्य में घर-घर में विजय ध्वज के रूप में गुड़ी फहराई जाती है, जो श्रीराम की रावण पर जीत का प्रतीक मानी जाती है।
इतिहास में भी गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) का विशेष महत्व है। माना जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसी दिन मुगलों पर विजय प्राप्त कर अपने राज्य को स्वतंत्र कराया था। इस ऐतिहासिक जीत की स्मृति में महाराष्ट्र में इस पर्व (Gudi Padwa Festival) को विशेष रूप से मनाया जाता है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि घरों में गुड़ी लगाने से नकारात्मक शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) मुख्य रूप से नए वर्ष के स्वागत का प्रतीक है, जिसे पूरे हर्षोल्लास और शुद्धता के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और आंगनों की सफाई करते हैं, ताकि वातावरण सकारात्मक और शुभ बना रहे। इस पर्व पर तेल मालिश कर स्नान करना शुभ माना जाता है। घर के मुख्य द्वार को रंग-बिरंगी रंगोली से सजाने की परंपरा भी है। लोग इस अवसर पर पारंपरिक परिधान धारण करते हैं—पुरुष कुर्ता-पायजामा और महिलाएं पारंपरिक साड़ी पहनती हैं।
गुड़ी फहराने की परंपरा इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। घरों के बाहर एक लंबी लकड़ी पर चमकीला कपड़ा, आम और नीम की पत्तियाँ तथा फूल लगाकर गुड़ी सजाई जाती है और उसके ऊपर एक उलटा मिट्टी का कलश रखा जाता है। महाराष्ट्र में इसे विशेष रूप से बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर पुरुष और किशोर लड़कों के समूह मानव पिरामिड बनाकर गुड़ी के ऊपरी भाग में रखे नारियल को तोड़ने की परंपरा निभाते हैं।
गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) पर नीम के पत्ते चबाने की रस्म भी निभाई जाती है। इसे कच्चा खाया जाता है या फिर पीसकर उसमें गुड़ और अन्य सामग्रियाँ मिलाकर चटनी के रूप में सेवन किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। इस दिन श्रीखंड-पूरी, पूरन पोली, चना और सूंठ पनाका जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं, जो इस पर्व का स्वाद बढ़ाते हैं।
महाराष्ट्र के अलावा, यह त्योहार भारत के अन्य राज्यों में भी अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसे उगादी, असम में बिहू, और पश्चिम बंगाल में पोइला बोइशाख के रूप में मनाया जाता है। यदि आप महाराष्ट्र में हैं, तो इस उल्लासपूर्ण उत्सव का हिस्सा बनकर इसकी भव्यता का आनंद जरूर लें!
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गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ पर्व है, जो न केवल नए साल का स्वागत करता है, बल्कि अच्छाई की बुराई पर विजय, समृद्धि और सौभाग्य के आगमन का प्रतीक भी है। यह पर्व विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है और हर जगह इसके मनाने का तरीका और महत्व अलग होता है। इस दिन घरों को सजाना, गुड़ी फहराना और पारंपरिक व्यंजन तैयार करना इसकी खासियत है, जो इसे एक आनंदमयी और उल्लासपूर्ण त्यौहार बनाता है।
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