February 3, 2025 Blog

Gudi Padwa 2025: इस साल कब है गुड़ी पड़वा जान ले इसकी तिथि, मुहूर्त और शुभ योग ?

BY : STARZSPEAK

Gudi Padwa 2025: गुड़ी पड़वा मुख्य रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो फसल के नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। हिंदू चंद्र-सौर कैलेंडर के अनुसार, यह दिन महाराष्ट्र में नए साल के आगमन के रूप में मनाया जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे अलग नामों से जाना जाता है। "गुड़ी पड़वा" दो शब्दों से मिलकर बना है – 'गुड़ी' का अर्थ ब्राह्मण के ध्वज से है, जबकि 'पड़वा' चंद्रमा के उज्ज्वल चरण के पहले दिन को दर्शाता है। यह पर्व चैत्र महीने के पहले दिन मनाया जाता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर में आमतौर पर मार्च और अप्रैल के बीच आता है।
सनातन शास्त्रों के अनुसार, गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) के दिन ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना की थी। इसी कारण, इस शुभ अवसर पर सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है। मराठी समुदाय के लोग इस दिन अपने घरों पर गुड़ी (विशेष झंडा) फहराते हैं और मुख्य द्वार पर मंगलकारी तोरण लगाते हैं। आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त एवं तिथि।

गुड़ी पड़वा 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त और विशेष योग (Gudi Padwa 2025: Date, Auspicious Time And Special Yoga)


गुड़ी पड़वा तिथि (Gudi Padwa 2025 Date)

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 4:27 बजे आरंभ होकर 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी। चूंकि सनातन परंपरा में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इसलिए गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025 Date) का पर्व 30 मार्च को मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर सूर्यदेव की पूजा, सुंदरकांड पाठ, रामरक्षा स्तोत्र और देवी भगवती की आराधना करने की परंपरा है, जिससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

गुड़ी पड़वा पर विशेष योग:

इस वर्ष गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) के दिन इंद्र योग बन रहा है, जो शाम 5:54 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस योग में किए गए कार्य शुभ और सफल होते हैं तथा भगवान ब्रह्मा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इसके अलावा, सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है, जो 30 मार्च की शाम 4:35 बजे से लेकर 31 मार्च की सुबह 6:12 बजे तक रहेगा। यह योग किसी भी शुभ कार्य के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।

पंचक का समय (Timings Of Panchak)

30 मार्च को सुबह 6:13 बजे से शाम 4:35 बजे तक रहेगा। इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।


गुड़ी पड़वा पर अन्य विशेष करण:

इस दिन बव, बालव और कौलव करण के योग भी बन रहे हैं, जो इस पर्व को और अधिक शुभ बनाते हैं।

Gudi Padwa 2025


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गुड़ी पड़वा 2025: पंचांग और शुभ मुहूर्त (Gudi Padwa 2025: Panchang and Auspicious Time)

  • सूर्योदय: सुबह 6:13 बजे
  • सूर्यास्त: शाम 6:38 बजे
  • चंद्रोदय: सुबह 6:34 बजे
  • चंद्रास्त: शाम 7:50 बजे

शुभ मुहूर्त:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:41 बजे से 5:27 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 बजे से 3:19 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:37 बजे से 7:00 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक
  • निशिता मुहूर्त: रात 12:02 बजे से 12:48 बजे तक

गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) के इस शुभ अवसर पर भगवान ब्रह्मा की पूजा करके, गुड़ी स्थापित कर, मंगलकारी कार्यों को करने से जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।


गुड़ी पड़वा से जुड़े पौराणिक और ऐतिहासिक संदर्भ

गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) पर्व को लेकर कई धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यताएँ प्रचलित हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार, एक महाविनाश के बाद जब संपूर्ण सृष्टि नष्ट हो गई थी और समय थम सा गया था, तब भगवान ब्रह्मा ने इस दिन संसार की पुनर्रचना की थी। इसी दिन से एक नए युग की शुरुआत हुई, जिसे सत्य और न्याय का प्रतीक माना जाता है। इसी कारण इस दिन भगवान ब्रह्मा की पूजा की जाती है।

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम जब 14 वर्षों का वनवास पूर्ण कर माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, तो पूरे नगर में उनकी विजय का उत्सव मनाया गया। इसी उपलक्ष्य में घर-घर में विजय ध्वज के रूप में गुड़ी फहराई जाती है, जो श्रीराम की रावण पर जीत का प्रतीक मानी जाती है।

इतिहास में भी गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) का विशेष महत्व है। माना जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसी दिन मुगलों पर विजय प्राप्त कर अपने राज्य को स्वतंत्र कराया था। इस ऐतिहासिक जीत की स्मृति में महाराष्ट्र में इस पर्व (Gudi Padwa Festival) को विशेष रूप से मनाया जाता है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि घरों में गुड़ी लगाने से नकारात्मक शक्तियाँ प्रवेश नहीं कर पातीं और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

 

गुड़ी पड़वा का उत्सव: परंपराएं और रीति-रिवाज

गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025)  मुख्य रूप से नए वर्ष के स्वागत का प्रतीक है, जिसे पूरे हर्षोल्लास और शुद्धता के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों और आंगनों की सफाई करते हैं, ताकि वातावरण सकारात्मक और शुभ बना रहे। इस पर्व पर तेल मालिश कर स्नान करना शुभ माना जाता है। घर के मुख्य द्वार को रंग-बिरंगी रंगोली से सजाने की परंपरा भी है। लोग इस अवसर पर पारंपरिक परिधान धारण करते हैं—पुरुष कुर्ता-पायजामा और महिलाएं पारंपरिक साड़ी पहनती हैं।

गुड़ी फहराने की परंपरा इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। घरों के बाहर एक लंबी लकड़ी पर चमकीला कपड़ा, आम और नीम की पत्तियाँ तथा फूल लगाकर गुड़ी सजाई जाती है और उसके ऊपर एक उलटा मिट्टी का कलश रखा जाता है। महाराष्ट्र में इसे विशेष रूप से बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर पुरुष और किशोर लड़कों के समूह मानव पिरामिड बनाकर गुड़ी के ऊपरी भाग में रखे नारियल को तोड़ने की परंपरा निभाते हैं।

गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025)  पर नीम के पत्ते चबाने की रस्म भी निभाई जाती है। इसे कच्चा खाया जाता है या फिर पीसकर उसमें गुड़ और अन्य सामग्रियाँ मिलाकर चटनी के रूप में सेवन किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। इस दिन श्रीखंड-पूरी, पूरन पोली, चना और सूंठ पनाका जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं, जो इस पर्व का स्वाद बढ़ाते हैं।

महाराष्ट्र के अलावा, यह त्योहार भारत के अन्य राज्यों में भी अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इसे उगादी, असम में बिहू, और पश्चिम बंगाल में पोइला बोइशाख के रूप में मनाया जाता है। यदि आप महाराष्ट्र में हैं, तो इस उल्लासपूर्ण उत्सव का हिस्सा बनकर इसकी भव्यता का आनंद जरूर लें!


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गुड़ी पड़वा से जुड़े रोचक तथ्य

  1. रंगोली की परंपरा: गुड़ी पड़वा के दौरान रंगोली का विशेष महत्व होता है। सड़कों और घरों के द्वार खूबसूरत रंगोलियों से सजे होते हैं, जिससे इस पर्व की भव्यता और उल्लास झलकता है।

  2. पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य: पश्चिमी महाराष्ट्र में लोग इस दिन पारंपरिक पोशाक धारण करते हैं और जुलूस में नृत्य कर नए साल का स्वागत करते हैं।

  3. सांस्कृतिक विरासत: इस पर्व के दौरान महिलाएं चमकीले और रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर सड़कों पर निकलती हैं, जिससे क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और गौरवशाली इतिहास की झलक मिलती है।

  4. अच्छाई की जीत का प्रतीक: गुड़ी पड़वा बुराई पर अच्छाई की विजय का भी प्रतीक है, क्योंकि इसी दिन भगवान राम, रावण का वध कर अयोध्या वापस लौटे थे।

  5. पारंपरिक व्यंजन: इस त्योहार पर श्रीखंड, पूरी और पूरन पोली जैसी मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। कोंकण क्षेत्र में इसे विशेष रूप से "कनंगची खीर" के साथ मनाया जाता है, जो शकरकंद, नारियल के दूध, चावल और गुड़ से बनी एक पारंपरिक मिठाई है।

गुड़ी पड़वा का महत्व (Significance Of Gudi Padwa)

  1. सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक: यह माना जाता है कि घर में गुड़ी लगाने से न केवल बुरी आत्माएं दूर रहती हैं, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है।

  2. अच्छाई की विजय का प्रतीक: गुड़ी पड़वा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, क्योंकि यह भगवान राम की रावण पर विजय की याद दिलाता है।

  3. वसंत ऋतु का आगमन: यह दिन वसंत ऋतु के शुरुआत का प्रतीक है और इसे फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

  4. विभिन्न नामों से मनाया जाता है: इस त्यौहार को अन्य राज्यों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जैसे संवत्सर पड़वो, उगादी, युगादी, चेटी चंद और नवरेह। मणिपुर में इसे साजिबू नोंग्मा पनबा चेराओबा के नाम से मनाया जाता है।

  5. नए अवसरों का आरंभ: कई लोग इस दिन को सोना या नया वाहन खरीदने के लिए शुभ मानते हैं, क्योंकि इसे नए अवसरों और समृद्धि के आरंभ का दिन माना जाता है।

गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2025) एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ पर्व है, जो न केवल नए साल का स्वागत करता है, बल्कि अच्छाई की बुराई पर विजय, समृद्धि और सौभाग्य के आगमन का प्रतीक भी है। यह पर्व विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है और हर जगह इसके मनाने का तरीका और महत्व अलग होता है। इस दिन घरों को सजाना, गुड़ी फहराना और पारंपरिक व्यंजन तैयार करना इसकी खासियत है, जो इसे एक आनंदमयी और उल्लासपूर्ण त्यौहार बनाता है।


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