January 30, 2025 Blog

Gangaur 2025: साल 2025 में कब है गणगौर जानिए इसकी तिथि, पूजा विधि और महत्त्व

BY : STARZSPEAK

Gangaur 2025: गणगौर राजस्थान के सबसे रंगीन और प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह न केवल राजस्थान में बल्कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात में भी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

गणगौर शब्द दो भागों से मिलकर बना है—"गण" का अर्थ भगवान शिव और "गौर" का अर्थ देवी गौरी या पार्वती होता है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के दिव्य मिलन और उनके साथ के शुभत्व को समर्पित है।


गणगौर कब मनाया जाता है ? (When Is Gangaur Celebrated?)

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर पूजा (Gangaur puja 2025) मनाई जाती है। इसे गौरी तीज या गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की मंगलकामना के लिए माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करती हैं। वहीं, अविवाहित कन्याएं योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए इस व्रत को श्रद्धा भाव से रखती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गणगौर पूजा (Gangaur 2025 ) करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। इस अवसर पर व्रती महिलाएं दूब (हरी घास) से जल के छींटे देते हुए "गोर गोर गोमती" गीत गाकर (Gangaur Geet) माता गौरी की आराधना करती हैं।

इस पूजा के दौरान महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजकर सिर पर जल से भरा कलश रखती हैं और गीत गाते हुए शोभायात्रा निकालती हैं। घर लौटने के बाद वे मिट्टी से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर, माता गौरी को सुंदर वस्त्र एवं सुहाग सामग्री अर्पित कर पूजा-अर्चना करती हैं।

आइए जानते हैं कि साल 2025 में गणगौर पूजा (Gangaur 2025 Date) कब मनाई जाएगी—31 मार्च या 1 अप्रैल? साथ ही, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और आवश्यक सामग्री की पूरी जानकारी।


गणगौर पूजा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

गणगौर पूजा 2025 (Gangaur puja 2025) सोमवार, 31 मार्च को मनाई जाएगी। इस दिन माता गौरी और भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। इस शुभ मुहूर्त में गणगौर व्रत और पूजन करने से सौभाग्य, समृद्धि और सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • तृतीया तिथि प्रारंभ:   31 मार्च 2025, सुबह 09:11 बजे
  • तृतीया तिथि समाप्त: 1 अप्रैल 2025, सुबह 05:42 बजे

गणगौर (Gangaur 2025) उत्सव चैत्र मास के पहले दिन से आरंभ होकर पूरे 18 दिनों तक बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में यह उत्सव कृतिका नक्षत्र के दौरान आएगा।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने जीवनसाथी के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या सफल रही और उनका विवाह भगवान शिव से हुआ। विवाह के उपरांत जब देवी पार्वती अपने मायके गईं, तो उन्होंने वहां की महिलाओं और कन्याओं को वैवाहिक सुख और समृद्धि का आशीर्वाद दिया। जब 18 दिनों के बाद माता पार्वती विदा हुईं, तो उन्हें भव्य विदाई दी गई। तभी से यह परंपरा चली आ रही है, जहां गणगौर उत्सव के दौरान माता गौरी की विशेष पूजा की जाती है और उन्हें पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ विदाई दी जाती है।


gangaur 2025

यह भी पढ़ें - Chaitra Navratri 2025: इस साल कब से है चैत्र नवरात्री तथा क्या है घटस्थापना का मुहूर्त

 

गणगौर पूजा सामग्री और विधि

गणगौर पूजा सामग्री

गणगौर पूजा (Gangaur Puja) के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है, जिनका होना अनिवार्य माना जाता है। ये सामग्री इस प्रकार हैं:

  • पूजा आसन
  • कलश (पानी से भरा हुआ)
  • काली मिट्टी
  • अक्षत (चावल)
  • ताजे फूल
  • आम की पत्तियां
  • नारियल और सुपारी
  • गणगौर के वस्त्र
  • गेहूं
  • बांस की टोकरी
  • चुनरी
  • हलवा और पूड़ी
  • सुहाग सामग्री (सिंदूर, चूड़ी, काजल आदि)
  • कौड़ी और सिक्के
  • घेवर
  • चांदी की अंगूठी
  • होलिका की राख
  • गोबर या मिट्टी के उपले
  • श्रृंगार सामग्री
  • शुद्ध घी
  • दीपक
  • गमले
  • कुमकुम आदि

इन सभी सामग्रियों को पूजा स्थल पर व्यवस्थित रूप से रखना चाहिए ताकि पूजा विधि सुचारू रूप से संपन्न हो सके।

गणगौर पूजा विधि (Gangaur Puja Vidhi)

गणगौर व्रत (Gangaur 2025 vrat) का शुभारंभ कृष्ण पक्ष की एकादशी से होता है। इस दिन महिलाएं प्रातःकाल स्नान कर नए वस्त्र धारण करती हैं और लकड़ी की टोकरी में जवार (गेहूं या जौ के अंकुर) बोती हैं।

व्रत का नियम – व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दौरान केवल एक समय भोजन ग्रहण करना चाहिए।

माता गौरी की पूजा – माता पार्वती को संपूर्ण श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है, जिसमें सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा, माता गौरी को चंदन, अक्षत, धूप-दीप अर्पित किया जाता है और विशेष रूप से भोग समर्पित किया जाता है।

व्रत कथा – भोग लगाने के पश्चात व्रती महिलाएं गणगौर व्रत की कथा सुनती या स्वयं पढ़ती हैं।

सिंदूर तिलक – पूजा के बाद, माता गौरी को चढ़ाए गए सिंदूर को सुहाग का प्रतीक मानते हुए विवाहित महिलाएं अपने माथे पर लगाती हैं।

गणगौर विसर्जन – चैत्र शुक्ल द्वितीया को माता गौरी की प्रतिमा को किसी तालाब, नदी या सरोवर में ले जाकर स्नान कराया जाता है। इसके बाद, तृतीया तिथि को पुनः माता गौरी और भगवान शिव का स्नान करवाया जाता है।

शोभायात्रा और विसर्जन – इस दिन संध्या के समय गाजे-बाजे के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है और गौरी-शिव की प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाता है। इसके पश्चात महिलाएं अपना उपवास समाप्त करती हैं।

गणगौर पूजा (Gangaur 2025) के इन शुभ विधानों को अपनाकर महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की मंगलकामना करती हैं।

गणगौर महोत्सव का भोजन: उपवास और पारंपरिक दावत (Gangaur Festival Food: Fasting and Traditional Feast) 

गणगौर महोत्सव (Gangaur 2025) के दौरान महिलाएं 18 दिनों तक उपवास रखती हैं और दिन में केवल एक बार भोजन करती हैं। व्रत के दौरान भोजन में मिठाइयां, दूध, फल और घर पर बने पारंपरिक व्यंजन शामिल होते हैं।
इस उत्सव में दावतों की भी विशेष भूमिका होती है, जहां तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लिया जाता है। महिलाएं हाथों और पैरों पर सुंदर मेंहदी रचाती हैं, जिसमें फूलों की डिज़ाइन, ज्यामितीय आकृतियाँ, मोर की आकृति और सूर्य-चंद्रमा जैसे पारंपरिक पैटर्न शामिल होते हैं।

गणगौर पर्व (Gangaur Festival) में घेवर, खीर, बर्फी और अन्य कई तरह के मीठे-नमकीन पकवान बनाए जाते हैं। साथ ही, पूजा के बाद प्रसाद के रूप में मिठाइयों का वितरण किया जाता है, जिसे भक्तगण श्रद्धा और भक्ति के साथ ग्रहण करते हैं।


गणगौर पर्व का पौराणिक महत्व (Mythological Importance Of Gangaur Festival) 

गणगौर उत्सव (Gangaur 2025) से जुड़ी एक प्राचीन कथा है, जो इस पर्व के महत्व को दर्शाती है। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव, माता पार्वती और नारद मुनि एक छोटी यात्रा पर निकले। यात्रा के दौरान वे एक जंगल में पहुंचे, जहां उनके आगमन की खबर से सभी लोग अत्यंत उत्साहित हो गए।

सबसे पहले, निम्न वर्ग की महिलाएं श्रद्धा से प्रसाद लेकर आईं और भक्तिभाव से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की। देवी पार्वती ने प्रसन्न होकर उन्हें सुहाग का आशीर्वाद दिया और उन पर सुहाग सामग्री का छिड़काव किया। कुछ समय बाद, उच्च वर्ग की स्त्रियां भी पूजा और प्रसाद लेकर आईं। भगवान शिव और माता गौरी ने प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया और उनके द्वारा अर्पित भोग को स्वीकार किया।

जब पूजा संपन्न हुई, तो भगवान शिव ने माता गौरी से पूछा कि वे दूसरी बार आईं महिलाओं को क्या आशीर्वाद देंगी, क्योंकि उनके पास सुहाग सामग्री खत्म हो चुकी थी। इस पर देवी पार्वती ने अपने प्रेम और करुणा का परिचय देते हुए अपनी उंगली काटी और अपने रक्त की बूंदें उन पर छिड़क दीं, ताकि वे भी उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

तभी से, गणगौर उत्सव (Gangaur 2025 ) महिलाओं द्वारा अपार श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाने लगा। यह पर्व देवी गौरी और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने, वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करने और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है।


यह भी पढ़ें - Holi 2025 : साल 2025 में कब मनाया जायेगा रंगो का प्रमुख त्यौहार होली

gangaur puja