January 29, 2025 Blog

Chaitra Navratri 2025: इस साल कब से है चैत्र नवरात्री तथा क्या है घटस्थापना का मुहूर्त

BY : STARZSPEAK

Chaitra Navratri 2025: सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह देवी दुर्गा की उपासना और शक्ति साधना का पावन समय माना जाता है। वर्ष में कुल चार बार नवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है, जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं, जबकि चैत्र और आश्विन मास में आने वाली नवरात्रि सार्वजनिक रूप से धूमधाम से मनाई जाती हैं।

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर साल चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है। यह पर्व विशेष रूप से शक्ति, भक्ति और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और इन नौ दिनों में विशेष अनुष्ठान जैसे अखंड ज्योत जलाना और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यधिक महत्व रखता है। चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन, यानी नवमी तिथि को राम नवमी का पर्व भी मनाया जाता है।

आइए, जानते हैं कि 2025 में चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) कब शुरू होगी, साथ ही कलश स्थापना का मुहूर्त, इसके धार्मिक महत्व और इस साल की नवरात्रि से जुड़ी खास तिथियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

चैत्र नवरात्रि 2025 कब है? (When Is Chaitra Navratri 2025)

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025 date) का पर्व हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है। 2025 में यह तिथि 29 मार्च 2025 को शाम 4:27 बजे शुरू होगी और 30 मार्च 2025 को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी। इस तरह, 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से शुरू होकर 7 अप्रैल 2025 तक चलेगी। 


चैत्र नवरात्रि 2025 की महत्वपूर्ण तिथियां:

  • आरंभ तिथि: 30 मार्च 2025 (रविवार)
  • समाप्ति तिथि: 7 अप्रैल 2025 (सोमवार)
  • राम नवमी: 7 अप्रैल 2025 (सोमवार)

इन नौ दिनों में भक्त उपवासी रहते हैं, पूजा अर्चना करते हैं और विशेष अनुष्ठान जैसे दुर्गा सप्तशती का पाठ और अखंड ज्योति जलाने जैसे कर्म करते हैं। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत और शक्ति की पूजा का प्रतीक है, जिसे भारत भर में धूमधाम से मनाया जाता है।

चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त 2025 (Kalash Sthapna Muhurat of Chaitra Navratri 2025) 

साल 2025 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च 2025 को होगी। इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:13 बजे से लेकर सुबह 10:22 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त सुबह 12:01 बजे से लेकर दोपहर 12:50 बजे तक होगा।

Chaitra Navratri 2025


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चैत्र नवरात्रि 2025 तिथि सूची (Chaitra Navratri 2025 Date List)

चैत्र नवरात्रि के नौ दिवसीय पर्व में प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। यहाँ वर्ष 2025 में पड़ने वाली चैत्र नवरात्रि की सभी तिथियों (Chaitra Navratri 2025 Date) की सूची दी गई है:

दिन

देवी

वार

तारीख

पहला नवरात्रि

मां शैलपुत्री

रविवार

30 मार्च 2025

दूसरा नवरात्रि

मां ब्रह्मचारिणी

सोमवार

31 मार्च 2025

तीसरा नवरात्रि

मां चंद्रघंटा

मंगलवार

1 अप्रैल 2025

चौथा नवरात्रि

मां कूष्मांडा

बुधवार

2 अप्रैल 2025

पांचवा नवरात्रि

मां स्कंदमाता

गुरुवार

3 अप्रैल 2025

छठा नवरात्रि

मां कात्यायनी

शुक्रवार

4 अप्रैल 2025

सातवां नवरात्रि

मां कालरात्रि

शनिवार

5 अप्रैल 2025

अष्टमी नवरात्रि

मां महागौरी

रविवार

6 अप्रैल 2025

नवमी नवरात्रि

मां सिद्धिदात्री

सोमवार

7 अप्रैल 2025

इन शुभ दिनों में देवी दुर्गा की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त करें और नवरात्रि का पावन पर्व श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाएँ।

चैत्र नवरात्रि का महत्व (Chaitra Navratri Importance)

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन से नए संवत्सर यानी हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है, बल्कि शक्ति साधना का भी एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है। नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की आराधना करने से भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

विशेष रूप से, अष्टमी और नवमी तिथि का अत्यधिक महत्व होता है, जब कन्या पूजन कर मां दुर्गा का आशीर्वाद लिया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) में व्रत रखने से न केवल आत्मिक शुद्धि होती है, बल्कि यह स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करता है, खासकर पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में सहायक होता है। साथ ही, भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होने का भी विश्वास किया जाता है।

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कलश स्थापना का महत्व और विधि (Importance And Method Of Kalash Installation)

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, किसी भी शुभ कार्य या पूजा से पहले भगवान गणेश की आराधना की जाती है। लेकिन देवी दुर्गा की पूजा में विशेष रूप से कलश स्थापना का महत्व होता है। बहुत से लोग यह नहीं जानते कि देवी उपासना में कलश क्यों स्थापित किया जाता है। हमारे पुराणों के अनुसार, कलश को भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है, इसलिए मां दुर्गा की पूजा से पूर्व इसकी स्थापना और पूजन किया जाता है।

कलश स्थापना (Kalash Sthapana) से पहले पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है, और फिर सभी देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है। इसे पाँच प्रकार के पत्तों से सजाया जाता है और इसके भीतर हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा आदि रखी जाती हैं। कलश को स्थापित करने के लिए उसके नीचे बालू की वेदी बनाई जाती है, जिसमें जौ बोए जाते हैं। जौ बोने की परंपरा देवी अन्नपूर्णा को प्रसन्न करने के लिए की जाती है, जो समृद्धि और धन-धान्य की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं।

पूजा स्थल के मध्य में मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाती है और उनका श्रृंगार रोली, चावल, सिंदूर, माला, फूल, चुनरी, साड़ी, आभूषण और सुहाग सामग्री से किया जाता है। इसके साथ ही अखंड दीप प्रज्वलित किया जाता है, जिसे नवरात्रि के समापन तक जलाए रखना शुभ माना जाता है। कलश स्थापना के उपरांत भगवान गणेश और मां दुर्गा की आरती की जाती है, जिसके साथ नौ दिनों का उपवास और साधना आरंभ हो जाती है।

नवरात्रि के दौरान भक्तगण श्रद्धा भाव से उपवास रखते हैं और नवमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं। नौ कन्याओं, जिन्हें देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है, को आदरपूर्वक भोजन कराकर दक्षिणा दी जाती है।

चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा, गुप्त नवरात्रि का भी विशेष महत्व है। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली यह नवरात्रि मुख्य रूप से तंत्र साधना से जुड़ी होती है। हालांकि, सामान्य लोग इस नवरात्रि से कम परिचित होते हैं, लेकिन तांत्रिक और साधक इस दौरान देवी की विशेष साधना कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।


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