July 7, 2025 Blog

Shardiya Navratri 2025: इस साल कब से है शारदीय नवरात्रि, जान ले घटस्थापना का मुहूर्त और विधि

BY : STARZSPEAK

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि का भी चैत्र नवरात्रि की तरह विशेष महत्व होता है। इस पावन अवसर पर पूरे देश में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं पंडालों में स्थापित की जाती हैं। हर ओर भक्तिमय वातावरण होता है, जिसमें गरबा, जागरण, पूजा-पाठ और धार्मिक आयोजनों की धूम देखने को मिलती है। शारदीय नवरात्रि को सांसारिक इच्छाओं की पूर्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस नवरात्रि की आखिरी चार दिनों की धूम कोलकाता में देखने को मिलती है वहाँ इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। 
 

हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक श्रद्धा और भक्ति के साथ शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का पर्व मनाया जाता है। यह पावन अवसर आदिशक्ति मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की आराधना को समर्पित होता है। इन नौ दिनों तक देवी मां के भक्त उपवास रखते हैं और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं।

मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। अगर आप भी मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं, तो जानिए इस साल शारदीय नवरात्रि कब (Shardiya Navratri Kab hai) से शुरू हो रही है और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।


शारदीय नवरात्रि 2025 तिथि
(Shardiya Navratri 2025 Date)

शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत को लेकर पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर की रात 01 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर 23 सितंबर की रात 02 बजकर 54 मिनट तक रहेगी। चूंकि हिन्दू धर्म में तिथियों की गणना सूर्योदय के आधार पर की जाती है, इसलिए शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 22 सितंबर, सोमवार से माना जाएगा। इस बार नवरात्रि की नवमी तिथि 1 अक्टूबर को पड़ेगी और 2 अक्टूबर को विजयादशमी या दशहरा मनाया जाएगा।


शारदीय नवरात्रि 2025 कैलेंडर (Shardiya Navratri 2025 Calendar)

शारदीय नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना को समर्पित होते हैं। हर दिन देवी के एक विशेष स्वरूप की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं साल 2025 में किस तिथि को किस देवी की पूजा होगी:

                तारीख

दिन

नवरात्रि दिवस

पूजा देवी

22 सितंबर 2025

सोमवार

पहला दिन

मां शैलपुत्री की पूजा

23 सितंबर 2025

मंगलवार

दूसरा दिन

मां ब्रह्मचारिणी की उपासना

24 - 25 सितंबर 2025

बुधवार - गुरुवार

तीसरा दिन (दो दिन)

मां चंद्रघंटा की पूजा

26 सितंबर 2025

शुक्रवार

चौथा दिन

मां कूष्मांडा की पूजा

27 सितंबर 2025

शनिवार

पांचवां दिन

मां स्कंदमाता की आराधना

28 सितंबर 2025

रविवार

छठा दिन

मां कात्यायनी की पूजा

29 सितंबर 2025

सोमवार

सातवां दिन

मां कालरात्रि की उपासना

30 सितंबर 2025

मंगलवार

आठवां दिन (अष्टमी)

मां महागौरी की आराधना

1 अक्टूबर 2025

बुधवार

नवम दिन (नवमी)

मां सिद्धिदात्री की पूजा

2 अक्टूबर 2025

गुरुवार

दशहरा (विजयादशमी)

मां दुर्गा विसर्जन


इन नौ दिनों में श्रद्धालु उपवास, पूजा-पाठ, कन्या पूजन और जागरण जैसे अनुष्ठान करते हैं। देवी की उपासना से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

shardiya navratri 2025


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शारदीय नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त (Shardiya Navratri 2025 Ghatsthapana Muhurat)

शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार से हो रही है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा के लिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06:09 से लेकर 08:06 बजे तक है। जो लोग जल्दी सुबह कलश स्थापना नहीं कर पाते है उनके लिए अभिजीत मुहूर्त (Shardiya Navratri Puja Muhurat) का भी समय होता है, जो सुबह 11 बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। भक्त भक्त अपनी सुविधा के अनुसार इन शुभ समयों में घटस्थापना करके मां दुर्गा का आवाहन और पूजन कर सकते हैं।


शारदीय नवरात्रि का महत्व (Significance Of Shardiya Navratri )

हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह पर्व मां दुर्गा को समर्पित होता है, जो शक्ति और भक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। मान्यता है कि इन नौ दिनों के दौरान देवी दुर्गा स्वयं धरती पर आती हैं और अपने भक्तों की प्रार्थनाएं सुनती हैं। भक्त इस अवसर पर माता के नौ स्वरूपों की श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं और भजन-कीर्तन के माध्यम से उनका आह्वान करते हैं। नवरात्रि का समापन दशहरे के दिन देवी के विसर्जन और विजय की भावना के साथ होता है। यह समय आत्मशुद्धि, साधना और देवी कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है।

शारदीय नवरात्रि 2025 माँ की सवारी

इस बार शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर पधारेंगी, जिसे बहुत ही शुभ और मंगलकारी संकेत माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब देवी मां हाथी की सवारी करती हैं तो यह वर्ष सुख-समृद्धि और शांति लेकर आता है। मां का ऐसा आगमन पूरे देश और भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उन्नति का संकेत माना जाता है।


शारदीय नवरात्रि पूजा और कलश स्थापना विधि (Shardiya Navratri Puja vidhi)

शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) के पावन अवसर पर पूजा की शुरुआत सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके करें। साफ-सुथरे वस्त्र पहनें और घर को अच्छे से साफ करके शुद्ध करें। मुख्य दरवाज़े पर आम के पत्तों और फूलों से तोरण बांधें, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो।

पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करके वहां एक चौकी पर लाल या पीले कपड़े को बिछाएं और उस पर मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। पूजन की शुरुआत श्रीगणेश और मां दुर्गा का स्मरण करते हुए करें।

कलश स्थापना की विधि:

अब उत्तर या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में कलश स्थापित करें। सबसे पहले एक मिट्टी के पात्र में जौ बोएं। फिर एक तांबे के कलश में साफ जल और कुछ बूंदें गंगाजल की डालें। कलश के मुंह पर आम के पत्ते रखें और ऊपर एक नारियल लाल चुनरी में लपेटकर रख दें। कलश पर कलावा (मौली) बांधें और उसमें अक्षत, दूब और सुपारी भी डालें। (Shardiya Navratri puja vidhi)

अब विधिपूर्वक मां दुर्गा की पूजा करें। दीपक जलाएं, फूल, चावल, कपूर आदि चढ़ाएं और फिर श्रद्धा से दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। पूजा के अंत में मां दुर्गा की आरती करें और भोग स्वरूप मिठाई या फल चढ़ाकर उसे सभी को प्रसाद रूप में बांटें।

इस तरह विधिवत पूजा और कलश स्थापना से मां दुर्गा की कृपा आपके घर-परिवार पर बनी रहती है और नवरात्रि का हर दिन शक्ति और साधना से परिपूर्ण होता है।

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शारदीय नवरात्रि पूजा सामग्री  (Shardiya Navratri Puja Materials)

शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना बड़े श्रद्धा और विधिविधान से की जाती है। हर दिन देवी के एक विशेष स्वरूप की पूजा होती है, इसलिए पूजन सामग्री भी पूरी और व्यवस्थित होनी चाहिए।

पूजा में आवश्यक सामग्री:

नवरात्रि के दौरान पूजा के लिए आपको कुछ प्रमुख वस्तुओं की जरूरत होती है, जैसे –
कुमकुम, फूल, देवी मां की मूर्ति या तस्वीर, जल से भरा कलश, मिट्टी का पात्र (जिसमें जौ बोए जाते हैं), लाल चुनरी, लाल रंग का वस्त्र, मौली (कलावा), नारियल, अक्षत (साफ चावल), पान के पत्ते, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिश्री, कपूर, दीपक, घी या तेल, धूपबत्ती, फल, मिठाई, और श्रृंगार का सामान।

इन सभी वस्तुओं का प्रयोग मां दुर्गा की पूजा में श्रद्धापूर्वक किया जाता है, जिससे देवी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा:

नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग रूपों को समर्पित होते हैं।

  • पहला दिन: मां शैलपुत्री

  • दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी

  • तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा

  • चौथा दिन: मां कूष्मांडा

  • पांचवां दिन: मां स्कंदमाता

  • छठा दिन: मां कात्यायनी

  • सातवां दिन: मां कालरात्रि

  • आठवां दिन: मां महागौरी

  • नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री
इन सभी रूपों की विधिपूर्वक आराधना करने से साधक को शक्ति, समृद्धि और विजय का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


शारदीय नवरात्रि नौ दिनों के नौ रंग ( 9 Colours Of  9 Days Shardiya Navratri)

नवरात्रि का दिन

तारीख (संभावित)

शुभ रंग

रंग का महत्व और प्रभाव

पहला दिन

22 सितंबर 2025

नारंगी (Orange)

उत्साह, ऊर्जा और सकारात्मकता से भरपूर महसूस कराता है।

दूसरा दिन

23 सितंबर 2025

सफेद (White)

शांति, पवित्रता और आत्मिक संतुलन का प्रतीक है।

तीसरा दिन

24 सितंबर 2025

लाल (Red)

शक्ति, प्रेम और भक्ति का रंग—देवी को अति प्रिय है।

चौथा दिन

25 सितंबर 2025

गहरा नीला (Royal Blue)

आत्मविश्वास, शांति और समृद्धि को आकर्षित करता है।

पांचवां दिन

26 सितंबर 2025

पीला (Yellow)

आनंद, उम्मीद और सौभाग्य का रंग—दिन को खुशनुमा बनाता है।

छठा दिन

27 सितंबर 2025

हरा (Green)

उन्नति, ताजगी और संतुलन का प्रतीक—प्रकृति से जुड़ाव लाता है।

सातवां दिन

28 सितंबर 2025

स्लेटी (Grey)

स्थिरता, गंभीरता और मानसिक संतुलन को दर्शाता है।

आठवां दिन

29 सितंबर 2025

बैंगनी (Purple)

सम्मान, सफलता और अध्यात्म से जुड़ाव बढ़ाता है।

नौवां दिन

30 सितंबर 2025

मोरपंखी हरा (Peacock Green)

समृद्धि, आध्यात्मिक ऊर्जा और आकर्षण से भरपूर।


नोट:
इन रंगों का पालन करना केवल परंपरा ही नहीं, बल्कि मां दुर्गा के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का एक सुंदर माध्यम है। हर रंग अपने भीतर एक विशेष ऊर्जा समेटे हुए है, जिसे अपनाकर आप अपने नवरात्रि के अनुभव को और भी शुभ और प्रभावशाली बना सकते हैं।

निष्कर्ष

शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) ना केवल शक्ति की उपासना है, बल्कि यह अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक भी है — जैसे देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और प्रभु श्रीराम ने रावण को पराजित किया।इसलिए, इन नौ पावन दिनों में श्रद्धा, नियम और समर्पण के साथ मां दुर्गा की आराधना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह बना रहता है।

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