Anuradha Paudwal Namo Namo Durge Sukh Lyrics: हिन्दू धर्म में माँ दुर्गा का की पूजा का विशेष महत्त्व होता है , माँ दुर्गा को हम आदिशक्ति भी कहते है। नवरात्रि के समय माँ दुर्गा की अत्यधिक पूजा पाठ की जाती है और माता दुर्गा की साधना के लिए श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करना बहुत प्रभावशाली मन जाता है। बहुत से लोग दुर्गा चालीसा का दोनों समय पाठ करते है और फिर आरती करके माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते है। माँ दुर्गा की उपासना से मनुष्य के सभी पाप धूल जाते है और सभी कार्यो में सफल होते है।
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ।।
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ।।
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ।।
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ।।
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ।।
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ।।
मातंगी धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।।
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।।
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ।।
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ।।
सोहै कर में अस्त्र त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुंलोक में डंका बाजत ।।
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ।।
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ।।
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ।।
परी भीड़ संतन पर जब-जब ।
भई सहाय मातु तुम तब-तब ।।
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ।।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी ।।
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ।।
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्म-मरण ते सो छुटि जाई ।।
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ।।
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ।।
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ।।
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछतायो ।।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय-जय-जय जगदम्ब भवानी ।।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ।।
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ।।
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
रिपू मुरख मौही अति डरपावे ।।
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ।।
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला ।।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ।।
दुर्गा चालीसा जो गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ।।
भक्त शरण निज जानी ।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।
शरणागत रक्षा करे, भक्त रहे निःशंक।
मैं आया तेरी शरण, मातु लीजिये अंक।।